प्रेत बाधा योग

आज हम बात कर रहे हैं कि जन्मकुंडली में किन ग्रहों के योग के कारण जातक की जन्मकुंडली में प्रेत बाधा योग बनता है यदि हमारे जीवन में बार-बार कार्य में रुकावट आ रही है  बनते बनते कार्य बिगड़ रहे हैं  परिवार में  कलह   अशांति  का वातावरण बना रहता है  परिवार में कोई न कोई सदस्य बीमारी से पीड़ित रहता है  तथा  बहुत इलाज कराने पर भी  स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल रहा है घर में बरकत नहीं हो रही है  अनावश्यक खर्चे बढ़ते जा रहे हैं तो क्या इन सब का कारण  आपकी जन्मकुंडली में बन रहा  प्रेत बाधा योग तो नहीं है  तो आइए  हम जानते हैं कि प्रेत बाधा योग क्या होता है !


 प्रेत बाधा योग -:

प्रेत बाधा योग के अंतर्गत प्रेत मृतकों की आत्माएं  पिसाच जैसे राक्षस दानव काला जादू पितृदोष आदि की व्याख्या शामिल की जाती है प्रेत बाधा योग की पहचान करने के लिए लग्न  लग्नेश  आरुढ और आरुढाधिपति  का छठे भाव या षष्टेश मंगल शनि या केतु से संबंध अवश्य होना चाहिए और प्रेत बाधा योग की पहचान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माँदी का होता है मांदी की स्थिति के आधार पर हम जातक की जन्मकुंडली या प्रश्न कुंडली के द्वारा प्रेत बाधा योग की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं,!

तो आइए ज्ञात करते हैं मांदी के द्वारा जातक की जन्मकुंडली में प्रेत बाधायोग -


मांदी के द्वारा प्रेत आत्मा का संपूर्ण परिचय ज्ञात करना-:



 बाधकस्थान में 6, 8, 12,वे भावो में या पूर्व पुण्य को दर्शाने वाले त्रिकोणो में पीड़ित मांदी प्रेत बाधा को दर्शाता है विभिन्न ग्रहों के साथ मांदी की युति दूर आत्माओं के प्रकार और आत्मा का प्रेत या दुरात्मा बन जाने के कारण बताती है जैसे अस्वाभाविक दुर्घटना से मृत्यु   मृत्यु के पश्चात दाह संस्कार के उचित विधाओं में त्रुटियों का रह जाना आदि

1. प्रेत आत्मा की पूर्व जन्म में मृत्यु का कारण -:

                                इस प्रकार यदि जातक की                 जन्मकुंडली में मांंदी मंगल की राशि या नवांश में स्थित हो तो जातक की जन्मकुंडली में प्रेत बाधा योग बन रहा है और जो प्रेतात्मा जातक को परेशान कर रही है वह पिछले जन्म में अस्वाभाविक मौत से मरा है और यदि शनि के साथ मांदी की युति हो तो दरिद्रता और पीड़ा के कारण मृत्यु हुई होगी मांदी और राहु की युति हो तो सर्प के काटने या विश्व पान के कारण तथा जलीय राशि में पीड़ित मांदी से डूबने के कारण मृत्यु हुई होगी शुभ ग्रहों के साथ संयुक्त मांदी पिछले जन्म में स्वाभाविक मृत्यु प्रदान करता है जबकि अशुभ ग्रहों के साथ अस्वाभाविक मृत्यु को बताता है

2.प्रेत आत्मा का लिंग ज्ञात करना -:

इस प्रकार हम जातक की जन्मकुंडली में मांदी का विश्लेषण करके जातक की प्रेत बाधा का पता लगाते हैं फिर उस प्रेतात्मा की मृत्यु का कारण भी ज्ञात करते हैं कि किस कारण से उस प्रेतात्मा का मृत्यु हुई जो जातक को परेशान कर रहा है इसके बाद हम उस प्रेत आत्मा का लिंग ज्ञात करते हैं कि वह प्रेत आत्मा स्त्रीलिंग में है या पुरुष लिंग में है! इस प्रकार  यदि मांदी विषम राशि में हो तो प्रेतात्मा पुरुष लिंग में है और यदि मांदी सम राशि में हो तो प्रेत आत्मा स्त्रीलिंग में है जो जातक को परेशान कर रही है

3.प्रेत आत्मा की मृत्यु के समय आयु ज्ञात करना-:

 इस प्रकार प्रेत आत्मा की मृत्यु का कारण , प्रेत आत्मा का का लिंग निर्धारण निर्धारण के बाद  ,हम प्रेत आत्मा का जातक के साथ संबंध व  प्रेतात्मा की  र्मृत्यु के समय की आयु ज्ञात  करते हैं यदि जातक की जन्मकुंडली में मांदी चर राशि में स्थित है तो वह  प्रेत आत्मा जो जातक को परेशान कर रही है वह बहुत पहले मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थी  और स्तर राशि में है तो उस प्रेतात्मा को मरे अधिक समय नहीं हुआ है इसी प्रकार यदि मांदीचौथे भाव में या चौथे भाव के स्वामी के साथ   संबंध रखता हो तो   प्रेतात्मा जातक के परिवार ,कुटुम से संबंध रखता है! इसी प्रकार प्रेतात्मा की मृत्यु का समय याद करने के लिए हम मांदी के अंशो  के द्वारा उसकी मृत्यु के समय की आयु याद कर सकते हैं मांदी के प्रारंभिक  अंशो से बचपन और आरोही अंशो से वृद्ध आयु सूचित होती है!



  पित्र दोष या अभिभावक शाप दोष -:


 इस प्रकार जातक की  जन्म कुंडली के द्वारा हम प्रेत दोष या अभिभावक शाप योग भी ज्ञात कर सकते हैं यद्यपि सामान्य तौर पर कोई भी अभिभावक अपने बालकों को शाप नहीं देते है फिर भी जब हमारे पूर्वज या हमारे पितरों की कोई ऐसी इच्छा शेष रह जाती है जिसके कारण उनको पितृ योनी में भटकना पड़ता है तो वह अपने बालकों ,वंशजों   से अपनी इच्छा पूर्ति की कामना रखते हैं इसलिए वह पित्र अपने वंशजों को कष्ट देख कर  उनको अपनी इच्छा पूर्ति के लिए  बाध्य करते है!   इस प्रकार जन्म कुंडली में   सूर्य बाधक स्थान में मंगल की राशि या नवांश में स्थित हो अथवा सिंह राशि में कोई पाप ग्रह स्थित हो तो पितृदोष योग का निर्माण होता है इसी प्रकार यदि चंद्रमा बाधक स्थान में मंगल की राशि या नवांश में है या कर्क राशि में कोई पाप ग्रह है तो यहा  मातृ  शाप दोष योग है जिसके कारण जातक को अनेकों अनेक प्रकार की समस्याएं व जीवन में रुकावटे  व ,असफलताओ का सामना करना पड़ता है !




प्रेत बाधा व पित्र दोष निवारण उपाय ---:


1.  श्राद्ध कर्म    --

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे पितरों के श्राप के कारण हमारे जीवनी पितृदोष की समस्याएं होती है अतः इन से छुटकारा प्राप्त करने के लिए हमें सबसे पहले हमारे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हमे पितरों को संतुष्ट करना होगा उनकी आराधना उनकी  पूजा पाठ करके उनको प्रसन्न करना अति आवश्यक होता है इसके लिए सबसे उपयुक्त क्रिया यह है कि हमें श्राद्ध पक्ष में हमारे पितृरो की शांति के लिए किसी तीर्थ स्थल पर जाकर के विद्वान ब्राह्मण के द्वारा श्राद्ध कर्म , पिंडदान  व तर्पण करें जिससे हमारे पिक्चर संतुष्ट हो करके हमें शुभ आशीर्वाद प्रदान करें और स्वयं प्रसन्न होकर के मोक्ष को प्राप्त कर सके!  अतः इस प्रकार श्राद्ध पक्ष में हमें निश्चित रूप से हमारे पूर्वजों पितरों को अवश्य याद करके उनका श्राद्ध कर्म करना चाहिए जिससे हमारे पितृ हम पर प्रसन्न हो कर  उनकी कृपा दृष्टि हम पर बनाए रखें!

2. वैदिक अनुष्ठान-:

हमे पितृदोष निवारण या प्रेत बाधा निवारण के लिए घर पर वैदिक अनुष्ठान करवाना चाहिये जिसमें नवग्रह शांति अनुष्ठान , महामृत्युंजय सवा लक्ष अनुष्ठान, नवग्रह स्त्रोत पाठ अनुष्ठान ,पितृ स्त्रोत पाठ अनुष्ठान ,श्रीमद्भागवत गीता पाठ अनुष्ठान, सकल बाधा निवारण पित्र दोष निवारण के लिए श्रीमद् भागवत कथा का अनुष्ठान करवा करके हम सभी प्रकार की प्रेत बाधा ,पितृदोष से छुटकारा प्राप्त करके हमारे पूर्वजों व हमारे इष्ट देवताओं की कृपा प्राप्त कर सकते हैं!

3.दान -:

हमें पित्र दोष निवारण के लिए हमारे पितरों की पुण्यतिथि पर हम गरीबों को दान दक्षिणा या उनको आवश्यक वस्तुओं का दान देकर भी हमारे पितृओ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं!

4. हमारे भवन की दक्षिण दिशा में हमारे पूर्वजों की तस्वीर लगा कर के उन पर पुष्पा हार चढ़ावे और नित्य उनकी स्तुति वंदन करके हम हमारे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करके हमारे जीवन को खुशहाल व सुखमय बना सकते हैं!

5. पीपल की जड़ में जल व काले तिल अर्पण करके दीपक जलावे जिससे हमारे पितृ प्रसन्न होकर हमें शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं!




6. पित्र शांति के निमित्त नित्य गौ माता को हरा चारा व चारा के निमित्त गौशालाओं में दान देना चाहिए!



7. प्रत्येक अमावस्या को ज्ञात पितरों के निमित्त हलवा और खीर बनाकर के पितरों को भोग लगावे !

8. प्रत्येक अमावस्या को अपने भवन की छत पर रात्रि के 12:00 बजे चार बत्ती वाला तेल का दीपक जलाएं !

9. नित्य पूजा कर्म करने के बाद श्रद्धा के साथ अपने पितरों व पूर्वजों को भी याद करें और उनसे सुख शांति की प्रार्थना करें !

10. घर पर होने वाले किसी भी उत्सव समारोह शादी विवाह में अपने पूर्वजों व पितरों को अवश्य याद करें




क्या आपकी जन्म कुंडली में पित्र दोष है ?

क्या आपके पितृआप से रुष्ट हैं ?

क्या पित्र दोष के कारण आपका जीवन कस्टमय बना हुआ है ?

क्या आप पितृ दोष निवारण करवाना चाहते हैं ?

                   तो आप हमसे निम्न पते पर संपर्क कर सकते हैं !

आचार्य श्री कौशल कुमार जी शास्त्री 

                    (कथावाचक व ज्योतिषी )

वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान

 चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर 

राजस्थान 9414 6572 45


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