गर्भपात योग

 गर्भपात योग -:

अबॉर्शन या गर्भपात एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें माताएं शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से बहुत अधिक टूट जाती है। अगर किसी भी माता बहन के साथ ऐसी स्थिति बन रही होती है तो उनको इस स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेने के साथ-साथ अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण भी करवाना चाहिए। क्योंकि ग्रह भी इन स्थितियों की बहुत अधिक उत्तरदाई होते हैं। क्योंकि ब्रह्मांड के ग्रहों की रस्सियों का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव होता है। अतः स्त्री और पुरुष के स्वास्थ्य पर ग्रहों की किरणों का बहुत अधिक प्रभाव होता है उन्ही से ही हमारे जीवन में अच्छा बुरा बदलाव होता रहता है। विशेषकर स्त्रियों के संतान गर्भधारण के विषय में ज्योतिषी गणना के अनुसार कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जिनका बहुत अधिक महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे मुख्य रूप से चंद्रमा होता है जिसमें अन्य ग्रह चंद्रमा के साथ संबंध बना करके संतान प्राप्ति में अपना रोल अदा करते है। इसी संदर्भ में माताओं के गर्भपात की स्थिति में पंचम भाव जन्मकुंडली का संतान पक्ष और अष्टम भाव स्त्री के स्वास्थ्य को रिप्रेजेंट करता है।

तो आज की चर्चा में हम इसी विषय को लेकर के विस्तार से जानेंगे -++

गर्भपात योग 


ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को स्त्री का कारक माना जाता है और चंद्रमा का नकारात्मक होना स्त्री के संवेदनात्मक स्तर में क ई प्रकार का नेगेटिव पॉजिटिव परिवर्तन करता है। इसलिए स्त्री चार्ट में चंद्रमा का पॉजिटिव होना जरूरी होता है।

संतान प्राप्ति के लिए विशेष करके हम पंचम भाव को देखते हैं। यदि पंचम भाव में राहु केतु सूर्य मंगल शनि अथवा जन्मकुंडली का मारक ग्रह पंचम भाव से संबंध बनाता है या पंचम भाव में बैठा हुआ तो उस कंडीशन में गर्भपात योग बन जाता है। इसी प्रकार शनि चंद्रमा की युति राहु सूर्य की युति चंद्र सूर्य की युति चंद्र राहु केतु की युति जब पंचम भाव में होती तो बार-बार गर्भपात जैसी स्थितियां बनती रहती है।

इस स्थिति में हमें उन मारक ग्रहों को पॉजिटिव करने के उपाय करने चाहिए। जिससे उन नेगेटिव सिचुएशन को दूर कर सकते हैं।


आचार्य कौशल कुमार शास्त्री
9414657245



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