राशि रत्न

जय श्री राधे राधे


आज हम बात करते हैं राशि रत्न के विषय में ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां होती है और प्रत्येक राशि का अलग-अलग स्वामी होता हैं अतः राशि के अनुसार भारतीय ज्योतिष में नव रत्नों का महत्वपूर्ण स्थान होता है राशि रत्न राशि के स्वामी का प्रतिनिधित्व करते हैं प्रत्येक ग्रह को प्रसन्न करने के लिए इन रत्नों का विशेष योगदान होता है किसी भी ग्रह के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हम राशि के अनुसार यदि रत्न धारण करते हैं तो उससे उस ग्रह का बुरा प्रभाव कम होता है और हमें उसके अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं किन्तु  प्रत्येक रत्न को पहनने से पहले हमें उसकी आवश्यक जानकारी होना अति आवश्यक होती है सही रत्न को धारण किए जाने से ही हमारे जीवन का बुरा काल समाप्त होता है वही राशि के प्रतिकूल रत्न को धारण करने से जीवन में कई प्रकार के संकट भी आ सकते हैं अतः किसी भी रत्न को धारण करने से पहले उसकी संपूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक हो जाता है क्योंकि कई बार ऐसा देखा जाता है कि लोग फै‌सन में रत्न धारण कर लेते हैं जिनकी वजह से उनकी जीवन में कई प्रकार के कष्ट आ जाते हैं रत्न धारण करने से पहले हमें किसी जानकार ज्योतिषी से सलाह लेकर के रत्न के आवश्यक नियमों के अनुसार हमें रत्न धारण करना चाहिए। तो आइए आज हम इसी विषय को लेकर के विस्तार से चर्चा करते हैं । कि किस राशि के जातक को कौन सा रत्न धारण करना चाहिए या जन्म कुंडली के विश्लेषण के अनुसार किस समय किस ग्रह के प्रभाव को कम करने के लिए हमें अमुक रतन धारण करना चाहिए।।



                    -:  नव रत्न -:

१, माणिक्य रत्न -



नवरत्नों में  पहला रत्न  माणिक्य होता है। माणिक  भगवान सूर्य का प्रतिनिधित्व करता हैं अतः जिस प्रकार से भगवान सूर्य का रंग लाल होता है उसी प्रकार से माणिक  भी लाल रंग का होता है। और मानिक के हमारे शरीर में ऊर्जा का संचालन को नियंत्रित करता है साथ ही साथ हमारे मानसिक संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है। भगवान सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए मानिक रतन धारण किया जाता है जिस प्रकार से सूर्य अपने प्रकाश से सम्पूर्ण भू लोक में प्रकाश फैलाते हैं उसी प्रकार से मानिक  भी हमारे जीवन में हमारे यश कीर्ति को सर्वत्र प्रकाशित करता है  इसी प्रकार यदि हमें भगवान सूर्यनारायण को शक्तिशाली बनाना है तो हमें मानिक के रत्न धारण करना चाहिए और जितना बढ़ा मानिक  धारण करते हैं वह उतना ही हमारे लिए लाभप्रद होता है कम  से कम पांच रत्ती का मानिक तो हमें धारण करना ही चाहिए। माणिक को धारण मुख्य रूप से रविवार के दिन सोने की अंगूठी में मंडवाकर दाहिने हाथ की  अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। इसको धारण करने से पहले हमें प्रातकाल स्नान आदि क्रिया से निवृत्त होकर  पुर्वाभिमुख होकर भगवान सूर्य के सामने आसन लगाकर के विराजित हो जाए और एक पात्र में अंगूठी को रख देवे, दो अगरबत्ती जला वे और फिर  पंचामृत से अंगूठी को स्नान करावे, स्नान कराकर  भगवान सूर्य नारायण को दिखा करके भगवान सूर्य के सामने अपनी मनोकामना पूर्ण की प्रार्थना करते हुए इसे धारण करना चाहिए।


२, मोती रत्न -



 मोती रत्न चंद्र देव  का प्रतिनिधित्व करता हैं चंद्र देव को शक्तिशाली बनाने के लिए हमें मोती धारण करना चाहिए। मोती हमारे स्वभाव में निर्मलता व संतोषी प्रवृत्ति को विकसित करता है साथ ही  हमारे मन में धैर्य, गंभीरता व शुद्ध विचारों को बनाए रखने में हमारी सहायता करता है मोती कम से कम 3 रत्ती से अधिक का होना अति आवश्यक होता है और इसे चांदी की अंगूठी में बनवा कर शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार को धारण करें और यदि शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन रोहिणी नक्षत्र आ रहा हो तो  अति उत्तम रहता है इसको धारण करने से पहले हमें अपने इष्ट देव भगवान के सामने दो अगरबत्ती जला कर अंगूठी को पंचामृत से स्नान कराकर धूपबत्ती दिखावे और भगवान के सामने अपनी मनोकामना बताते हुए इसको धारण करें।

३,मूंगा रत्न -



मूंगा रत्न सिंदूरी कलर का होता है और मूंगा मंगल देव का प्रतिनिधित्व करता है अतः मंगल देव के प्रभाव को विकसित करने के लिए हमें मूंगा रत्न धारण करना चाहिए और कम से कम मूंगा 5 रत्ती का अवश्य होना चाहिए। इसे तांबे की अंगूठी में मंगलवार के दिन सूर्योदय के कुछ समय बाद विधि पूर्वक धारण करना चाहिए। इस प्रकार मंगल के प्रभाव को बढ़ाने के लिए  मूंगा धारण करते हैं जिससे हमारे शरीर में साहस बल व ऊर्जा का संचालन बढता है जिनकी जन्म कुंडली में मंगल दोष होता है उनको मूंगा रत्न धारण करना चाहिए किंतु ध्यान रहे मूंगा रत्न नीलम हीरा गोमेद वसुनिया रत्न के साथ कभी भी नहीं पहनना चाहिए।

४,पन्ना रत्न -


 पन्ना रत्न बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और पन्ना हरे वर्ण का होता है अर्थात तोते कलर का होता है पन्ना रत्न कम से कम 6 रति का होना चाहिए। इसे बुधवार के दिन सोने की अंगूठी में बनवा कर के सूर्योदय के समय अपने दाहिने हाथ की सबसे छोटी अंगुली में धारण करना चाहिए जिससे भगवान बुद्ध प्रसन्न होते हैं और हमारे जीवन मेंऐश्वर्य की प्राप्ति कराते हैं। पन्ना रत्न स्वयं प्रकाशित होने की क्षमता रखता है यह ऐसा लगता है जैसे मानो स्वयं प्रकाशित हो रहा हो। साथ ही यह भी सावधानी रखनी चाहिए कि पन्ने के साथ कभी भी मोती और मूंगा रत्न एक साथ नहीं पहनना चाहिए अन्यथा हमें इसके विपरीत परिणाम प्राप्त होंगे।

५,पुखराज रत्न -


 पुखराज देव गुरु बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता हैं बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। और कम से कम 5 रत्ती के ऊपर का पुखराज हमें धारण करना चाहिए। इसे सोने की अंगूठी में बनवा कर के अपने दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में सूर्याेदय के समय धारण करना चाहिए। जिससे भगवान बृहस्पति की कृपा हम पर होती है। इसे धारण करने से हमारे जीवन में आर्थिक परेशानियां समाप्त होती है क्यों किसको दान करने से हमें आर्थिक लाभ प्राप्त होना प्रारंभ हो जाता है इसी प्रकार से यदि किसी लड़की के विवाह में देरी हो रही हो तो उसे पुखराज धारण करवाया जाता है और यह ध्यान करने से 30 दिनों के अंदर अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देता है और प्राय लगभग 4 वर्षों तक किसका प्रभाव बना रहता है

६,हीरा रत्न -


हीरा रत्न शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है शुक्र देव को प्रसन्न करने के लिए या शुक्र को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा रत्न धारण किया जाता है और कम से कम 2 कैरेट से अधिक का हिरा में धारण करना चाहिए। इसे शुक्रवार के दिन हमारी मध्यमा अंगुली में चांदी में बनवा करके धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से हमारे गृहस्थ जीवन में सुख शांति बनी रहती है अतः अपने जीवन में पति पत्नी के संबंध को मधुर बनाए रखने के लिए आजीवन हीरा धारण करना चाहिए।

७,नीलम रत्न -



नीलम शनिदेव का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न होता है शनि देव को प्रसन्न करने के लिए नीलम रत्न को धारण किया जाता है नीलम रत्न कम से कम 5,6 रति का होना चाहिए और इससे शनिवार के दिन पंच धातु की अंगूठी में बनवा करके मध्यमा अंगुली में शनिवार के दिन धारण करना चाहिए। जिससे हमारे जीवन में सुख शांति बनी रहती है।

८,गोमेद रत्न -


गोमेद राहु के प्रभाव को कम करने के लिए या राहु को प्रसन्न करने के लिए धारण किया जाता है। इसे बुधवार या शनिवार को पंचधातु की अंगूठी में बनवा करके अपने दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। और कम से कम 5 रत्ती का यह होना चाहिए, जिससे हमारे जीवन में स्थिरता में वृद्धि होती है। मन में किसी भी प्रकार का भय नहीं बना रहता है तथा आत्मचिंतन शक्ति को भी बढ़ाता है।


९ , लहसुनियां रत्न -


लहसुनिया केतु की शांति के लिए धारण किया जाता है और इससे गुरुवार के दिन सूर्योदय से पूर्व पंच धातु की अंगूठी में बनवा करके गुरुवार के दिन दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है केतु के प्रभाव को दूर करने में यह बहुत उपयोगी होता है।




राशि के अनुसार रत्न  -

मेष राशि -  

मेष राशि वालों के लिए मूंगा रत्न होता है क्योंकि मेष राशि का स्वामी मंगल होता है और मंगल का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न मूंगा होता है।

वृष राशि -

वर्ष राशि वालों के लिए हीरा रत्न होता है क्योंकि वृष राशि का स्वामी शुक्र होता है और शुक्र का कारक रत्न हीरा होता है अतः वृष राशि वाले जातकों को अपने राशिपति को प्रसन्न करने के लिए हीरा धारण करना चाहिए।

मिथुन राशि -

मिथुन राशि वाले जातकों के लिए पन्ना रत्न होता है क्योंकि मिथुन राशि का स्वामी बुध है और बुध का रत्न पन्ना होता है

कर्क राशि -

कर्क राशि के लिए मोती रत्न है क्योंकि कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा  है और चंद्रमा का कारक रत्न मोती होता है ।

सिंह राशि -

सिंह राशि वालों को माणिक रत्न धारण करना चाहिए क्योंकि सिंह राशि का स्वामी सूर्य होता है और सूर्य का कारक रत्न माणिक है।


कन्या राशि -

कन्या राशि के जातकों  के लिए भी पन्ना रत्न होता है क्योंकि कन्या राशि का स्वामी भी बुद्ध होता है।

तुला राशि -

तुला राशि का रत्न हीरा होता है क्योंकि तुला राशि का स्वामी शुक्र होता है।

वृश्चिक राशि -

वृश्चिक राशि का रत्न मूंगा होता है क्योंकि वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है अतः वृश्चिक राशि के जातकों को अपनी राशि पति को प्रसन्न करने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए।

धनु राशि -

धनु राशि के लिए पुखराज रत्न होता है क्योंकि धनु राशि का स्वामी गुरु होता है और गुरु का कारक रत्न पुखराज है अतः अपनी राशि पति को प्रसन्न करने के लिए धनु राशि वाले जातकों को पुखराज रत्न धारण करना चाहिए।

मकर राशि -

मकर राशि का स्वामी शनि देव है अतः मकर राशि के जातकों को नीलम रत्न धारण करना होता है क्योंकि सनी का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न नीलम होता है।

कुंभ राशि -

कुंभ राशि का स्वामी भी शनि होता है अतः कुंभ राशि के लिए भी नीलम रत्न धारण करना होता है।

मीन राशि -

मीन राशि का स्वामी देव गुरु बृहस्पति है अतः मीन राशि के जातकों के लिए पुखराज रत्न धारण करना होता है।


Note -


अपनी राशि के अनुसार शुद्ध रत्न प्राप्त करने के लिए निम्न व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क  कर  सकते हैं।

Mo,9414657245




ज्योतिषाचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री 

   

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