बुध रत्न पन्ना की संपूर्ण विस्तृत जानकारी

 

बुध रत्न पन्ना की संपूर्ण विस्तृत जानकारी -:

जैसा कि हम सब जानते हैं कि बुद्धदेव का प्रतिनिधित्व पन्ना रत्न करता है। जन्म कुंडली में बुद्धदेव योग कारक की स्थिति में होते हैं तो उस स्थिति में बुध को बलवान बनाने के लिए पन्ना रत्न धारण किया जाता है। पन्ना रत्न बहुत ही सुंदर व  दैविक भौतिक दृष्टि से बहुत ही उपयोगी होता है। आज हम इसी पन्ना रत्न के विषय में विस्तृत  जानकारी प्राप्त करने जा रहे हैं।

पन्ना के विविध नाम -:

मरकत,पाचि,गरुत्मत,हरितमणि,गरुडांकित,अश्वगर्भ, पन्ना आदि

नामों से पन्ना रत्न को प्राचीन काल से ही जाना जाता रहा है।

भोतिक गुण -:

कठोरता ७.७५, आ.ध.२.६९  - २.८० ,वर्तनांक १.५७ - १.५८,
अपकिरण ०.०१४ , रंग  हरा और नीलासा हरा होता है। पन्ने
 में क्रौमिक ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है। और इस तत्व के कारण ही पढ़ने का रंग हरा होता है यदि कांच में भी इतनी ही मात्रा में क्रोमिक ऑक्साइड मिला दिया जाए तो उसका भी रंग का हो जाता है। पन्ने को गर्म करने पर उसका पानी तो उड़ जाता है किंतु उसका हरा रंग वैसे ही बना रहता है। क्योंकि पन्ने के हरे रंग पर गर्मी या ताप का किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।


पन्ने का जन्म और प्राप्ति स्थान -:

पन्ना ग्रेनाइट तथा पेग्माईट चट्टानों के अतिरिक्त परतदार चट्टानों के बीच जन्म लेता है। पन्ना आज से कहीं हजार वर्षों पहले लगभग 5000 वर्ष पहले एक सम्मानित रत्न के रूप में उपयोगी  होता था। चंद्रगुप्त मौर्य के समय मिश्र की खदानों में पन्ना पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता था। आजकल सर्वश्रेष्ठ पन्ना की खदानों के रूप में कोलम्बिया की खदानें विश्व में प्रसिद्ध है।  दूसरे दर्जे का पन्ना रूस और ब्राजील की खदानों से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त अमेरिका इटली अफ्रीका भारत में भी पन्ना की खदानें मिलती है। भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर व उदयपुर में भी पन्ना मिलता है। हमारे यहां उदयपुर में प्राप्त होने वाला पन्ना गहरा हरा किन्तु चुरचुरा होता है। अजमेर में प्राप्त होने वाला पन्ना पीले रंग का होता है इसमें पानी भी पर्याप्त होता है और देखने में भी आकर्षक लगता है। किंतु कोलंबिया के पन्ना से इसकी कठोरता कम होती है। इसी प्रकार ब्राजील का जो पन्ना होता है उसमें पीलापन और चीरे अधिक होते है।


वैज्ञानिक लक्षण -:

पन्ने के रवे ग्रेनाइट पेग्माइट  और चूने के पत्थर से लगे होते हैं। दोष रहित पन्ना मीलना असंभव सा होता है। सर्वथा निर्दोष व प्राकृतिक पन्ने का मूल्य प्राकृतिक माणिक व हीरे से भी अधिक होता है। इनमें अपवर्तन व अपकिरणन दोनों होता है। पन्ना एक और हरा वह दूसरी और नीला सा दिखाई पड़ता है गर्म करने पर इस कारण वैसा का वैसा बना रहता है। अम्लों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आंखों को सबसे अधिक तृप्त करने वाला रतन पढ़ाई होता है यदि आंखें अन्य पदार्थों को देखते देखते थक जाती है। और उसके बाद पन्ना को देखा जाता है तो आंखें पुनः तरोताजा हो जाती है ।पन्ना कृतिम प्रकाश में सूर्य के प्रकाश में या मोमबत्ती  के प्रकाश में अपनी आभा वैसी की वैसी ही लिए होती है। पन्ना सूर्य के प्रकाश में आसपास की वस्तु को भी हरे कलर के आभा से आच्छादित कर देता है।

संश्लेषित पन्ना (कृत्रिम पन्ना) -:

सबसे पहले 1910 में कैरोल चैथम नामक वैज्ञानिक ने अंतिम पन्ना तैयार किया था। उसके बाद उसके द्वारा बताई गई करते विधि द्वारा रासायनिक पदार्थों के मिश्रण से 1935 में बहुत अधिक मात्रा में संश्लेषित पन्ना तैयार किया जाने लगा है। परंतु रसायनिक संश्लेषित विधी से तैयार पन्ना और प्राकृतिक पन्ना में मुख्य रूप से अन्तर होता है कि प्राकृतिक पन्ना सदैव पानी में डूब जाता है और संश्लेषित वधि से तैयार पन्ना पानी में तैरता है।

कांच के बने कृत्रिम पन्ना -:

१,कांच से पन्ना प्राकृतिक पन्ना के अपेक्षा बहुत अधिक गर्म होता है। कांच से बना पन्ना को छूकर देखने पर गर्म प्रतीत होता है। जबकि प्राकृतिक बनना बहुत ही ठंडा होता है क्योंकि वह ताप का सुचालक होता है।

२, कांच के पन्ने को आंखों की पलकों पर रखने पर गर्म लगने लगता है। जबकि प्राकृतिक पन्ने को आंखों की पुतली  पर रखने पर ठंडक प्रतीत होती है।

३, कांच का पन्ना का घनत्व अधिक होता था अर्थात भारी होता है जबकि प्राकृतिक पटना मुलायम हल्का व चिताकर्षक होता है।

४, नकली पन्ने को लकड़ी पर रगड़ने पुरुष की चमक बढ़ जाती है।

५, प्राकृतिक असली पन्ने के ऊपर यदि तिली से पानी की बूंद रखी जाए तो बूंद कुछ समय के लिए रुक जाती है और नकली पन्ने पर जब हम बूंद पानी की रखते हैं तो वह तत्काल प्रभाव से फेल कर नीचे आ जाती है।


६, नकली पन्ने पर पर धारियां दिखाई पड़ती है।

७, इसी प्रकार कांच के पन्ने के अलावा आजकल नकली प्लास्टिक के भी पन्ना बनाए जाते हैं जिनको गरम सुई से चुभाने पर स्पष्ट रूप से प्लास्टिक के जलने की गंदा नहीं रखती है। इसी प्रकार प्लास्टिक के जो पन्ने होते हैं वो आसानी से नुकीली चीज से कट जाते हैं।

विशेष -:

इस प्रकार यदि जन्म कुंडली में बुध देव योगकारक हो तो पन्ना धारण कर हम उनसे संबंधित अच्छे कारक फलो में वृद्धि कर सकते हैं किंतु पहले जन्म कुंडली में बुध देव की संपूर्ण योगकारक मारक स्थिति का विश्लेषण करने के पश्चात ही पन्ना रत्न धारण करना चाहिए।

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एस्ट्रोलॉजर आचार्य केके शास्त्री
 वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान
 चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर
 राजस्थान 9414 6572 45



एस्ट्रोलॉजर आचार्य केके शास्त्री


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