भावात् भावम का सिद्धांत -:
ज्योतिष शास्त्र में भावात भावम का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत होता है। जो जन्म कुंडली विश्लेषण में सर्वाधिक उपयोगी होता है। तो आइए जानते हैं भावात भावम का सिद्धांत क्या होता है?
१, भावात भावम का सामान्य अर्थ होता है भाव से भाव अर्थात जिस प्रकार से भवन वाहन के सुख का विचार हम चतुर्थ भाव से करते हैं किंतु इसका सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें चतुर्थ से चतुर्थ का भी विश्लेषण करना होगा जो कि चतुर्थ भाव से चतुर्थ भाव होता है सप्तम भाव।,उसी प्रकार से पुत्र विद्या का विचार पंचम भाव से करते हैं इसका सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए पंचम से पंचम का भी विश्लेषण करना होगा जो कि पंचम से पंचम भाव होता है नवम भाव।,इसी प्रकार रोग शत्रु रोग आदि का विचार षष्टम भाव से करते हैं अतः इसका सुक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें षष्टम से षष्टम भाव का विचार करेंगे जो कि षष्टम से षष्टम भाव होता है एकादश भाव अतः रोग शत्रु का विचार करने के लिए षष्टम व एकादश का विचार करना आवश्यक होता है। इसी तरह से सप्तम भाव से रोजमरे की आमदनी पत्नी सुख का विचार हम सामान्य रूप से करते हैं किंतु इनका सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें भावत भावम के नियम के अनुसार सप्तम से सप्तम का विचार करना होगा जो होगा लग्न,। इसी प्रकार जैसे कि हम जन्म कुंडली में अष्टम भाव से बीमारी व उम्र का अध्ययन करते हैं अतः इस भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें अष्टम से अष्टम को भी देखना होगा जो अष्टम से अष्टम बनता है तृतीय भाव ,अतः अष्टम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमे जन्म कुंडली के तृतीय भाव का भी देखना होगा,। इसी क्रम में नवम भाव से हम भाग्य व धार्मिक विचारों को देखते है। अतः नवम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें नवम से नवम देखना होगा जो कि नवम भाव से नवम भाव बनता है पंचम भाव, अतः जातक की जन्म कुंडली के नवम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें नवम भाव के साथ साथ पंचम भाव का भी विश्लेषण करना होगा। इसी प्रकार से जन्म कुंडली के दशम भाव से हम राजकी सेवा व कर्म क्षेत्र का अध्ययन करते हैं अतः इसका सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें दशम से दशम भाव का भी अध्ययन करना होगा जो कि दशम से दशम बनता है सप्तम भाव। अतः दशम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें सप्तम भाव को भी देखना चाहिए। जन्म कुंडली के एकादश भाव का विश्लेषण हम इनकम को देखने के लिए करते हैं अतः जातक की इनकम का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें एकादश भाव से एकादश भाव का अध्ययन करना होगा और एकादश से एकादश भाव बनता है नवम भाव। इसी प्रकार से जन्म कुंडली के 12वे भाव से हम जातक के जीवन में खर्च का अध्ययन करते हैं अतः द्वादश भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें द्वादश से द्वादश अर्थात एकादश भाव का विचार करना होगा। इसी प्रकार से लग्न का लगन से विचार करते हैं क्योंकि प्रथम से प्रथम भाव लग्न हीं बनता है।धन का विचार जैसे कि हम जन्म कुंडली के द्वितीय भाव से करते है। अतः दूसरे से दूसरे भाव का भी अध्ययन करना होता है जो कि दूसरे से दूसरा भाव होता है तीसरा भाव। इसी प्रकार तीसरे भाव से हम पराक्रम भाई बहन का विचार करते हैं। अत इसका सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए हमें तीसरे से तीसरे भाव का विचार करना होगा जो होगा पंचम भाव।
Note-:
निष्कर्ष रूप में भावत भावम का सिद्धांत यह कहता है कि हम जन्मकुंडली के जिस संख्या के भाव का अध्ययन करते हैं उतनी संख्या आगे के भाव का भी हमें उस भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए अध्ययन करना चाहिए।
आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245
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