जन्म कुंडली में 12 भावों से बनने वाले प्रमुख राजयोग -:
आज की चर्चा में हम जन्म कुंडली की 12 भावों से बनने वाले प्रमुख 12 योगों की जानकारी प्राप्त करते हैं। आईऐ आज की चर्चा का आगे बढ़ते हुए जानते हैं कि वह कौन से योग हैं?
१, चामर योग -:
यदि जन्म कुंडली के लग्न भाव में शुभ ग्रह बैठे हो और लग्नेश भी बलवान होकर के अच्छी स्थिति में विद्यमान हो अर्थात लग्न में शुभ ग्रह हो लग्न को शुभ ग्रह देखते हो लग्नेश स्वरासी मित्र राशि उच्च राशि और पूर्ण अच्छी डिग्री के साथ केंद्र त्रिकोण में विद्यमान हो तो चमार नाम का राज योग का निर्माण होता है। और इस योग में जन्म लेने वाला जातक शुक्ल पक्ष के चंद्रमा के समान कीर्तिमान धनवान यशवंत और भौतिक सुखों से संपन्न होता है।
२,धेनु योग -:
यदि दूसरे भाव में शुभ ग्रह हो दूसरे भाव को शुभ ग्रह देखते हो तथा दूसरे भाव का स्वामी बलवान होकर के केंद्र त्रिकोण में विद्यमान हो तो धेनु नाम का राजयोग बनता है। ऐसा जातक धनवान होता है। वाणी में ओजस्विता होती है। कुटुंब परिवार में प्रिय होता है और अच्छी धन संपदा संग्रह करके रखता है। अपने कुल का नाम रोशन करने वाला होता है।
३, शौर्य योग -:
तीसरे भाव पर शुभ ग्रह विद्यमान हो शुभ ग्रह से देख जाता हो और तीसरे भाव का स्वामी बलवान स्थिति में हो तो शौर्य नाम का योग का निर्माण होता है। जिससे जातक पराक्रमी साहसी हिम्मत रखने वाला छोटे भाई बहनों का पूर्ण सुख प्राप्त करने वाला व अपने मेहनत से भाग्य बनाने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति अपनी अच्छी प्रसिद्ध अपने पराक्रम मेहनत के द्वारा प्राप्त करता है।
४, जलधि या अमभूधि योग -:
इसी प्रकार यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अच्छी स्थिति में हो चतुर्थ भाव पर शुभ ग्रह और शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो जलधि या अम्बुधि नाम का योग निर्माण होता है। जिससे जातक जीवन में सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करने वाला गाड़ी वाहन भवन प्रॉपर्टी जायदाद सबको प्राप्त करके अच्छे संसाधनों के साथ जीवन जीने वाला सुखों की प्राप्ति करता है।
५, छत्र योग -:
पंचम भाव में शुभ ग्रह हो शुभ ग्रह से देखा जाता हो और शुभ स्थिति में पंचम भाव का स्वामी हो तो छत्र नाम का योग निर्माण होता है। ऐसा जातक अच्छी बुद्धि वाला संतान प्राप्त करने वाला तिक्षण बुद्धि रखने वाल प्रेम करने वाला अच्छे पद को प्राप्त करने वाला बनता है।
६, अस्त्र योग -:
छट्टे भाव का स्वामी बलवान होकर के अच्छी स्थिति में शुभ भाव में बैठा हो छठे भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो अच्छे ग्रह बैठे हो तो अस्त्र नाम का योग निर्मित होता है। ऐसा योग जीवन में शत्रु का संघार करने वाला तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वाला बनता है।
७, काम योग -:
इसी प्रकार यदि सप्तम भाव का स्वामी बलवान होकर के अच्छे भाव में बैठा हो सप्तम भाव में शुभ ग्रह हो और शुभ ग्रह से देखा जाता हो तो काम नाम का योग बनता है। और इसमें जातक स्त्री सुख को प्राप्त करने वाला दांपत्य जीवन में पूरी तरह से संतुष्टि प्राप्त करने वाला और पार्टनरी के विजनिस से सक्सेस प्राप्त करने वाला होता है।
८, आसुर योग -:
आठवें भाव का स्वामी बलवान होकर अच्छे भाव में बैठा हो और आठवें भाव में शुभ ग्रह बैठे हो और शुभ ग्रहों से देखा जाता हो तो आशुर नाम का योग निर्मित होता है। किंतु जिनकी जन्म कुंडली में यह योग होता है। ऐसा व्यक्ति दूसरों को परेशान करने वाला दूसरों को हानि पहुंचाने वाला होता है।
९, भाग्य योग -:
नवम भाव में शुभ ग्रह बैठे हो शुभ ग्रहों द्वारा नवम भाव देखा जाता हो नवम भाव का स्वामी बलवान होकर अच्छे भाव में बैठा हो तो भाग्य नाम का योग बनता है। ऐसा व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त करने वाला धार्मिक मान सम्मान यश प्राप्त करने वाला अपने कुल का नाम रोशन करने वाला होता है।
१०, ख्याति योग -:
दशम भाव का स्वामी बलवान होकर के अच्छी स्थिति में हो दशम भाव भी बलवान हो शुभ ग्रहों से दृष्ट हो शुभ ग्रह उसमें बैठे हो तो ख्याति नाम का योग निर्मित होता है। ऐसा व्यक्ति राजा के समान उच्च पद को प्राप्त करने वाला होता है। अपने कार्य से मान सम्मान प्राप्त करता है और बहुत ही अच्छा प्रशासक या अच्छा राजनेता होता है।
११,सुपारिजात योग -:
लाभ भाव का स्वामी अच्छी स्थिति में हो और लाभ भाव भी अच्छा बलवान हो तो सुपारी जात नाम का योग निर्मित होता है। ऐसा व्यक्ति अनेक संसाधनों से धन प्राप्ति करने वाला होता है। बड़े भाइयों का सुख प्राप्त करने वाला होता है। निरंतर जिस कार्य में हाथ डालता है उसी में सक्सेस प्राप्त करता है।
१२,मूसल योग -:
12वे का भाव का स्वामी अच्छे स्थिति में बैठा हो 12वे भाव में शुभ ग्रह बैठे हो तो मुसल योग बनता है। ऐसा व्यक्ति के जीवन में कोर्ट कचहरी व कर्ज ज्यादा होता है। अपने जन्म स्थान से बहुत दूर आजीविका प्राप्त करने के लिए जाता है।
आचार्य के के शास्त्री
0 Comments