Vrishabh lagn mein shukr Dev ka fal(वृषभ लग्न में शुक्र देव का फल)

 Vrishabh lagn janm patrika ke dwadash bhav mein shukra Dev ka shubh ashubh fal. वृषभ लग्न पत्रिका के द्वादश भावों में शुक्र देव का शुभाशुभ फल -:

वृषभ लग्न पत्रिका में शुक्र देव लग्नेश होने के साथ-साथ षष्टम भाव के अधिपति भी बनते हैं। यद्यपि शुक्रदेव को यहां त्रिक भाव में से एक षष्टम भाव का अधिपतित्व भी मिला है किंतु लग्नेश होने के कारण त्रिक भाव के अधिपति होने का उनको दोष नहीं लगता है। जब तक कि स्वयं शुक्रदेव 6 8 12 भाव में विद्यमान नहीं हो जाते हैं। अतः 6 8 12 भाव में विद्यमान नहीं होने की स्थिति में प्रत्येक भाव में शुक्र देव योगकारक होते हैं। तथा 6 8 12 भाव में विद्यमान होकर मारक हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं वृषभ लग्न पत्रिका के द्वादश भावों में शुक्र देव किस प्रकार जातक को अपना फल  प्रदान करते हैं।


वृषभ लग्न में शुक्र देव -:

१, जैसा कि हम जानते हैं कि वृषभ लग्न कुंडली में लग्नेश स्वयं शुक्रदेव होते हैं। और यदि लग्नेश शुक्र देव लग्न में विद्यमान हो तो जातक को अति शुभ फल प्रदान करने वाले होते हैं। जातक को आकर्षक चित वाला, मनमोहक छवि, सौम्य व्यवहार व आकर्षक व्यक्तित्व का धनी बनाते हैं। षष्टम भाव का अधिपति भी होने कारण जातक को कर्ज रोग शत्रु पर विजय दिलाने वाले होते हैं। सप्तम दृष्टि से अपने कारक भाव सप्तम भाव को देखते हैं तो दांपत्य जीवन में खुशहाली व दैनिक आमदनी के बिजनेस में लाभ प्रदान करते हैं। शुक्र देव यहां पंच महापुरुषयोगमे सेएक मालव्य पंच महापुरुष नामक अति शुभ योग  बनाते हैं। जो जातक को भौतिकवाद के संपूर्ण संसाधनों की प्राप्ति में सहायक होता हैं।

२, वृषभ लग्न कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र देव जातक को धन संग्रह में भरपूर सहयोग, कुटुम परिवार में सौम्यता बनाए रखने में भी अपना अच्छा योगदान प्रदान करते हैं। जातक अपनी मेहनत द्वारा पर्याप्त धन अर्जन करता है। जिसमें शुक्र देव अपना पूर्ण योगदान प्रदान करने वाले हो अधिक करनी पड़ती है सप्तम दृष्टि से नवम भाव को देखने कारण जातक सप्तम दृष्टि से नवम भाव को देखते हैंते हैं। साथ ही जातक को वाणी में मिठास प्रदान करते हैं। सप्तम दृष्टि से आठवें भाव को देखने के कारण जातक को दीर्घायु,व असाध्य बीमारी से मुक्ति दिलाते हैं।


३, तीसरे भाव में शुक्र देव भाग दौड़ के भाव में विद्यमान होने कारण जातक को साहसी पराक्रमी और मेहनती अवश्य बनाते हैं। किंतु किसी भी कार्य में बहुत अधिक स्ट्रगल करने पर ही सफलता प्रदान करते हैं। छोटे भाई बहनों का सुख प्राप्त होता है तो जातक को अपने जीवन में भागदड़ अधिक करनी पड़ती है सप्तम दृष्टि से नवम भाव को देखने कारण जातक को उच्च शिक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन उसके लिए जातक को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसी प्रकार पिता के साथ भी क ई बार मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं तो जातक को भाग्यवान  बनाते हैं किंतु कभी-कभी भाग्य की विडंबना भी जाता के सामने प्रस्तुत करते हैं।


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४, वृषभ लग्न के चतुर्थ भाव में विद्यमान होने के कारण शुक्रदेव जातक को भवन वाहन प्रॉपर्टी जायदाद व सांसारिक सुखों में वृद्धि करने वाले होते हैं। जातक की माता से अच्छे संबंध बनाते हैं तो सप्तम दृष्टि से दशम भाव को देखते हैं। जिस कारण से जातक को राजकार्य में अच्छी सफलता प्राप्त होती है। पिता के साथ अच्छे संबंध बनते हैं। प्रोफेशनल जॉब में भी अच्छी स्थितियां बनाने में शुक्रदेव अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं।


५, वृषभ लग्न पत्रिका के पंचम भाव में कन्या राशि होने के कारण शुक्र देव नीच के हो जाते हैं। अतः यदि उनका नीच भंग हो जाता है तो जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं। और यदि उनका नीच भंग नहीं होता है तो जातक को विद्या संतान प्रेम लॉटरी मित्रता के क्षेत्र में कठिनाइयां उत्पन्न करने वाले होंगे। सप्तम दृष्टि से लक्ष्मी भाव को देखते हैं जहां कि उनके अपनी उच्च दृष्टि होती है। अतः जातक को आय के स्रोतों में वृद्धि करेंगे किंतु भागदौड़ बढ़ाएंगे।



६, लग्नेश शुक्र देव वृषभ लग्न कुंडली के षष्टम भाव में अपनी राशि पर होकर भी मारक हो जाते हैं। यद्यपि यहां उनका विपरीत राजयोग भी बनता हैं। अतः जातक को शत्रु रोग ऋण दुर्घटना जैसे कार्यों में विजय प्रदन करवाते हैं। किंतु जातक का मनोबल साहस व सुंदरता में कमी लाते हैं। सप्तम दृष्टि से द्वादश भाव को देखते हैं तो जातक को घर से अति दूर रहकर धन कमाने में सहयोग करते हैं। विदेश यात्रा भी करवा सकते हैं। परंतु जातक के जीवन में बहुत अधिक खर्चे होते है। रोग ऋण शत्रु की  समस्याएं बनी रहती है।


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७, सप्तम भाव में शुक्र देव जातक को दांपत्य जीवन का भरपूर  सुख प्रदान करने वाले व पति पत्नी के बीच में एकरूपता बनाए रखने में अपना पूर्ण योगदान प्रदान करने वाले होते हैं।  सप्तम दृष्टि लग्न भाव पर पड़ती है।जो जातक के सौंदर्य में वृद्धि करने वाली जातक को आकर्षक व्यक्तित्व का धनी बनाने के साथ-साथ विवेकशील भी बनाती हैं।


८, अष्टम भाव में शुक्रदेव जातक को अधिकांशतः  अच्छे परिणाम नहीं देते हैं। जातक के शरीर में रुग्णता मानसिक टेंशन अवसाद व धन संग्रह में कठिनाइयां कुटुम परिवार की एकरूपता में कमी बनाते हैं तो जातक के व्यक्तित्व को भी शिथिल करते हैं। यद्यपि विपरीत राजयोग का परिणाम भी जातक को प्रदान करते हैं।


९, नवम भाव में शुक्र देव जातक को भाग्यवान यशवंत कीर्तिमान धनवान भाग्यवान व धार्मिक प्रकृति का बनाने के साथ-साथ उच्च शिक्षा में अच्छी सफलता दिलाते हैं। सप्तम दृष्टि से तीसरे भाव को देखते हैं तो जातक को छोटे भाई बहनों का सुख प्रदान करते हैं।


१०, वृषभ लग्न पत्रिका के दशम भाव में शुक्र देव जातक को प्रोफेशनल जॉब में अच्छा पद गवर्नमेंट के क्षेत्र में अच्छी सफलता पिता से अच्छे संबंध व मान सम्मान दिलाने वाले होते हैं। यहां से सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव को देखने कारण जातक की माता के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं। जातक को जीवन में अचल संपत्ति के रूप में भवन वाहन प्रॉपर्टी जायदाद दिलवाले हैं।



११, वृषभ लग्न के एकादश भाव में शुक्र देव अपनी उच्च राशि में होते हैं। अतः जातक को धन प्राप्ति व भौतिक संसाधनों की पूर्ति में अच्छा सहयोग प्रदान करने वाले होते हैं। किंतु जातक को इधर-उधर की भागदौड़ अधिक करनी पड़ती है। अपनी नीच दृष्टि से पंचम भाव को देखने के कारण जातक को विद्या प्राप्ति में लापरवाह संतान प्राप्ति में विलंबता लॉटरी में हानि जैसी स्थितियां भी उत्पन्न करते हैं।



१२, वृषभ लग्न के द्वादश भाव में शुक्र देव स्थित होने पर जातक को विदेश यात्रा विदेश से जुड़ी हुई क्षेत्र में धन प्राप्ति में भरपूर सहयोग प्रदान करते हैं। जातक को भौतिकवाद के प्रति आकर्षित करते हैं। जिस कारण से जातक  बहुत अधिक खर्च करता है। जातक की चाह  भौतिकवाद  में होने कारण जातक को कर्जवान हो जाता है। सप्तम दृष्टि से छठे भाव को देखने कारण दुर्घटना रोग शत्रुता जैसी स्थितियां जातक को परेशान करती है।



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