विंशोत्तरी महादशा---
ज्योतिष में दो प्रकार की दशा होती है अष्टोत्तरी और विंशोत्तरी अष्टोत्तरी दशा में जातक की आयु 108 वर्ष मानी जाती है और विंशोत्तरी में जातक की आयु 120 वर्ष मानी गई है और वर्तमान में विंशोत्तरी महादशा का अधिक विचार किया जाता है विंशोत्तरी दशा में केवल 27 नक्षत्र मान्य है इसमें सूर्य से प्रारंभ करhके नौ ग्रह को मान्यता प्रदान की गई है तथा प्रत्येक ग्रह को एक साथ तीन नक्षत्र दिए गए हैं
इस प्रकार सूर्य की महादशा 7 वर्ष, चंद्र महादशा 10 वर्ष ,मंगल 7 वर्ष ,राहु 18 वर्ष ,गुरु 16 वर्ष ,शनि 19 वर्ष, बुध 17 वर्ष ,केतु7 वर्ष ,और शुक्र की महादशा 20 वर्ष की होती है
विंशोत्तरी महादशा फल---
सूर्य महादशा फल:
- जैसा कि हम जान चुके हैं कि सूर्य की महादशा 6 वर्ष की होती है जब सूर्य की महादशा आती है तो जातक को सूर्य अपने स्वभाव के अनुसार फल प्रदान करता है सामान्य रूप से सूर्य की महादशा में जातक उद्विग्न चित ,बंधु बांधवो को पीड़ा ,पारिवारिक कलह क्लेश, धन का नाश ,चिंता भय ,तथा अनेक प्रकार के रोगे के साथ-साथ जातक को क्रोधी उच्च रक्तचाप का रोगी बनाता है!
चंद्र महादशा फल --
चंद्र महादशा 10 वर्ष की होती है चंद्र महादशा में जातक को सरकारी नौकरी राज प्रतिष्ठा सज्जनों की संगति राग रंग उत्सव तथा अपने प्रिय बंधु बांधों से प्रेम प्राप्त होता है मकान वाहन वस्त्र आभूषण आदि कीजातक को प्राप्ति होती है स्वास्थ्य निरोगी व प्रसन्न चित्त रहता है चंद्रमा जातक के अनुकूल भाव में स्थित होने की दशा में जातक को प्राय सभी भौतिक सुख प्राप्त कराता है!
मंगल महादशा फल-
मंगल की महादशा में मनुष्यों को अग्नि व जहर से भय होता शत्रुओं की प्रबलता होती है शत्रु सर्प व राजकीय भय बना होता है स्त्री पुत्र व परिवार जनों को कष्ट उठाना पड़ता है तथा जातक मानसिक संताप से विशेषकर पीड़ित होता है जातक अभिमानी बन जाता है मंगल की महादशा 7 वर्ष की होती है
राहु महादशा फल---
राहु की महादशा में मनुष्य की सरकार की कुदृष्टि से धन तथा प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है रोग बढ़ जाते हैं पिता को कस्ट स्त्री संतान को पीड़ा तथा अपने ही शत्रु बन जाते हैं इस प्रकार जातक मानसिक टेंशन में अपना समय व्यतीत करता है किंतु राहु अनुकूल स्थिति में होने पर जातक को बहुत कुछ सुख सुविधा भी प्रदान करता है
बृहस्पति महादशा फल-
बृहस्पति की दशा में मनुष्य को राजा के समान उत्तम भूमि उच्च पद सुशील स्त्री व वाहन भवन इत्यादि सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है इस प्रकार बृहस्पति की महादशा में जातक बहुत ही प्रबल उच्च स्तरीय जीवन जीता है और शत्रुओ को दबा कर रखता है
शनि महादशा फल-
शनि की महादशा में जातक को झूठा कलंक लगता है शत्रुओं का दबदबा रहता है मुकदमे बाजी में धन बर्बाद होता है बुद्धि तनाव में रहती है दुष्ट जनों से नुकसान उठाना पड़ता है स्त्री व परिवार जनों को रोग सताए रहते हैं नौकरी व कार्य मे भी लापरवाही के कारण लाभ नहीं मिल पाता है तथा जातक के अपने मित्र व परिवार जन भी उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं इस प्रकार शनि की महादशा में जातक को अनेक बड़े-बड़े अनिष्ट फल प्राप्त होते हैं
बुध महादशा फल-
बुध की दशा में जातक को उत्तम भोजन उत्तम सुख सुविधा संतान प्राप्ति धन प्रतिष्ठा वस्त्र भूमि वाहन व चंद्रमा के समान सुंदर पुत्र प्राप्ति होती है तथा जातक को चंद्रदशा में यस समृद्धि व संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है
केतु महादशा फल-
केतु की दशा में जातक को अनेक प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं जातक के मन में सदा विकार अस्थिरता व कॉन्फिडेंस की कमी बनी रहती है बुद्धि में अस्थिरता रहती है व प्रत्येक कार्य में अधिकाधिक रुकावटें आती है यहां तक कि केतु महादशा में मनुष्य को धन हानि वमान सम्मान की हानि भी उठानी पड़ती है
शुक्र महादशा फल-
शुक्र की दशा में मनुष्य बड़ी-बड़ी जगह की यात्रा करता है व अनेक स्तर पर सम्मान भी प्राप्त करता है मित्र गणों में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है घर में लक्ष्मी का वास होता है स्वास्थ्य निरोगी व स्वस्थ रहता है तथा बुद्धि पूर्ण रूप से कॉन्फिडेंस से युक्त होती है शरीर ऊर्जावान बना रहता है इस प्रकार शुक्र महादशा में जातक अनेक प्रकार के सुख सुविधा मान-सम्मान यश की प्राप्ति करता है
विशेष--
यदि उच्च अवस्था में ग्रह बैठे होते हैं तो उनकी दशा में मनुष्य को यस लाभ प्राप्त होता है तथा जीवन के सभी सुख सुविधाएं प्राप्त होती है शत्रुओं का दमन होता है स्वास्थ्य निरोगी होता है सभी लोग सम्मान करते हैं किंतु जब ग्रह नीच अवस्था में बैठे होते हैं तो उसकी दशा में जातक को अनेक प्रकार के कष्ट दुख पीड़ा उठानी पड़ती है या यूं कहें कि जातक को जीवन में मरण तुल्य कष्ट तक भी उठाने पड़ जाते हैं क्योंकि जब शत्रु ग्रह की महादशा आती है तो मनुष्य का मन अस्थिरता से भरा हुआ हो जाता है शत्रुओं का भय मानसिक दुर्बलता शारीरिक दुर्बलता आमदनी में रुकावट अनेकों अनेक प्रकार के कष्ट जातक को उठाने पड़ते हैं
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