श्रीकंठ योग

 श्री कंठ, श्रीनाथ,व वैरिञ्चियोग -:


जय श्री राधे राधे!
ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली में बनने वाले तीन योग प्रमुख होते हैं। जिनको श्रीकंठ श्रीनाथ व वैरिन्चि योग की संज्ञा दी गई है। जिसमें श्रीकंठ भगवान शिव का नाम होता है, श्री नाथ भगवान विष्णु का नाम होता हैऔर बिरंचि भगवान ब्रह्मदेव को कहा गया है। तो आइए जानते हैं क्रम से तीनों ही विलक्षण योगो का निर्माण जन्म कुंडली में किस प्रकार होता है?

१, श्रीकंठ योग -:

यदि जन्म कुंडली में लग्न भाव का स्वामी, चंद्रमा व सूर्य तीनो अपनी स्वराशि, मित्र राशि या उच्च राशि में स्थित होकर लग्न से केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो उस स्थिति में श्रीकंठ योग का निर्माण होता है।

फल-:

जिस बालक की जन्मकुंडली में श्रीकंठ योग का निर्माण होता है वह बालक जन्म से ही शिव उपासक होता है और उस पर भगवान शिव की असीम कृपा होती है इस कारण ऐसा जातक सदैव शिव के गुणों से विभूषित होता है साधु संतों का सम्मान करने वाला आध्यात्मिकता में विश्वास रखने वाला तथा    शिव तत्व को जानने वाला होता है।


२, श्रीनाथ योग-:

यदि जन्म कुंडली में बुध शुक्र व भाग्य भाव का स्वामी तीनों ही अपनी स्वराशि, मित्र राशि अथवा उच्च राशि में स्थित होकर केंद्र त्रिकोण में स्थित हो उस स्थिति में कुंडली में श्रीनाथ योग का निर्माण होता है।


फल -:


 जिस जातक की जन्म कुंडली में श्रीनाथ योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक जन्म से ही भगवान विष्णु का परम उपासक होता है और ऐसे जातक के ऊपर भगवान लक्ष्मी नारायण की कृपा सदैव बनी रहती है। इस कारण ऐसा जातक अपने जीवन में सद् आचरण करने वाला, संतो का सम्मान करने वाला, आध्यात्मिक विचारों को धारण करने वाला, सुंदर सरल स्वभाव वाला, धीर गंभीर व बुद्धिमान होता है। ऐसे जातक के जीवन में सदैव सुख शांति व मंगल ता में वृद्धि होती रहती है।


३,विरन्चीयोग -:

यदि जन्म कुंडली में पंचम भाव का स्वामी, बृहस्पति और शनी ये तीनों ग्रह अपनी स्वराशि, मित्र राशि अथवा अपनी उच्च राशि में स्थित होकर लग्न से केंद्र त्रिकोण में स्थित हो तो विरन्ची योग का निर्माण होता है।


फल -:


जिस जातक की जन्मकुंडली में बिरंचि योग का निर्माण होता है ऐसा जातक प्रखर बुद्धि मान होता है लेखन परंपरा में विख्यात होता है। अपने सदाचरण से किसी विशेष आविष्कार को करने वाला होता है। विरन्चि योग वाला जातक एक महान वैज्ञानिक होता है। ऐसे जातक के जीवन में सर्व प्रकार से सुख शांति बनी होती है।



आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री

9414657245



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