बुध व गुरु का गोचर फल

 बुध का द्वादश भाव में गोचर फल -:

१, बुध गोचर कुंडली में प्रथम भाव में स्थित होने पर जातक को धन हानि कराता है।

२, द्वितीय भाव में स्थित गोचर कुंडली में बुध जातक को धन प्राप्ति कराता है।

३,तृतीय भाव में स्थित बुध जातक के पराक्रम में कमी को दर्शाता है और साथ ही शत्रु से भयभीत करता है।

४, गोचर कुंडली के चतुर्थ भाव में स्थित बुध जातक को सुख प्राप्त कराता है।

५, पंचम भाव में स्थित बुध अपनी स्त्री व पुत्रों के बीच कलह उत्पन्न करता है।

६,छठे भाव में स्थित बुध जातक शत्रु पर विजय प्राप्त करवाता है रोग से निवृत्ति कराता है।


७, सप्तम भाव में विद्यमान बुध जातक के दांपत्य जीवन में उत्पन्न करता है।

८,अष्टम भाव में स्थित बुध जातक के जीवन में धन प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

९, गोचर कुंडली के नवम भाव में स्थित है जातक के भाग्य में रुकावटें उत्पन्न करता है साथ ही मानसिक अशांति प्रदान करता है।



१०, दशम भाव में स्थित बुध जातक के कार्य क्त्र में वृद्धि करता है। तथा भौतिक सुख प्रदान करता है।

११, एकादश भाव में स्थित बुध जातक को अपने व्यवसाय क्षेत्र में लाभ प्राप्ति कराता है तथा जातक को सभी कार्यों में लाभ प्राप्त होता है।

१२, द्वादश भाव में स्थित बुध जातक को धन हानि कोर्ट कचहरी में पराजय व फिजूलखर्ची को बढ़ाता है।


गोचर कुंडली में बुध के शुभ भाव स्थान -: २,४,६,८,१०,११

गोचर कुंडली में बुध के अशुभ भाव स्थान -:१,३,,५,७,९,१२


गोचर में गुरु का द्वादश भावो में फल -:

१,गोचर कुंडली के प्रथम भाव में गुरु जातक का स्थान नाश, शत्रुओं से भय, व फिजूलखर्ची अथवा धन को नष्ट करता है।


२, द्वितीय भाव में स्थित गुरु गोचर में वाणी के द्वारा धन प्राप्ति कराता है मान सम्मान में वृद्धि करता है तथा परिवार में सुख शांति की वृद्धि करता है।


३, तीसरी भाव में विद्यमान गुरु जातक का स्थान परिवर्तन करने के साथ-साथ ही मान सम्मान में कमी लाता है और अपने लोगों का वियोग करवाता है।


४, चौथे भाव में स्थित गुरु घर परिवार में कलह तथा परिवारजनों के प्रति  मतभेद उत्पन्न करता है।

५,पंचम भाव में विद्यमान गुरु जातक को पुत्र प्राप्ति, राजा से सम्मान व सुख में वृद्धि करता है।

६, छठे भाव में स्थित गुरु जातक को रुग्णता प्रदान करने के साथ-साथ शत्रुओं से भय उत्पन्न कर आता है तथा अशुभ फल प्रदाता होता है।

७, सप्तम भाव में गुरु जातक को दांपत्य जीवन का सुख प्रदान करता है।

८,अष्टम भाव में स्थित गुरु जातक को व्यर्थ की भागदौड़ करवाने के साथ फिजूलखर्ची करवाता है तथा शारीरिक मानसिक कष्ट पहुंचाता है।

९, नवम भाव में विद्यमान गोचर कुंडली में गुरु जातक का भाग्योदय  कराने वाला तथा जातक को सभी प्रकार के शुभ फल प्रदान करने वाला बनता है।

१०,दशम भाव में स्थित ग्रुप जातक को धन हानि कराने के साथ-साथ अपने कार्य क्षेत्र में गिरावट प्रदान करता है साथ ही कार्य क्षेत्र में रुकावटे  करता है।

११, एकादश भाव में विद्यमान गोचर कुंडली में गुरु जातक को पदोन्नति, कार्यक्षेत्र में सर्व प्रकार से लाभ, विशेष लाभ प्राप्त के साधनों में वृद्धि कराता है।

१२, द्वादश भाव में गुरु जातक को धन हानि, मानसिक चिंता तथा शारीरिक भाग दौड़ कराता है।



गोचर कुंडली में गुरु का द्वादश भावो में शुभ भाव -: २,५,७,९,११

गोचर में गुरु के अशुभ स्थान -: ३,४,८,१०,१२



आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री
9414657245




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