मंगल की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा का शुभाशुभ फल

 मंगल की महादशा में ग्रहो की अंतर्दशा का शुभाशुभ फल -:


मंगल की महादशा में मंगल की अंतर्दशा फल -:

मंगल की महादशा में मंगल यदि जन्म कुंडली में योगकारक व शुभ भाव में विद्यमान होकर शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक को भवन वाहन व प्रॉपर्टी के कार्यों में लाभ प्राप्त करता है साथ ही जातक के शत्रुओं का नाश होता है तथा जातक का प्रभाव बढ़ता है।और यदि जन्म कुंडली में मंगल ने कमजोर व पाप ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को गर्मी से होने वाले असाध्य रोग उत्पन्न होते हैं भाइयों में मनमुटाव, शत्रुओ में वृद्धि, भवन वाहन के कार्यों संबंधी क्षेत्र में भारी नुकसान, साथ ही रक्त संबंधी रोग भी उत्पन्न होते हैं।

मंगल की महादशा में राहु की अंतर्दशा फल -:

मंगल की महादशा में राहु की अंतर्दशा आने पर जातक को असाध्य रोग होते हैं शत्रुओं से भय, कीटों से भय, अग्नि से भय, राज से भय उत्पन्न होता है। परिवार में किसी विशिष्ट जनकी मृत्यु तक होती है। जातक को मस्तिक संबंधी बीमारी या मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। साथ साथ ही जातक के कार्यों में रुकावट उत्पन्न होती है तथा आकस्मिक  बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।

मंगल की महादशा में गुरु की अंतर्दशा का फल -:

मंगल की महादशा में गुरु सदैव शुभ फल प्रदान करने वाला होता है इष्ट मित्रों का भरपूर सहयोग प्राप्त होता है घर परिवार में सुख समृद्धि के संसाधनों में वृद्धि होती है तथा जातक को विशेष लाभ प्राप्ति के अवसर  प्राप्त होते हैं।  घर परिवार में मांगलिक कार्यों के आयोजन होते हैं। किंतु गुरु अगर कमजोर या पाप भाव में विद्यमान हो तो जातक को कान तथा कफ जनित रोग उत्पन्न करता है।

मंगल की महादशा में शनि की अंतर्दशा का फल -:

मंगल की महादशा में शनि की अंतर्दशा प्राय अनिष्ट फल प्रदान करने वाली ही होती है। इस काल में जातक व जातक के परिवार के ऊपर एक के ऊपर एक कठिनाइयां व विपत्तियां आती रहती है। जातक का मन पूरी तरह से अशांत रहता है। शत्रु जातक को अनावश्यक रूप से पीड़ित करते हैं। इसी के साथ जातक को धन हानि का सामना करना पड़ता है। व्यापारिक क्षेत्र में भी नुकसान को उठाना पड़ता है। साथ ही जातक का  एक्सीडेंट या हड्डी संबंधी रोग की प्रबलता होती है।


मंगल की महादशा में बुध की अंतर्दशा का फल -:

मंगल की महादशा में बुध की अंतर्दशा विशेष रूप से मिश्रित फल प्रदान करने वाली होती है।यदि बुध जन्म कुंडली में शुभ ग्रहों के साथ हो तो सुफल करता है और यदि पाप भाव या पाप भाव के स्वामी से संबंध बनाकर विद्यमान हो तो जातक को संबंधित पाप ग्रह के फल प्रदान करता है। अतः यदि बुध शुभ हो तो जातक को वक्ता लेखन पत्रकारिता तथा विलासीता के साधनों में वृद्धि करता है। और यदि अशुभ हो तो राज कार्य से, शत्रुओं से, हानि करवाने के साथ-साथ जातक को वाणी संबंधी विकार उत्पन्न करता है।।

मंगल की महादशा में केतु की अंतर्दशा का फल -:

मंगल की महादशा में केतु की अंतर्दशा का फल भी राहु की अंतर्दशा के फल तुल्य होती है मुख्य रूप से केतु अनिष्ट फल प्रदान करने वाला होता है इस समय में जातक को मानसिक तनाव व अशांति का वातावरण देता है। जातक को अपने शत्रुओं  से आकस्मिक धन हानि,  असाध्य रोग, घर परिवार के सदस्यों में भी असाध्य बीमारी के साथ-साथ सर्वत्र अनिष्ट फल दाता होता है।


मंगल की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का फल -:


शुक्र जन्म कुंडली में शुभ भाव में विद्यमान हो तो जातक को विदेश यात्रा या विदेश से धन अर्जन करने के अवसर प्रदान करता है साथ ही जातक को विलासिता की ओर आकर्षित करता है। संगीत नृत्य अभिनय आदि के क्षेत्र में कैरियर बनाने का शुभ अवसर प्रदान करता है। स्त्री सुख की प्राप्ति कराता है। यदि शुक्र अनिष्ट भाव में स्थित हो तो जातक को इन्ही कार्य से संबंधित असफलता प्रदाता भी हो जाता  है।

मंगल की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा फल -:

मंगल की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा आने पर जातक को राज कार्यों में लाभ, राज से सम्मान, घर परिवार और समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है। जातक के शत्रु परास्त होते हैं जातक का पराक्रम बढ़ता है साथ ही जातक को घर, वाहन, प्रॉपर्टी जमीन, जायदाद के क्षेत्र में लाभ प्राप्ति के अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं। इस प्रकार निष्कर्ष रूप में सूर्य की अंतर्दशा में सूर्य जिस भाव में विद्यमान हो और जिस भाव को देख रहा हो उस भाव से संबंधित अच्छे फल प्रदान करता है।

मंगल की महादशा में चन्द्रमा की अंतर्दशा फल -:

मंगल की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा यदि चंद्रमा जन्म कुंडली में शुक्ल पक्ष का और शुभ भाव में विद्यमान हो तथा किसी पाप ग्रह की दृष्टि नहीं हो तो अति शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। जातक को सुख सुविधा, मानसिक शांति व घर परिवार में प्रेम सौहार्द का वातावरण करता है जातक को अनेक प्रकार के स्रोतों से धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं किंतु यदि चंद्रमा पीड़ित व कमजोर हो तो जातक को जल संबंधी रोग उत्पन्न करने के साथ-साथ मानसिक अशांति  का कारण भी बनता है।


आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245


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