क्या आपका लव मैरिज होगा?

 लव मैरिज योग -:

नमस्कार मित्रो !
आज हम पूर्व चर्चा को आगे बढ़ाते हुए जानेंगे की कुण्डली में ऐसे कौन से योग होते हैं। जिसके चलते जातक जातीका के जीवन में लव मैरिज का योग बनता है। पहले तक लव मैरिज की सिचुएशन ऐसी होती थी कि जो लोग अपने घर वालों के द्वारा एक्सेप्ट नहीं करने पर भागकर कोर्ट में मैरिज करते थे या घर से निकल कर के गुपचुप शादी कर लेते थे। उसे मैरिज का नाम दिया जाता था। किंतु आज के परिवेश में लव मैरिज की यह परिभाषा बहुत कम रह गई है। क्योंकि प्राय अब लोगों में जाति पार्टिया सब समाप्त होती जा रही है
 घर वाले भी लड़का लड़की की पसंद को एक्सेप्ट करने लगे हैं। अतः जाति बंधन समाप्त होने के कारण पहले जो लव मैरिज की परिभाषा होती थी। यद्यपि आज भी दो विपरीत धर्मों के बीच में लव मैरिज की प्रॉब्लम देखा जाता है। किंतु अब लव मैरिज उसे कहा जाता है। जिसमें जातक जातिका एक दूसरे को शादी से पहले जानते हैं दोनों एक दूसरे की फीलिंग को गहराई से समझ चुके होते हैं और फिर वह मैरिज करते है। जबकि पहले ऐसा होता था कि जो घरवालों की इच्छा के विपरीत एकांत में जाकर गुपचुप तरीके से कोर्ट मैरिज शादी  करते थे। उसी मैरिज को लव मैरिज कहा जाता था।  अब ऐसा नहीं है लव मैरिज की सामान्य परिभाषा यह है कि जो पूर्व परिचित से विवाह होता है। और उनका परिचय सगाई से पहले का होता है। जिसमें वह एक दूसरे से मिले हुए होते हैं एक दूसरे को बहुत कुछ जानते हैं और फिर वह विवाह करते हैं। उसे ही लव मैरिज कहा जाता है।

तो आइए जानते हैं यह लव मैरिज का योग चार्ट में किस प्रकार बनता है -:

ज्योतिष शास्त्र में लव मैरिज योग बनाने में मुख्य रूप से तीन प्लेनेट मुख्य होते हैं। पहला हमारा लग्नेश एंड लग्न दूसरा पंचमेश एंड पंचम भाव, तथा तीसरा सप्तमेश एंड सप्तम भाव इन तीन भावो का अध्ययन लव मैरिज की स्थिति जाने के लिए किया जाता है। इसमें सबसे पहले और सबसे ज्यादा आपके लग्न भाव की भूमिका सबसे अधिक होती है। लव मैरिज की चांस में 50% भूमिका लग्न की होती है। और 25 25% भूमिका 5th हाउस एंड सेवंथ हाउस की होती है। अतः जब लग्न और सप्तम भाव का किसी प्रकार से संबंध बनता है क्योंकि लगन हमारा व्यक्तित्व और सप्तम हमारे पार्टनर का हो सकता है। जब लग्न और सप्तम भाव के स्वामियों का किसी भी प्रकार से संबंध बनता हैं। उसी समय पंचम भाव का लोड भी संबंध बना लेता है। तो लव फीलिंग प्रारंभ हो जाती है। क्योंकि पंचम भाव प्रेम का भाव होता है। जब लग्न और सप्तम भाव के बीच से फिफ्थ हाउस का संबंध बनता है तो वह समय लव फीलिंग प्रारंभ हो जाती है। यह तो उस समय को रिप्रेजेंट कर रहा है कि कब कब आपके बीच  रोमांस की स्थितियां अपने विपरीत लिंग के प्रति उत्पन्न होती है। और कितनी पॉजिटिव रहेगी लॉन्ग लाइफ में क्या आप मैरिज योग बनाते हैं। उसके लिए 5th हाउस एंड सप्तम हाउस का अच्छा संबंध अगर बन रहा हो  अर्थात 5th हाउस एंड सप्तम हाउस का पॉजटिव संबंध बनता है तो वह फीलिंग आगे चलकर लव मैरिज में बदल जाती है। और यदि 5th हाउस एंड सप्तम हाउस का संबंध पॉजिटिव नहीं है दोनों प्लैनेट्स अलग विचारधारा के हैं तो जो फीलिंग ज्यादा लोंग टाइम नहीं चल पाती है और वो दोनों एक दूसरे से दूर हो जाते हैं।



एस्ट्रो आचार्य केके शास्त्री
9414657245


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