गृहारंभ भूमि पूजन में तिथि वार नक्षत्र का चयन किस प्रकार करें?
प्रत्येक मानव की प्रमुख तीन आवश्यकताओं में भवन की आवश्यकता अति प्रमुख आवश्यकता होती है। अतः प्रत्येक मानव का एक सुंदर सा सपना होता है कि उसका एक स्वर्ग से सुंदर सपनों का महल हो। जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहकर सभी सांसारिक सुखों का आनन्द पूर्वक भोग कर सकें। अतः अपने सपने को महल को बनाने के लिए मानव तिनका तिनका जोड़ कर दिन-रात भाग दौड़ कर अपने इस सपने को पूर्ण करता है। हमारे सनातन धर्म ग्रंथों में भवन निर्माण में वास्तु शास्त्र के सभी नियमों का पालन करते हुए गृह आरंभ के समय तिथि वार नक्षत्र का समुचित विचार करने के बाद ही गृह आरभ कार्य प्रारंभ करना चाहिए। जिससे गृह स्वामी को पूर्ण सुख शांति ऐश्वर्य व आनंद की प्राप्ति हो सके। इसलिए ग्रहारम्भ अर्थात भूमि पूजन के समय शुभ मुहूर्त का चयन कर भवन निर्माण कार्य प्रारंभ करते हैं। अतः आज हम जानेंगे कि किस प्रकार किस समय किन बातों को ध्यान में रखकर भवन निर्माण का शुभ मुहूर्त चयन किया जाता है। जो निम्न प्रकार हैं -
गोचर शुद्धि -:
सबसे पहले गृह स्वामी की जन्म या नाम राशि से सूर्य चंद्र गुरु बृहस्पति की बलवान स्थिति का बोध करना चाहिए। गुरु शुक्र सूर्य से अस्त नहीं हो, तथा सूर्य चंद्र शुक्र गुरु नीच गत राशि में नहीं होने चाहिए। और ना ही इन चारों ग्रहों में से एक भी ग्रह 6 8 12 में स्थित नहीं होना चाहिए। इस प्रकार गोचर शुद्धि का अवलोकन बलवान होने पर ही गृह आरंभ पर करना चाहिए।
शुभ तिथियां -:
गृहारंभ भूमि पूजन में मुख्य रूप से 1(कृष्ण पक्ष प्रतिपदा), 2, 3, 5 ,6 ,7 ,10, 11, 12, 13, 15 (पूर्णिमा) शुभ होती है।
किंतु शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और 4,9,14, 8,30(अमावश्या) तिथियां ग्रहारम्भ (भूमि पूजन) में शुभ नहीं मानी गई है।
शुभ वार -:
भूमि पूजन में सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार शुभ होते हैं तथा रविवार एवं मंगलवार पूर्ण रूप से निषेध होते हैं। अर्थात मंगलवार और रविवार को छोड़कर शेष वार शुभ माने गए हैं।
शुभ नक्षत्र -:
रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, चित्रा, हस्त, स्वाति, अनुराधा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, घनिष्ठा, शतभिषा, रेवती, आदि तेरह नक्षत्र भूमि पूजन में शुभ माने गए हैं।
भूमि सुप्त अवस्था (भूमि शयन) विचार -:
भूमि पूजन अर्थात भूमि खनन आदि से पहले भूमि शयन को अवश्य देखना चाहिए। भूमि शयन की अवस्था में भूमि पूजन अथवा भूमि खनन आदि कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में भूमि शयन का विचार इस प्रकार किया जाता है कि गृहारंभ अथवा भूमि पूजन भूमि खनन के दिवस के दिन सूर्य नक्षत्र से गृहारंभ के दिन के चंद्र नक्षत्र अर्थात चंद्रमा जिस नक्षत्र में है। उस गणना अनुसार 5,7,9 ,12 ,19,26 वा होने पर भूमि शयन होता है। भूमि शयन के दिवस का सर्वथा त्याग करके भवन आरंभ करना चाहिए।
Astrologer:
aacharya kaushal Kumar Shastri
Vaidik jyotish shodh sansthan
chauth ka barwada, sawai madhopur
Rajasthan 9414657245
astrologer aacharya KK Shastri |
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