श्राद्ध कर्म का सक्षेप परिचय -: श्राद्ध कर्म का वर्णन वेद, स्मृति, पुराण और धर्मशास्त्रों में विस्तारपूर्वक किया गया है। यह कर्म पितृऋण की निवृत्ति और पितरों की शांति एवं तृप्ति के लिए किया जाता है। इसका महत्व, विधि और तत्त्वज्ञान इस प्रकार है – १. श्राद्ध…
Read moreमंगल का राशि परिवर्तन -: सितंबर 2025 में मंगल ग्रह का तुला राशि में प्रवेश (गोचर) 13 सितंबर 2025 को रात लगभग 8:18 बजे होगा, जो सभी 12 राशियों पर विभिन्न प्रभाव डाल सकता है—कुछ के लिए लाभदायक, तो कुछ के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नीचे संक्षेप में सभी राशियों…
Read moreवृषभ लग्न पत्रिका में सूर्य देव का फल -: भृगु संहिता एवं शास्त्रीय ज्योतिष सिद्धांतों के अनुसार वृषभ लग्न की जन्मकुण्डली में सूर्यदेव के 12 भावों में स्थान अनुसार फल इस प्रकार माने जाते हैं— प्रथम भाव (लग्न) वृषभ लग्न में सूर्य लग्नेश शुक्र का शत्रु ग्र…
Read moreभृगु संहिता के अनुसार, मेष लग्न में विभिन्न ग्रहों का बारहों भावों में स्थित होने पर जो फल प्राप्त होते हैं,। उनका सामान्य फलादेश इस प्रकार बताया गया है। सूर्य - मेष लग्न में 12 भावों में फल भाव सूर्य का फल 1 तेजस्वी, अहंकारी, नेत्र रोग संभव, आत्…
Read moreराजनीतिक क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के विशेष योग -: राजनीतिक क्षेत्र में लाभ प्राप्ति का योग देखने के लिए कुंडली में विशेष ग्रहों, भावों और योगों का अध्ययन किया जाता है। निम्नलिखित कारक विशेष रूप से राजनीतिक सफलता के लिए देखे जाते हैं: राजनीतिक सफलता के लिए …
Read moreधूम ग्रह राहु का द्वादश भावों में फल _: राहु के द्वादश (१२) भावों में फल विषयक विवेचन ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि राहु एक छाया ग्रह है और इसका फल अन्य ग्रहों से भिन्न, रहस्यमय, अचानक, और भ्रमपूर्ण होता है। राहु जिस भाव में स्थित होता है, वहाँ …
Read moreएकादशी व्रत का संपूर्ण विस्तृत विधान शास्त्र निर्णय अनुसार -: अग्नि पुराण एक महत्त्वपूर्ण पुराण है जिसमें अनेक विषयों पर विस्तृत विवरण मिलता है, जिसमें व्रत, तीर्थ, पूजा विधि, आयुर्वेद, युद्धनीति आदि शामिल हैं। एकादशी व्रत के विषय में भी अग्नि पुराण में …
Read moreअग्नि पुराण के अनुसार सभी 15 तिथियों की व्रत विधि और महत्व -: अग्नि पुराण में सभी पंद्रह तिथियों (प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा या अमावस्या तक) के व्रतों का वर्णन पौराणिक, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से किया गया है। प्रत्येक तिथि का एक विशेष महत्व है, और उन त…
Read moreकिसी व्यक्ति का रिलेशनशिप (प्रेम संबंध या विवाह) कब बनेगा, यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से निम्नलिखित तरीकों से जाना जा सकता है: ज्योतिषीय उपाय – कुंडली विश्लेषण द्वारा सप्तम भाव – यह भाव विवाह और पार्टनरशिप का कारक है। इस भाव के स्वामी और उसमें स्थित ग्रहों…
Read moreशनि देव का जीवन परिचय -: शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे नवग्रहों में प्रमुख स्थान रखते हैं और कर्मफलदाता हैं। शनि देव का जन्म वैशाख मास की अमावस्या को हुआ था, जिसे शनि जयंती कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, वे भगवान सूर्य और छाया (संवर्णा) …
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