28 अक्टूबर से मंगल का वृश्चिकरशि में गोचर -: 28 अक्टूबर 2025 को मंगल अपनी वृश्चिक राशि में गोचर करने जा रहे हैं। जिससे सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलेगा तो आईए जानते हैं। मेष से मीन राशि के जातकों पर मंगल के इस गोचर का कैसा रहने वाला है प्रभावन …
Read more11वें भाव में सिंह राशि मे केतु का फलादेश-: 11वाँ भाव (Labha Bhava) जन्मकुंडली में लाभ, आय, मित्र, बड़े भाई-बहन, इच्छाओं की पूर्ति और उपलब्धियों से संबंधित होता है। सिंह राशि (Leo) सूर्य की राशि है — यहाँ अहं, नेतृत्व, आत्माभिमान, रचनात्मकता, और प्रसिद्ध…
Read moreकरवाचौथ व्रत 2025 -: करवा चौथ 2025 करवा चौथ व्रत 10अक्टूबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत विशेषकर उत्तर भारत के राज्यों जैसे उ…
Read moreकरवा चौथ व्रत कथा -: करवा चौथ का महत्व : करवा चौथ हिन्दू धर्म में विवाहित स्त्रियों के लिए एक अत्यंत पवित्र और शुभ व्रत है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु, सुख, समृद्धि और अखं…
Read moreबृहस्पति देव 48 दिन के लिए करेंगे अपनी उच्च राशि में गोचर -: 18 अक्टूबर 2025 को बृहस्पति (गुरु) कर्क राशि में उच्च के होकर प्रवेश करेंगे । उनका यह गोचर 5 दिसंबर तक कंप्लीट 48 दिन के लिए रहेगा। बृहस्पति का exalted होना बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि कर्क उ…
Read moreनवमांश कुंडली का महत्व -: नवमांश कुंडली (D-9 chart) को समझना और देखना वैदिक ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विवाह, भाग्य, धर्म, और ग्रहों की वास्तविक शक्ति को दर्शाती है। इसे फलित ज्योतिष में सबसे प्रमुख वर्गोत्तरी कुंडली माना गया है। नवमां…
Read moreश्राद्ध कर्म का सक्षेप परिचय -: श्राद्ध कर्म का वर्णन वेद, स्मृति, पुराण और धर्मशास्त्रों में विस्तारपूर्वक किया गया है। यह कर्म पितृऋण की निवृत्ति और पितरों की शांति एवं तृप्ति के लिए किया जाता है। इसका महत्व, विधि और तत्त्वज्ञान इस प्रकार है – १. श्राद्ध…
Read moreमंगल का राशि परिवर्तन -: सितंबर 2025 में मंगल ग्रह का तुला राशि में प्रवेश (गोचर) 13 सितंबर 2025 को रात लगभग 8:18 बजे होगा, जो सभी 12 राशियों पर विभिन्न प्रभाव डाल सकता है—कुछ के लिए लाभदायक, तो कुछ के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नीचे संक्षेप में सभी राशियों…
Read moreवृषभ लग्न पत्रिका में सूर्य देव का फल -: भृगु संहिता एवं शास्त्रीय ज्योतिष सिद्धांतों के अनुसार वृषभ लग्न की जन्मकुण्डली में सूर्यदेव के 12 भावों में स्थान अनुसार फल इस प्रकार माने जाते हैं— प्रथम भाव (लग्न) वृषभ लग्न में सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु ग्र…
Read moreभृगु संहिता के अनुसार, मेष लग्न में विभिन्न ग्रहों का बारहों भावों में स्थित होने पर जो फल प्राप्त होते हैं,। उनका सामान्य फलादेश इस प्रकार बताया गया है। सूर्य - मेष लग्न में 12 भावों में फल भाव सूर्य का फल 1 तेजस्वी, अहंकारी, नेत्र रोग संभव, आत्…
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