विदेश यात्रा योग


 विदेश यात्रा योग(वायु योग) -:

१,यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में लग्न से 12 वे स्थान का स्वामी सूर्य से देखा जाता है। और वह ग्रह बलवान हो तो वायु योग का निर्माण करता है। जिससे जातक विदेश यात्रा करता है।

२,इसी प्रकार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में दूसरे और छठे स्थान पर बृहस्पति चंद्रमा व शुक्र की दृष्टि हो तो भी वायु योग का निर्माण होता है।

३,यदि जन्म लग्न चर राशि का हो लग्नेश चर राशि में हो तथा उसे चर राशिस्थ ग्रह देखता हो उस स्थिति में भी वायु  योग का निर्माण होता है। और जिस जातक की जन्म कुंडली में वायु योग का निर्माण होता है। वह जातक निश्चित ही शुभ कार्य के लिए विदेश यात्रा करता है।

इस प्रकार लग्न का स्वामी जहां भी बैठता है वहां से 12वे भाव में जो राशि पडती है। उस राशि का स्वामी कहीं पर भी बैठा हो लेकिन उसे सूर्य संपूर्ण दृष्टि से देख रहा हो तो वहां वायु योग पूर्ण रूप से संपन्न होता है। और जिस भी जातक की जन्मकुंडली में वायु योग का निर्माण होता है वह जातक अपने जीवन में बहुत अधिक विदेश यात्रा करता है।

आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245

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