चंद्र कुंडली अध्ययन

 चंद्र कुंडली अध्ययन -:

ज्योतिष शास्त्र में लग्न  को देह व षड वर्ग को तारागण और चंद्रमा को प्राण कहा गया है। शेष आठ ग्रहों को धातु की संज्ञा दी गई है। किंतु जब प्राण ही नष्ट हो जाए तो शरीर धातु और इत्यादि का कोई महत्व नहीं रह जाता है क्योंकि वह भी स्वत ही प्राणों के मरते मर जाते हैं। यही स्थिति चंद्रमा के ऊपर समझना चाहिए। इसी प्रकार से ज्योतिष में लग्न आत्मा और चंद्रमा मन होता है और मन से ही आत्मा का अस्तित्व होता है। इस प्रकार ज्योतिषी को जन्म कुंडली का अध्ययन करते समय लग्न से लेकरकर द्वादश भावों का अध्ययन करने के साथ-साथ चंद्रमा का भी मुख्य रूप से अध्ययन करके फल कहना चाहिए। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में इस देह रूपी वृक्ष का बीज और जल चंद्रमा को माना गया है। लग्न इस देह रूपी वृक्ष का पुष्प होता है और नवमांश इस देह रूपी वृक्ष का फल होता है और कुंडली के भाव इस देह रूपी वृक्ष के फल के स्वाद होते हैं। इस प्रकार से हमें जन्म लग्न, चंद्र लग्न, नवमांश और भावों के फल को समझना चाहिए।

चंद्र राशि फल -:

चंद्र कुंडली का अभिप्राय  होता है कि जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस अंक की राशी में विद्यमान होता है। उस अंक को लग्न मान कर उसका अध्ययन करना चंद्र कुंडली कहलाती है। तो आइए जानते हैं चंद्र  राशि के फल के विषय में,

१, यदि चंद्र कुंडली में लग्न मेष राशि का बनता है तो जातक निडर साहसी परंतु सदैव रोगी रहने वाला होता है। ऐसे जातक की आंखें चंचल होती है तथा जातक धर्म-कर्म के प्रति विश्वास रखने वाला होता है।

२, वृष राशि वाला जातक सांसारिक भोगो के प्रति आसक्ति रखने वाला, सौम्य आचरण करने वाला होने के साथ-साथ धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाला होता है। ऐसा जातक खुले दिल वाला होता है।

३, मिथुन राशि वाले जातक नृत्य संगीत कला में रुचि रखने वाला मानवीय गुणों से युक्त धार्मिक प्रकृति का तथा आधुनिक विचारधारा रखने वाला होता है।

४, चंद्र कुंडली के लग्न में कर्क राशि के जातक का स्वभाव शीतल मृदुल व शांत स्वभाव का होता है। ऐसा जातक चंचल व हंसमुख प्रकृति का होता है साथ ही गुणवान, धैर्यवान, चरित्रवान, भाग्यवान होते हैं।

५,,सिंह राशि का जातक स्वभाव से निडर, साहसी व स्वच्छंद प्रकृति का होता है। ऐसा जातक स्वाभिमानी होने के साथ-साथ क्रोधी प्रकृति का भी होता है। किंतु मेहनती व घर परिवार में जिम्मेदार होते हैं।

६, कन्या राशि का जातक सभी को प्रसन्न करने वाला विलासिता के प्रति आसक्त तथा लेखन गायन का शौकीन होता है। ऐसा जातक वाणी का जादूगर होता है। अर्थात वाकपटु होने के साथ-साथ एक स्पष्ट वक्ता होता है।

७, तुला राशि का जातक कामी व स्त्रियों में अत्यधिक आसक्ति रखने वाला होता है। विलासिता के साधनों को भोगने वाला व आत्मा का साफ होता है। इस प्रकार ऐसा जातक श्रेष्ठ कर्म करने वाला होने के साथ-साथ धनवान व भाग्यवान होता है।

८, वृश्चिक राशि का जातक जीवन में अधिकतर समय घर से बाहर रहने वाला साहसी परंतु क्रूर स्वभाव का होता है ऐसा जातक स्त्रियों में आसक्ति रखने वाला व झगड़ालू प्रकृति का होता है।

९, धनु राशि वाला जातक सद चरित्र करने वाला, बड़ों का सम्मान करने वाला, धर्म कर्म में विश्वास रखने वाला, यशवान कीर्तिमान होने के साथ-साथ देश काल परिस्थिति के अनुकूल आचरण करने वाला होता है।

१०, मकर राशि का जातक पराक्रमी साहसी होता है साथ ही साथ  ऐसे अनैतिक क्रियाकलापों में संलग्न होते हैं। विद्वानों का अनादर करने वाले व माता पिता की सेवा करने वाले भी होते हैं।


११, कुंभ राशि का जातक दूसरों की सहायता करने वाला परोपकारी व कठोर परिश्रम करने वाला होता है ऐसा जातक अपने जीवन में अपनी मेहनत के द्वारा धन अर्जित करता है। अर्थात अनैतिक क्रियाओं से धन अर्जित नहीं करता है।

१२, मीन लग्न की राशि में जन्म लेने वाला जातक धनवान गुणवान व अनावश्यक धन खर्च करने वाला होता है। किंतु ऐसे जातक जीवन में बहुत अधिक आगे बढ़ने वाले होते हैं तथा बड़ों का सम्मान करना इनकी प्रकृति होती है।



आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री
9414657245




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