ग्रह और कैरियर प्रोफेशनल कार्य निर्धारण में ग्रहों की भूमिका -: जन्म कुंडली में व्यवसाय या प्रोफेशनल जॉब का चयन मुख्य रूप से दशम भाव से किया जाता है। और जिस ग्रह का संबंध दशम भाव से बनता है अर्थात दशमेश जो ग्रह बनता है। उसी से जातक के प्रोफेशनल जांब व्यवसाय …
Read moreमेडिकल एस्ट्रोलॉजी मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में हम ग्रहों के विश्लेषण से जातक के शरीर में रोगों के विषय में निम्न प्रकार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सूर्य -: पित्त कुपित जनित रोग, नेत्र विकार, हड्डी बुखार, हड्डी का टूटना, करण रोग, जलन, हृदय रोग, चित की व्याक…
Read moreरविवार व्रत विधि -: रविवार का व्रत किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से प्रारंभ करना चाहिए, तथा 1 वर्ष तक अथवा 30 या 12 व्रत करना चाहिए। इस दिन भोजन में गेहूं की रोटी गेहूं का दलिया हलवा इत्यादि सेवन कर सकते हैं। भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही…
Read moreग्रह शांति, गृह प्रवेश, हवनादि शुभ कार्य में अग्निवास देखना हवनादि शुभ कार्यों में अग्निवास देखना -: किसी भी ग्रह शांति हवन यज्ञ आदि के शुभ मुहूर्त में मुख्य रूप से अग्नि का वास देखना अति नितांत आवश्यक होता है। यदि ग्रह नक्षत्र तिथि वार के अनुसार मुहूर्त बन …
Read more१, उच्च अधिकारी से संपर्क मुहूर्त विचार -: किसी भी उच्च अधिकारी से अपने विशिष्ट कार्य की सिद्धि के लिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निम्न तिथि वार नक्षत्र का चयन करके मिलना चाहिए। जिससे उच्च अधिकारी निश्चित रूप से आपके मनोरथ को पूर्ण होने में अपना संपूर्ण सहयोग…
Read moreदेव प्राण-प्रतिष्ठा मूहुर्त विचार -: मुहूर्त निर्माण श्रृंखला में आज हम देव प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त के विषय में जानकारी प्राप्त करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं कि देव प्राण प्रतिष्ठा में शुभ मुहूर्त के लिए तिथि वार नक्षत्र का चयन किस प्रकार से किया जाता है?…
Read moreगृह प्रवेश मुहूर्त में कैसे करें तिथि वार नक्षत्र का चयन? भवन निर्माण मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता होती है। तथा प्रत्येक मानव कड़ी मेहनत करके पाई पाई जोड़ कर अपने स्वप्न का महल तैयार करता है। भवन निर्माण के पश्चात भवन में प्रवेश किया जाता है जिसके लिए हमार…
Read moreVivah muhurt vichar-: भारतीय सनातन आश्रम व्यवस्था में गृहस्थ आश्रम सर्वोत्कृष्ट आश्रम होता है। क्योंकि स्वरुप सृष्टि का प्रादुर्भाव पुरुष धारा व स्त्री धारा के संगम से ही सम्भव होता है। यह संपूर्ण सत्य है कि ईश्वर ने ही अपने स्वरूप को दो भागों में लंबवत विभ…
Read moreMuhurat vichar-: ज्योतिष शास्त्र में काल के प्रमुख पांच अंगों का महत्व होता है।१, वर्ष २,मास ३, दिन ४, लग्न ५, मूहूर्त । अतः आज हम मुहूर्त के विषय में सम्यक अध्ययन करेंगे।, हमारे दैनिक जीवन में मुहूर्त का बहुत अधिक महत्व होता है। संसार के सभी कार्यों में मु…
Read moreतिथियों की नंदादि संज्ञा व शुभाशुभ फल विचार -: जैसा कि हम जानते हैं कि ज्योतिष गणना में 15 तिथियां होती है। उन तिथियों को चार भागों में विभक्त किया गया है जिन्हें क्रमश नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता,व पूर्णा नाम दिया गया है। इन सभी तिथियों को निम्न प्रकार से विभक…
Read moreपक्ष, मास, अधिक मास, अयन, गोल, विषयक अध्ययन -: पक्ष -: जिस रात्रि में सूर्य और चंद्रमा किसी राशि के एक ही अंश पर आ जाते हैं तब वह रात्रि अमावस्या की रात्रि कहलाती है। और अमावस्या की रात्रि सबसे घनी काली रात्रि होती है क्योंकि उस रात्रि में सूर्य और चंद्रमा ए…
Read moreवार के अनुसार कार्य अकार्य का विचार -: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वार का नाम ग्रह के नाम पर है। अतः ग्रह के स्वभाव के अनुसार ही तदवार को किए जाने वाले कार्य अकार्य का विचार किया जाता है। क्योंकि प्रत्येक ग्रह की प्रकृति स्वभाव गुणधर्म अलग-अलग प्रकार …
Read moreएस्ट्रोलॉजर आचार्य केके शास्त्री पंचांग में करण का महत्व विचार -: (करण का निर्णय करना) जैसा कि हम जानते हैं कि पंचांग पांच तत्वों से मिलकर बना होता है तिथि वार नक्षत्र योग और करण इन्हीं पांच तत्वों के सम्मिलित रूप को पंचांग की संज्ञा दी जाती है। अतः आज हम प…
Read moreक्या होते हैं उत्पात मृत्यु आदि योग ? योग विचार -: जैसा कि हम जानते हैं कि तिथि वार नक्षत्र योग और करण के संयोग से पंचांग बनता है। अर्थात तिथि वार नक्षत्र योग करण पंचांग के पांच तत्व होते हैं इनका संयुक्तरूप ही पंचांग कहलाता है। तथा किसी भी शुभ अशुभ समय या म…
Read moreभद्रा (विष्टीकरण) विचार -: जैसा कि हम जानते हैं कि तिथि वार नक्षत्र योग करण इन पांच तत्वों के योग को पंचांग कहा जाता है। और किसी भी शुभ अशुभ समय का विचार करते समय हम मुख्य रूप से इन पांच तत्वों का ही मिलान करके शुभ अशुभ समय का निर्धारण करते हैं। इस प्रकार कि…
Read moreरवियोग -: रवि योग संपूर्ण दोषो का नाशक होता है। अर्थात रवि योग में दूषित व बुरे दोष समाप्त हो जाते हैं। यदि सूर्य नक्षत्र से वर्तमान चंद्र नक्षत्र चौथा ,नवां,छठा,दशवा, तेरहवां , बीसवां हो तो उस दिन रवि योग का निर्माण होता है। और यह योग तिथि वार नक्षत्र से नि…
Read moreमलमास 2021-22 -: मलमास अथवा खरमास? -: जैसा कि हम जानते हैं कि सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं। इस प्रकार सूर्य देव एक राशि में लगभग एक महीना भ्रमण करते हैं। इसी क्रम में 12 महीने में सूर्य देव 12 राशियों में …
Read moreपंचक निर्णय -: भारतीय सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले तिथि वार नक्षत्र का विचार करते हैं तत्पश्चात तिथि वार नक्षत्र शुभ होने पर ही किसी शुभ कार्य का प्रारंभ करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं और इन 27 नक्षत्र का अलग-अलग कार्यों…
Read moreग्रहों की युति का विशिष्ट फल -: जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित अलग-अलग ग्रह विशिष्ट प्रकार के योगों का निर्माण करते हैं। जिन का फल जातक को सामान्य ग्रह स्थिति के अपेक्षा विशिष्ट मिलता है। अतः आज हम विशिष्ट ग्रहों द्वारा बनने वाले कुछ विशिष्ट योगों की…
Read moreग्रहों की युति -: जन्म कुंडली में एक से अधिक ग्रह एक ही भाव में विद्यमान हो तो उसे ग्रहों की युति कहा जाता है। ग्रहों की युति में विशेषकर राहु केतु को सम्मिलित नहीं किया जाता अपितु साथ मुख्य रूप से सात ग्रहों को ही सम्मिलित किया गया है। राहु केतु जन्म कुंडली…
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