वेदिक एस्ट्रोलॉजी में वर्ग कुंडलियों का महत्व

 वैदिक ज्योतिष में वर्ग कुंडलियों का महत्व -:

जैसा कि हम सब जानते हैं कि वैदिक ज्योतिष में जन्मपत्रिका के द्वारा हम हमारा भूत भविष्य वर्तमान की स्थिति का पता करवते हैं। वेदिक एस्ट्रोलॉजी में जन्म चाट का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। किंतु कई बार हम देखते हैं कि जन्म कुंडली में हमारी जो सिचुएशन बनी हुई होती है किंतु वैसा फल हमें नहीं मिल पाता है। इसके कहीं रीजन होते हैं। क्योंकि जन्म कुंडली के जिस हाउस की स्टडी करते हैं वह उसके बाहरी स्वरूप को प्रजेंट करता है। इसलिए किसी भी हाउस का डिप्ली स्टडी के लिए वर्ग कुंडलियों की आवश्यकता होती है। किसी भी हाउस की डीप्ली स्टैडी जब हमें करनी होती है या हमें जानना है कि जो लग्न कुंडली का हाउस रिप्रेजेंट कर रहा है वही सत्य है उसकी पुष्टि के लिए हमें संबंधित वर्ग चार्ट को देखना होता है। इसलिए वर्ग कुंडलियों का बहुत अधिक महत्व होता है। क्योंकि जन्मकुंडली का वास्तविक रहस्य वर्ग कुंडलियों में छुपा होता है। जैसे हमने देखा की जन्म कुंडली का दशम भाव बहुत तो ही बलवान है और उसके अकॉर्डिंग जातक को अच्छा जो मिलना चाहिए किंतु नहीं मिल पाता है। इसका मतलब है कि जब हमने दशमाशं देखा तो उसमें दशम हाउस नेगेटिव हो गया। जिसके चलते जातक को जॉब में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होते रह
 हैं। इसी प्रकार यदि जातक की जन्मकुंडली का दशम हाउस नेगेटिव बना हुआ है और यह बता रहा है कि जातक को कैरियर संबंधी प्रॉब्लम रहेगा। किंतु जैसे ही हमने दशमांश देखा तो उसमें दशम हाउस पॉजिटिव बना हुआ है। इसका मतलब हुआ कि जातक को कुछ कठिनाइयां जरूर आएगी किंतु एट लास्ट उसका कैरियर अच्छा बन जाएगा यह बात उसका दशमांश बताता है।


अतः आज हम वर्ग कुंडलियों के महत्व के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। वैसे वर्ग कुंडलियों को जब हम देखते हैं तो उसमें मुख्य रूप से वर्ग कुंडली का लग्न लग्नेश व संबंधित भाव भावेश का अध्ययन करते हैं। तो आइए जानते हैं वर्ग कुंडलियों का अध्ययन किस प्रकार से किया जाता है और यह कुंडली कितने प्रकार की होती है।

होरा कुंडली, द्रेष्कोण कूण्डली और चतुर्थांश कुंडली  के बारे में जानता है-;

१,
होरा वर्ग कुंडली से हम धन की स्थिति का अध्ययन करते हैं। इसमें चंद्र की होरा से स्त्री की कुंडली का और सूर्य की होरा से पुरुष की धन की स्थिति का पता करते हैं।




,द्रेष्कोण कूण्डली से हम तीसरे हाउस की सूक्ष्म अध्ययन करते हैं। और इसके माध्यम से हम हमारी जीवन में मेहनत परिश्रम व छोटे भाई बहनों की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन करते हैं। इसे डी ३ कहा जाता है।


३,
इसी प्रकार से चतुर्थांश वर्ग कुंडली से हम हमारे जीवन में भवन वाहन प्रॉपर्टी माता का सुख का सूक्ष्म अध्ययन करते हैं। यह कुंडली जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव का विस्तारित रूप है।



सप्तमांश नवमांश व दशमांश वर्ग कुंडली -:

१, सप्तमांश कुंडली आपके जन्म कुंडली के सप्तम भाव का विस्तारित रूप होता है। और सप्तमांश कुंडली से हम संतान सुख का सुख समर्थन करते हैं। यदि जन्म कुंडली में आपके संतान सुख बन रहा है किंतु सप्तमांश कुंडली में संतान भाव की स्थिति अच्छी नहीं है तो संतान सुख में प्रॉब्लम बनेगा। इसी प्रकार यदि जन्म कुंडली में संतान योग नहीं बन रहा है किंतु सप्तमांश कुंडली में वह योग बन रहा है तो इसका मतलब है कि कुछ प्रॉब्लम कुछ डिले जरूर होगा किंतु संतान आपको मिल सकेगी।


२, नवमांश कुंडली विवाह के लिए देखी जाती है। नवमांश कुंडली से हमें पता लगता है कि जातक का लाइफ पार्टनर कैसा होगा कैसा स्वभाव उसका होगा और उनका वैवाहिक जीवन किस प्रकार का होता है। यह आपके एक जीवन का सुख समर्थन के लिए होती है। जन्म कुंडली में वैवाहिक जीवन पॉजिटिव नहीं बन रहा हो और नवमांश में वह पॉजिटिव बन रहा है तो आपका विवाहित जीवन समल जाता है। इस प्रकार नवमांश कुंडली सबसे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वैवाहिक जीवन के अलावा इसका उपयोग सभी भावों के लिए भी किया जाता है। नवमांश कुंडली को जन्म कुंडली की आत्मा कहा जाता है और जन्मकडली को शरीर कहा गया है।

३, दशमांश कुंडली जन्म कुंडली के दशम भाव का विस्तारित रूप होता है। दशमांश कुंडली के माध्यम से ही हम जन्म कुंडली के दशम भाव की सूक्ष्म अध्ययन करके जातक के कैरियर की पुष्टि कर सकते हैं।


द्वादशांश ,षोडषांश और विशांश कुंडली -:


१, द्वादशा  कुंडली से मतलब d12 से मुख्य रूप से माता-पिता के सुख के विषय में देखा जाता है इस कुंडली से माता पिता के स्वास्थ्य माता पिता का सपोर्ट आदि का सूक्ष्मता से विचार किया जाता है।


२,षोडषांश कुंडली मतलब d-16 से मुख्य रूप से वाहन सुख का विचार किया जाता है। यदि आपकी जन्मकुंडली में वाहन सुख है और d16 में वाहन सुख नहीं है तो थोड़ा प्रॉब्लम बनता है और दोनों ही चाट में यह पुष्टि हो जाती है तो निश्चित रूप से आपको अच्छा  वाहन सुख से बनता है।


३,
विशांश कुंडली मतलब d20 से हम हमारे आध्यात्मिक जीवन को देखते हैं आध्यात्मिक विचार आस्तिक नास्तिक इत्यादि का विचार करते हैं।


चतुर्विशांश ,सप्तविशांश ,त्रिशांश कुंडली -;


१,चतुर्विशांश मतलब d-24 से मुख्य रूप से शिक्षा का विस्तारीकरण देखा जाता है। इस कुंडली में शिक्षा का विस्तार से अध्ययन किया जाता है। यदि जन्म कुंडली में शिक्षा का स्तर अच्छा दिख रहा है और इस कुंडली में अगर अच्छा नहीं है तो फिर थोड़ा प्रॉब्लम जरूर होता है। और इस कुंडली में और जन्म कुंडली में दोनों सेम चीजें बन जाती है तो कोई प्रॉब्लम नहीं होता।


२,सप्तविशांश अर्थात d-27 इस कुंडली के माध्यम से हम हमारी कमजोरियों और अच्छाइयों का विश्लेषण करते हैं।


३,त्रिशांश  चार्ट से मुख्य रूप से दुर्घटनाएं बीमारियां आदि का विश्लेषण किया जाता है। इसे डी 30 वर्ग कुंडली कहते हैं। इसी कुंडली से हम हमारे जीवन में आने वाली बीमारियां दुख कष्ट व दुर्घटना जैसी कंडीशन को देखते हैं।



D-40, D- 45 ,D- 60  varg kundli -;

d40 कुंडली से हम हम मुख्य रूप से माता की तरफ से मिलने वाले सुख , माता की तरफ से मिलने वाली पैतृक संपत्ति का विचार करते हैं।


२, डी 45 वर्ग कुंडली से पिता की ओर से मिलने वाली पैतृक संपत्ति का विचार किया जाता है।


३, डी 60 वर्ग कुंडली से हम पूर्व जन्म के कर्मों के द्वारा मिलने वाले दुख सुख को देखते हैं।



तो इस प्रकार से हम किसी भी भाव को किसी भी घटनाक्रम को बहुत अधिक जूम करके उसका सुक्ष्म विश्लेषण कर सकते हैं। और जन्मकुंडली के साथ-साथ इन कुंडलियों का विश्लेषण करना जरूरी होता है। एक सफल एस्ट्रोलॉजर के लिए 
इन को देखे बिना प्रेडिक्शन करना किसी भी घटनाक्रम की सही जानकारी देना सही नहीं होती है।

विशैष -';

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एस्ट्रोलॉजर आचार्य कौशल कुमार शास्त्री 
वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान चौथ का बरवाड़ा 
सवाई माधोपुर राजस्थान 9414 6572 45




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