लॉटरी से धन प्राप्ति योग

 लॉटरी से धन प्राप्ति योग -:

१, कुंडली के पंचम भाव से लॉटरी में धन प्राप्ति का विचार किया जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि नवम भाव से गणना करने पर पंचम भाव नवम भाव बनता है और नवम भाव भाग्य का भाव होता है। और भाग्य हम उसे कहते हैं जिसमें कर्म पर विश्वास नहीं कर  देव योग से अचानक विशेष लाभ की प्राप्ति होना पर विश्वास करते हैं। और लॉटरी का धन हमें देव योग अथवा संयोग मात्र से प्राप्त होता है। इस कारण पंचम भाव से हम लॉटरी में धन प्राप्ति का विचार करते हैं। दूसरा कारण यह होता है कि लॉटरी का धन एक प्रकार से जनता का धन होता है और जन्म कुंडली में जनता का विचार हम चतुर्थ भाव से करते हैं और चतुर्थ से दूसरा भाव बनता है पंचम जो कि धन का भाव सिद्ध होता है। इस दृष्टि से भी पंचम भाव लॉटरी का भाव सिद्ध होता है।

२, लॉटरी की धन प्राप्ति में दूसरा एक प्रमुख सिद्धांत यह होता है कि लॉटरी के धन की हम अपेक्षा नहीं करते हैं अपितु एकाएक उसकी प्राप्ति हमें होती है और ज्योतिष शास्त्र में सडनली घटनाओं का कारक राहु व केतु को माना जाता है। अतः जब जातक की जन्म कुंडली में राहु और केतु का योग पंचम भाव से होता है तो अचानक लॉटरी लगने का योग बनता है। इसके अतिरिक्त यदि राहु और केतु का संबंध धन भाव अर्थात द्वितीय भाव व नवम भाव से भी होता है तो यह लौटरी योग कुछ हद तक बनता है।

३, इसी क्रम में बुद्ध को भी शीघ्र लाभ प्राप्ति का ग्रह माना गया है ।अतः यदि जातक की जन्म कुंडली में बुध भी पंचमभाव में राहु अथवा केतु के साथ संबंध बनाता है। तो लॉटरी से धन प्राप्ति की और अधिक संभावना बन जाती है।


आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री
9414657245




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