Grahon ka Bal(ग्रहों का बलाबल)

 ग्रहों का बलाबल -:

ज्योतिष शास में ग्रहों के बल को चार प्रकार का बताया गया है। १, सर्वोच्च बली
२, उच्च बली
३,बली
४,निर्बली

इनमें प्रत्येक ग्रह मूल त्रिकोण में होने पर सर्वोच्च बली होता है।  उच्च का होने पर बलि माना जाता है। स्वक्षेत्री होने पर बलि और नीच के होने पर ग्रह निर्बली होता है।

प्रत्येक ग्रह के सर्वोच्चबली, उच्च बली, बली व निर्बली को स्पष्ट रूप से हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं।

१, सूर्य -:

सिंह राशि में सूर्य देव स्वक्षेत्रीय होते हैं। १ से २० अंश तक मूल त्रिकोण में होता है। २१ से ३०अंशो तक स्वक्षेत्री होते हैं।  1 से 10 अंशों पर मेष राशि में सूर्य उच्च के होते हैं और 1 से 10 अंश पर ही तुला राशि में नीच के होते हैं।

२, चन्द्रमा -:

चंद्रदेव कर्क राशि में स्वक्षेत्री होते हैं।  वृष राशि में 3 अंश तक उच्च के होते हैं। और वृष के 4 से 30 अंश तक मूल त्रिकोण में होते हैं। वृश्चिक राशि में 3अंश तक नीच के होते हैं।

३, मंगल -: 

मंगल देव मेष व वृश्चिक राशि में स्वक्षेत्री होते हैं क्योंकि दोनों ही राशियां मंगल देव की होती है। परंतु मेष राशि के 1 से 10 अंश तक मूल त्रिकोण में होते हैं। और 11 से 30 अंश तक स्वक्षेत्री होते हैं। मकर राशि के 28 अंश तक  उच्च के होते हैं। तथा कर्क राशि के 28 अंकों तक नीच के होते हैं।

४, बुध -:

बुद्धदेव मिथुन व कन्या राशि के स्वामी होते हैं अतः दोनों ही राशियों में स्व क्षेत्री होते हैं परंतु कन्या राशि के 1 से 18 अंश तक मूल त्रिकोण के होते हैं। और 19 से 30 तक अंशों तक स्वक्षेत्री होते हैं। बुध देव कन्या राशि में ही 1 से हैं 15 अंश तक उच्च के होते हैं तथा मीन राशि के 15 अंश तक नीच के होते हैं। इस प्रकार बुद्धदेव कन्या राशि में 1 से 15 तक उच्च के 1 से 18 तक मूल त्रिकोण के 19 से 30 अंश तक स्व क्षेत्रीय होते हैं।


५,गुरु -:


गुरु धनु व मीन राशि में स्व क्षेत्री होते हैं परंतु धनु राशि के 1 से 13 अंश तक मूल त्रिकोण के होते हैं। और 14 से 30 अंश तक स्वक्षेत्री माने जाते हैं। कर्क राशि के 5 अंश तक उच्च के व मकर राशि के 5 अंश तक नीच के होते हैं।


६, शुक्र -:

शुक्र देव वृष और तुला राशि में स्वक्षेत्री होते हैं परंतु तुला राशि के 1 से 10 अंश तक मूल त्रिकोण व 11 से 30 अंश तक स्व क्षेत्री  होते हैं। मीन राशि के 27 अंश तक उच्च के व कन्या राशि के 27 अंश तक नीच के होते हैं।

७, शनि -:

शनिदेव मकर व कुंभ राशि मेष व स्वक्षेत्री होते हैं किंतु कुंभ राशि के 1 से 20 अंश तक मूलत्रिकोण व 21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्री होते हैं। तुला राशि के 20 अंश तक उच्च के व मेष राशि के 20 अंश तक नीच के होते हैं।

८, राहु -:

कन्या राशि में राहु स्वक्षेत्री होते हैं। मिथुन राशि के 15 अंश तक राहु देव उसके वह धनु राशि के 15 अंश तक नीच के होते हैं। इसके विपरीत कुछ विद्वान कर्क राशि को राहु की मूल त्रिकोण राशि व वृष राशि को उच्च व वृश्चिक राशि को नीच  की राशि मानते हैं।


९, केतु -:

केतु देव मिथुन राशि में क्षेत्रीय होते हैं परंतु धनु राशि के 15 अंश तक उच्च के व मिथुन राशि के 15 तक नीच के होते हैं। इसके विपरीत कुछ विद्वान इनको वृश्चिक राशि में उच्च  और वृष राशि मीन में नीच का मानते हैं।



आचार्य कौशल कुमार शास्त्री
9414657245


एस्ट्रोलॉजर केके शास्त्री


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