जन्म कुंडली में बनने वाले कुछ विशेष योग -:
१, केदार योग -:
यदि जन्म कुंडली के सातों ग्रह चार राशि में ही विद्यमान हो तो केदार नामक विशेष योग का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा जातक तिक्षण बुद्धि, पराक्रमी, शत्रु हन्ता व राज्य से प्रशंसा प्राप्त करके यश प्राप्ति करने वाला होता है साथ ही जातक भौतिक सुख सुविधा संपन्न जीवन यापन करता है।
२, समुद्र योग -:
यदि जन्म कुंडली में एक एक भाव को छोड़कर अर्थात दितीय, चतुर्थ, षष्टम, अष्टम, दशम, द्वादश भाव में ही सभी ग्रह विद्यमान हो तो समुद्र नामक विशेष योग का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा जातक समुद्र के समान धैर्यवान, गंभीर, अनुशासित, कीर्तिवान,यशवान, धनवान, होता है।
३,युग योग -:
जातक की जन्म कुंडली में यदि सभी ग्रह मुख्य रूप से दो ही राशियों में स्थित हो तो युग नामक योग का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा जातक निर्धन, निर्लज्ज,धनहीन, पुत्र हीन, श्री हीन ,माता-पिता के सुख रहित,रोगी, होता है।
४,मुसलयोग -:
यदि सभी ग्रह चर राशियों में स्थित हो उस स्थिति में मुसल नामक योग का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा जातक दीर्घायु, धनवान,यशवान, भौतिक सुख सुविधा से संपन्न होने के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में विधायक समकक्ष पद प्राप्त करता है।
५, राजहंस योग -:
सभी ग्रह यदि विषय राशियों में स्थित हो तो राजहंस योग बनता है। ऐसा जातक जीवन में उच्च सरकारी पद प्राप्त करता है।
६, श्री नाथ योग -:
यदि उच्च राशि स्थ सप्तमेश दशमभाव में, और दशमेश नवम भाव में स्थित हो तो श्री नाथ योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक जीवन में उच्च राजनीतिक पद प्राप्त करता है।
७,चतुसार योग -:
यदि सभी ग्रह केन्द्र १,४,७,१० अथवा चर राशि में स्थित हो तो चतुसार योग का निर्माण होता है।इस योग में जातक राज्याधिकारी होता है।
८,कमल योग -:
यदि सभी ग्रह केंद्र में ही स्थित हो तो कमल नामक योग का निर्माण होता है। इस युग में जन्मा जातक उच्च अधिकारी या उच्च राजनेता होता है।
९,कलश योग -:
जन्म कुंडली में सभी शुभ ग्रह यदि 9 व 11 भाव में स्थित हो तो कलश योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक उच्च शासनाधिकारी होता है।
१०,सर्प योग -:
यदि सूर्य शनि मंगल चतुर्थ, सप्तम या दशम में होऔर चन्द्र , गुरु,शुक्र,व बुध इनके अतिरिक्त दूसरे स्थानों में स्थित हो तो सर्प नामक योग का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा जातक निर्धन रोगी पाप कर्म में प्रवृत्त अनैतिक कार्य करने वाला व दुखी होता है।
आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री
9414657245
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