तिथियों की नन्दादि संज्ञा

 तिथियों की नंदादि संज्ञा व शुभाशुभ फल विचार -:


जैसा कि हम जानते हैं कि ज्योतिष गणना में 15 तिथियां होती है। उन तिथियों को चार भागों में विभक्त किया गया है जिन्हें क्रमश नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता,व पूर्णा नाम दिया गया है। इन सभी तिथियों को निम्न प्रकार से विभक्त किया गया है।

तिथियां        संज्ञा        स्वामी    

1,6,11                नन्दा          शुक्र
2,7,12               भद्रा             बुध
3,8,13               जया             मंगल
4,9,14                रिक्ता            शनि
5,10,15,    (30)   पूर्णा              गुरु

इस प्रकार नंदा संज्ञक तिथियों के स्वामी शुक्र, भद्रा संज्ञक तिथियों के स्वामी बुध, जया संज्ञक तिथियों के स्वामी मंगल, रिक्ता संज्ञक तिथियों के स्वामी शनि, तथा पूर्णा संज्ञक तिथियों के स्वामी गुरु होते।


नंदादि तिथियों का शुभ अशुभ फल विचार -:

ये तिथियां अच्छे कार्य के लिए  शुक्ल पक्ष में क्रम से अधम, मध्यम,उत्तम तथा कृष्ण पक्ष में क्रम से उत्तम, मध्यम, अधम होती है।


अर्थात जैसे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अधम, षष्टमी मध्यम व एकादशी उत्तम होती है उसी प्रकार कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा उत्तम षष्टमी मध्यम व एकादशी अधम होगी।



शुक्ल पक्ष में -:

अधम,   मध्यम    उत्तम
1            ,6,        11,          नन्दा
2,            7,        12,           भद्रा 
3,            8,         13,          जया
4,             9,         14 ,         रिक्ता 
5,            10,        15,          पूर्णा

कृष्ण पक्ष में -:

उत्तम  मध्यम , अधम
1       ,6,       11
2,        7,       12
3,        8,       13
4,        9,       14
5,        10,     15


शुभता का विचार -:

इस प्रकार शुक्रवार के दिन नन्दा तिथियां, बुधवार के दिन भद्रा तिथियां , मंगलवार के दिन जया तिथियां, शनिवार के दिन रिक्ता तिथियां और गुरुवार के दिन पूर्णा तिथिया अति शुभ होती है इनमें किए गए कार्य सदैव शुभ परिणाम दायक होते हैं। क्योंकि नंदा  तिथियों के स्वामी शुक्र, भद्रा के बुद्ध, जया के मंगल रिक्ता शनी तथा पूर्णा के गुरु स्वामी होते हैं।

अशुभता का विचार -:


इसके विपरीत  रविवार के दिन नन्दा तिथियां, सोमवार को भद्रा

, मंगलवार को नन्दा, बुधवार को जया, गुरुवार को रिक्तता, शुक्र वार को भद्रा और शनिवार को पूर्णा तिथियां मृत संज्ञक होती है अतः इन तिथियों में शुभ कार्य सदैव वर्जित होते हैं।


1,611  रविवार
2,7,12सोमवार 
1,6,11मंगलवार
3,8,13 बुधवार
4,9,14 गुरुवार

2,7,12शुक्रवार
5,10,15 शनिवार

उपरोक्त तिथियां संबंधित वार के दिन अशुभ होती है।


तिथि क्षय व तिथि वृद्धि निर्णय -:

जिस तिथि में सूर्य देव का उदय होता है वह शुद्ध तिथि होती है। तथा जिस तिथि में सूर्य देव का उदय नहीं होता है वह तिथि क्षय हो जाती है। तथा जिस तिथि में सूर्य देव दो बार उदय होते हैं। वह तिथि वृद्धि होती है।



आचार्य कौशल कुमार शास्त्री

 वैदक ज्योतिष शोध संस्थान

 चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर (राजस्थान) 9414 6572 45



एस्ट्रोलॉजर केके शास्त्री



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