Nadi dosh nivaaran upay

 Nadi dosh nivaaran upay नाड़ी दोष निवारण उपाय -:

नमस्कार मित्रों!
आज हम विवाह संस्कार में बनने वाले बहुत बड़े नाड़ी दोष के विषय में चर्चा करते हैं ््। हमारी सनातन परंपरा में 16 संस्कार होते हैं और उनमें से विवाह संस्कार एक प्रमुख संस्कार होता है। विवाह संस्कार से पूर्व हम वर वधू के गुण मिलान करते हैं।कुल गुण 36  होते हैं 36 में से जब 18 से ऊपर के गुण वर वधु गुण मिलान में मिलते हैं तो हम उनका विवाह संस्कार कर सकते हैं।  गुण मिलान संख्या में कुछ दोष भी होता है। जिनमें से एक प्रमुख नाड़ी दोष होता हैं। इसका मतलब यह है कि यदि वर और वधू की नारी एक हो तो नाड़ी दोष आ जाता है। जैसा कि हम जानते हैं तीन प्रकार की नाडी होती है। आदि मध्य अंत्य। इनमें से जब वर और वधु दोनों की एक ही नाडी आ जाती है तो नाड़ी दोष बन जाता है। और नाड़ी दोष विशेष करके वर वधु के जीवन में स्वास्थ्य संबंधी प्रॉब्लम करते हैं उनके दांपत्य जीवन में स्वास्थ्य को लेकर बहुत बड़ी प्रॉब्लम बनी रहती है। इसका वैज्ञानिक रीजन यह होता है। कि जब वर और वधू  स्वास एक ही होती है।    तो रात्रि को एक साथ सोते समय उनके मुंह से निकलने वाली स्वास एक दूसरे के शरीर में प्रवेश करती है और उनमें रुग्णता उत्पन्न करती है। इसलिए एक ही नाणी के वर-वधू को शादी करने के लिए निषेध बताया गया है। इसलिए नाड़ी दोष दांपत्य जीवन में अच्छा नहीं माना जाता है। कुंडली में जब नाड़ी दोष आ जाता है तो उनके दांपत्य जीवन में स्वास्थ्य संबंधी प्रॉब्लम्स उत्पन्न करता है। और इस सिद्धधांत 
को विज्ञान विश्व विकार करता है कि जब दो व्यक्तियों की एक ही स्वास नाड़ी होती है तो वह स्वास्थ्य के लिए विक्टोरिया उत्पन्न करती है। और जब उनकी स्वास नाड़ी अलग-अलग होती है। तो उनका साइड इफेक्ट नहीं होता है।


इसलिए नाड़ी दोष को बहुत ही अच्छा नहीं माना जा सकता है और वर-वधू के जीवन में इसका सदैव त्याग बताया गया है। किंतु कुछ कंडीशन ऐसी एप्लाई होती है जिनके चलते यह दोष एक्टिव नहीं हो पाता है।

नाड़ी दोष भंग -:

नक्षत्र विज्ञान की दृष्टि से निम्न स्थिति में नाड़ी दोष भंग हो जाता है। जैसे 
१, यदि वर-वधू दोनों का नक्षत्र एक ही हो किंतु दोनों के चरण अलग अलग हो तो नाड़ी दोष भंग हो जाता है।

२, वर वधु की राशि एक हो किंतु दोनों के नक्षत्र अलग-अलग हो उसी स्थिति में भी नाड़ी दोष समाप्त हो जाता है।

३, दोनों का जन्म नक्षत्र और दोनों की जन्म राशि अलग अलग हो तो नाड़ी दोष समाप्त होता है।

नाड़ी दोष उपाय -:

इस प्रकार हमने जाना की नाड़ी दोष किस स्थिति में भंग हो जाता है। अब हम जानते हैं कि नाड़ी दोष के रहते शादी करना चाहते हैं तो उसके लिए ज्योतिष शास्त्र में निम्न उपाय भी बताए गए हैं जिनको करके हम हमारे जीवन में नाड़ी दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

१, यदि वर-वधू दोनों की मध्य नाड़ी हो तो यह बहुत खतरनाक होती है। इसमें पुरुष को प्राणों का भय होता है। इसलिए इस दोष से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय का जाप करवाना चाहिए।



२. यदि वर-वधू की आद्य नाणी हो तो स्त्री के प्राणों को भी होता है। अतः स्त्री के निमित्त भी महामृत्युंजय का जाप करके ही इससे निवृत्ति प्राप्त की जा सकती है।


३, इस प्रकार नारी दोष निवारण के लिए नाड़ी दोष निवारण पूजा की जाती है। इसमें महामृत्युंजय का जाप व हवन पूजन किया जाता है।

४, इसमें महामृत्युंजय का जाप करके अन्न वस्त्र और धन का दान किया जाता है। स्वर्णतार का सर्प बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

५, इस प्रकार नाड़ी दोष से हम मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।



एस्ट्रो आचार्य केके शास्त्री
 वैदिक ज्योतिष संस्थान 
चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर 
राजस्थान 9414 6572 45





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