चंद्र महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा फल

 चंद्र महादशा फल -:

चंद्र महादशा में चन्द्रमा की अंतर्दशा फल-:

चंद्रमा की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा जब आती है उस समय जातक को मानसिक शांति, माता के स्वास्थ्य व सुख में वृद्धि, घर में संतति रूप में कन्या का जन्म होना, साधु संतों का आगमन बना रहना, धार्मिक कार्यों में मन न लगना, दांपत्य जीवन में माधुर्य भाव में वृद्धि होना। इस प्रकार चंद्रमा जिस भाव का स्वामी हो जिस भाव में विद्यमान हो और जिस भाव को देख रहा हो उन भावों के सुफलो में वृद्धि करता है। यदि चंद्रमा उच्च का और पाप ग्रह से दृष्ट नहीं हो तो अति शुभ फलदायक होता है।

चंद्र की महादशा में मंगल की अंतर्दशाफल -:

चंद्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशा जातक के लिए विशेषकर अशुभ फल परिणाम देने वाली होती है जैसे जातक के जीवन में पितरों का प्रकोप बढ़ना, अग्नि का प्रकोप बढना अर्थात अग्नि से नुकसान होना, रक्त की खराबी के कारण रक्त संबंधी रोगों में वृद्धि, घर परिवार में चोरी की वारदात का होना, अनावश्यक धन खर्चे जैसे अशुभफल जातक को प्राप्त होते  हैं
और यदि जन्म कुंडली में मंगल शुभ भाव का स्वामी होकर अत्यधिक शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को भवन वाहन का सुख भी प्राप्त कर आता है।

चंद्र की महादशा में राहु की अंतर्दशा फल -:

चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा मुख्य रूप से अनिष्ट फल देने वाली ही होती है इस दशा के दौरान जातक का मानसिक संतुलन अत्यधिक अस्वस्थ होता है जातक मानसिक रूप से असंतुष्ट होता है और जहां मन ही संतप्त हो ऐसे जातक को किसी प्रकार का सुख प्राप्त होना संभव नहीं होता है। अतः इस समय  जातको के  अनेक अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जातक के जीवन में कोई ऐसी अप्रिय घटना घटित होती है जिसे जातक अपने जीवन में जीवन पर्यंत नहीं भुला पाता है। इसी के साथ इस समय जातक के मन में अस्थिरता व वायु विकार जैसी बीमारियां  होती है।

चंद्र की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा फल -:

जातक के जीवन में जब चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतर्दशा आती है तो यह समय जातक के लिए सामान्य रूप से शुभ फल प्रदान करने वाला ही घटित होता हैै। अतः इस समय जातक को धन धन प्राप्ति के अवसरों में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। जातक के मान सम्मान मैं वृद्धि होने के साथ-साथ जातक को राजकीय क्षेत्र में लाभ प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं। जातक का मन धार्मिक कार्यों में लगता है। मन प्रसन्न रहने के साथ साथ घर परिवार में धार्मिक कार्यों का आयोजन बना रहता है। तथा जन्म कुंडली के जिस भाव में गुरु विद्यमान हो कर जिन जिन भावों से दृष्टि संबंध बनाता है। उन भावों के सुफलो में वृद्धि करता है।

चंद्र की महादशा में शनि की अंतर्दशा फल -:

जातक के जीवन में चंद्र की महादशा में शनि की अंतर्दशा जातक को अनेकों अनेक प्रकार की विपत्तियां व कष्टों को प्रदान करने वाली होती है। इस समय में जातक का मन शांत होता है तथा असाध्य रोगों में वृद्धि होती है। इस समय मित्र पुत्र स्त्री अथवा परिवार जन के किसी भी सदस्य के स्वास्थ्य में अत्यधिक गिरावट होती है। और विशेषकर यदि जन्म कुंडली में शनि 6 8 12 में अनिष्ट कारी हो तो यह समय जातक के लिए बहुत अधिक कष्ट प्रदान करने वाला होता है। यहां तक कि जातक को मरणतुल्य दुखों की प्राप्ति होती है।

चंद्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा फल -:

चंद्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा यदि जन्म कुंडली में बुध शुभभाव का मालिक हो तथा शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को संबंधित भाव के फलों में वृद्धि करता है और बुध जिन कारक तत्वों का कारक होता है। उनके फलों में वृद्धि करता है और जातक को धन प्राप्ति के अवसर प्रदान करता है वाणी में चतुरता लाता है तथा जातक को सांसारिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति में सहायक होता है।

चंद्र की महादशा में केतु की अंतर्दशा फल -:

चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा मुख्य रूप से अनिष्ट कारी फल प्रदान करने वाली होती है। जातक के जीवन में जब चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा आती है उस सयय जातक के मन में अस्थिरता का भाव अधिक रहता है, मन संतप्त रहता है घर परिवार में सुख शांति का अभाव होता है। तथा घर परिवार में कलह का वातावरण रहता है। इसी के साथ-साथ जातक का स्वास्थ्य कमजोर होता है अनावश्यक धन का नष्ट होना देखा जाता है।निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि यह समय जातक के लिए पूर्ण रूप से निराशा  से भरा हुआ होता है और अधिकांश कार्यो में जातक को निराशाजनक  फलों की प्राप्ति होती है।

चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का फल-:

चंद्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा जातक के जीवन में जब आती है तो सामान्य रूप से शुक्र यदि जन्म कुंडली के शुभ भाव में विद्यमान हो तो जिस भाव में विद्यमान होता है तथा जिस भाव से दृष्टि संबंध बनाता है उससे संबंधित शुभ फलों में वृद्धि करता है। अतः जातक को सांसारिक भोगों के साधनों में वृद्धि कराता है सांसारिक वासनाओं की पूर्ति में सहायक बनता है। घर परिवार स्त्री सुख पुत्र सुख में वृद्धि कराता है और यदि शुक्र जातक की जन्म कुंडली में अशुभ भाव का स्वामी होकर  पाप ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को इसके विपरीत शुक्र से संबंधित कारक फलों की प्राप्ति में न्यूनता लाता है।

चंद्र की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा फल -:

चंद्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा जातक को शुभ फल प्रदान करने वाली होती है इस समय जातक को मान सम्मान धन प्राप्ति के अवसरों में वृद्धि होने के साथ-साथ पुराने चले आ रहे रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। जातक के पराक्रम में वृद्धि होने के साथ-साथ जातक को पुत्र धन व राज के कार्यों में सफलता प्राप्त होने की संभावना अधिक बनती है। जातक के शत्रु भयभीत होते हैं। इस प्रकार यदि सूर्य जन्म कुंडली में शुभ भाव का स्वामी हो और शुभ राशि में विद्यमान हो तो जातक को संबंधित भाव  के फलों में अतिशय वृद्धि करके जातक को सुफल परिणाम प्रदान करता है।


आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245





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