वैवाहिक जीवन विचार -: १, यदि वर के सप्तमेश की राशि में कन्या की राशि हो तो अति शुभ होता है। २, कन्या की राशि वर के सप्तमेश का उच्च स्थान हो तो दांपत्य जीवन अति सुख में होता है। ३, वर के सप्तमेश की नीच राशि में कन्या की राशि हो तो अति उत्तम है। ४, जन्म कुंड…
Read moreद्वादश भावों के कारक ग्रह -: ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह को अलग-अलग भाव का कारकत्व प्रदान किया गया है। जो इस प्रकार है-: १, प्रथम भाव का कारकत्व सूर्य देव को प्रदान किया गया है अर्थात प्रथम भाव के कारक ग्रह सूर्य देव होते हैं। २, जन्म कुंडली में दूसरे …
Read moreघर में सुख समृद्धि के ज्योतिषीय उपाय -: ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, कुछ उपाय घर में सुख, समृद्धि और शांति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। यह उपाय व्यक्ति के जन्मचार्ट के आधार पर भी निर्दिष्ट किए जा सकते हैं। कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. नियमित प…
Read moreचैत्र नवरात्रि भारतीय समाज में एक प्रमुख धार्मिक त्योहार है, जो नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में मनाया जाता है। यह उत्सव नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मनाया जाता है, जिसमें नौ विभिन्न रूपों की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि का आयोजन चैत्र म…
Read moreबृहस्पति को पॉजटिव करने के सरल उपाय -: बृहस्पति ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों में एक प्रमुख और महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इसे धर्म, ज्ञान, शिक्षा, समृद्धि, धन, समाज, धर्मिक गतिविधियों और विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। इसल…
Read moreविवाह में देरी के कारण -: नमस्कार मित्रों। आज की ज्योतिष चर्चा में हम एक महत्वपूर्ण विषय को लेकरचर्चा करने वाले हैं। आज की चर्चा का विषय है शादी में विलंबताका कारण क्या है। जैसाकी हम देखते हैं कि कुछ जातक जातिका 35 वर्ष की अवस्था होने जाती है फिरभी शादी नही…
Read moreमेडिकल एस्ट्रोलॉजी डॉक्टर बनने का योग -: नमस्कार मित्रों! हम सब मात पिता का सपना होता है कि हमारे बच्चे डॉक्टर इंजीनियर प्रशासनिक अधिकारी या एक सुव्यवस्थित जॉब करने वाले बने। अतः जैसे ही बालक बारहवीं बोर्ड एग्जाम पास करता है तो हम सबकी चिंता होती है कि बच्च…
Read moreसंतान प्राप्ति के उपाय -: १, अभिषेक-: उत्तम संतान प्राप्ति के लिए पति पत्नी को पारद शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए। २, ग्रह शांति -: पति पत्नी को जन्म कुंडली का सटीक विश्लेषण करवा के संतान प्राप्ति में बाधक ग्रह की शांति के सटीक उपाय किए जाने चाहिए। ३, आम की ज…
Read moreमांगलिक योग भ्रांतियां -: नमस्कार मित्रों! आज की चर्चामें हम मांगलिक दोषको लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां बनरही होती है। उनको लेकर चर्चा करेंगे। आईऐ आज की विशेष चर्चा को आगे बढ़ते हैं। १, भ्रांति नंबर 1 -: मंगल को लेकर के लोगों में भ्रांति होती है कि साउथ…
Read moreश्री यंत्र का रहस्य -: श्री यंत्र में बिंदु भगवती दुर्गा मां का भाव है। पूरा श्रीयंत्र दसमहाविद्याऐ और जीवन की चार अवस्थाएं जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय -ये चौदह भाव बताता है। ये चारों अवस्थाएं विश्व में दिखाई पड़ती है। जागृत में अहंकार द्वारा क्रिया ह…
Read moreगुलिक स्पष्ट निर्माण विधि -: ज्योतिष शास्त्र में गुलिक व मांदी का बहुत अधिक महत्व होता है। अतः आज हम गुलिक निर्माण वह गुलिक के स्वरूप को स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे। तो आइए जानते हैं गुलिक क्या है? व इसका निर्माण किस प्रकार से होता है? और फलित में इसका क्य…
Read moreकेंद्र त्रिकोण राजयोग -: जन्म कुंडली में बनने वाला" केंद्र त्रिकोण राजयोग" एक प्रमुख राजयोग की श्रेणी में आता है। और यह योग मुख्य रूप से जैसा कि नाम से ही विदित होता है केंद्र और त्रिकोण के ग्रहों के आपसी संबंधों से बनता है। अर्थात केंद्र 4, 7,10 औ…
Read moreहोली के दिन किए जाने वाले विशेष उपाय -: नेगेटिव एनर्जी को दूर करने के उपाय -: होली के दिन अपनी जेब में काले कपड़े में काले तिल बांधकर रख के रखें और रात को जल्दी होली में उनका डाल दें यदि पहले से आपके ऊपर कोई नेगेटिव एनर्जी का प्रयोग हुआ होता होलिकामें जल करके…
Read moreजन्म कुंडली में बनने वाले कुछ विशेष योग -: १, केदार योग -: यदि जन्म कुंडली के सातों ग्रह चार राशि में ही विद्यमान हो तो केदार नामक विशेष योग का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा जातक तिक्षण बुद्धि, पराक्रमी, शत्रु हन्ता व राज्य से प्रशंसा प्राप्त करके यश प्…
Read moreनक्षत्र संपूर्ण अध्ययन -: नक्षत्र विचार -: ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र पंचांग का प्रमुख अंग होता है जैसा कि हम जानते हैं कि तिथि वार नक्षत्र योग करण के संयुक्त रूप को पंचांग कहते हैं और आज हम नक्षत्र विषयक संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में …
Read moreलग्न दोष -: जन्मकुंडली में सबसे महत्वपूर्ण पार्ट जन्म कुंडली का लग्न और लग्नेश होता है। अतः जन्म कुंडली में लग्न भाव का स्वामी लग्नेश का बलवान होना अति आवश्यक होता है। क्योंकि जन्म कुंडली में लग्न भाव जातक का शरीर, चरित्र, व्यक्तित्व होता है। आज की परिचर्चा…
Read moreप्रेम योग -: प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसे जीवन में सच्चा प्यार मिले और किसी व्यक्ति को तो जीवन में बहुत अधिक प्यार मिलता है और किसी के नसीब में सच्चा प्यार नहीं होता है। इस प्रकार किसी के नसीब में बहुत ही शगुन का प्यार प्राप्त होता है और किसी क…
Read moreविपरीत राजयोग -: जैसा कि नाम से ही विदित होता है "विपरीत राजयोग" अर्थात सामान्य रूप से देखने पर ऐसा योग जो जातक के लिए अनिष्ट कारक सिद्ध होने वाला था, किंतु कुछ विशेष कारणों से वह अनिष्ट कारक योग जातक के लिए अति विशिष्ट राज योग के समान शुभ फल देन…
Read moreकितना धन कमाएगे आप ? आज की परिचर्चा में हम जन्म कुंडली में जातक के धन योग संबंधी चर्चा करने जा रहे हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अनेकों धन संबंधी योग जन्म कुंडली में बनते हैं। अतः ज्योतिष शास्त्र में मुख्य रूप से धन संबंधी योगो मे प्रमुख योग इस प्रकार है।…
Read moreवृषभ लग्न पत्रिका के द्वादश भावों में शनि देव का शुभाशुभ फल -: वृषभ लग्न कुंडली लग्नेश शुक्र देव शनिदेव को नवम भाव व दशम भाव का स्वामित्व दान करते हैं। अतः दोनों ही एक त्रिकोण का सबसे उत्तम व दूसरा केन्द्र का सबसे उत्तम भाव प्राप्त होने कारण तथा लग्नेश के …
Read moreRahul Dev ka vrishabh lagn mein shubhashubh fal.(वृषभ लग्न में राहु देव का फल)-: १, वृषभ लग्न की कुंडली में राहु लग्न में स्थित होने पर जातक को सदैव सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा जातक साहसी निडर होता हैं जैसा कि हम जानते हैं कि राहु देव को गुरु वत द…
Read moreगृहारंभ भूमि पूजन में तिथि वार नक्षत्र का चयन किस प्रकार करें? प्रत्येक मानव की प्रमुख तीन आवश्यकताओं में भवन की आवश्यकता अति प्रमुख आवश्यकता होती है। अतः प्रत्येक मानव का एक सुंदर सा सपना होता है कि उसका एक स्वर्ग से सुंदर सपनों का महल हो। जिसमें वह अपने प…
Read moreसप्तमांश से संतान सुख का विचार कैसे करें ? नमस्कार मित्रों! जैसा कि पूर्व लेट में हमने षोडश वर्गी कुंडलियों के बारे में जानकारी प्राप्त की थी। हमने जाना था कि किस कुंडली से किस भाव का विस्तार से अध्ययन करता है। जिसमें हमने एक-एक कुंडली का सामान्य परिचय भी…
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