प्रश्न कुंडली द्वारा विविध समस्याओं का समाधान जानना

जय श्री राधे राधे

आज हम जानने जा रहे हैं कि तत्कालीन प्रश्न कुंडली के द्वारा पृष्टा के विविध प्रश्नों का समाधान किस प्रकार कर सकते हैं तो आइए हम जानते हैं की जब कोई प्रष्टा हमसे आकर बिना जन्मकुंडली के उसकी समस्या का समाधान पूछता है तो इसके लिए हमें सबसे पहले तत्कालीन स्पष्ट लग्न लेकर  प्रश्न कुंडली का निर्माण करना चाहिए फिर उसका सूक्ष्म विश्लेषण करके पृष्टा के प्रश्नों का समाधान करना चाहिए

पृश्न -(१ )मैं किसी विशेष व्यक्ति से किसी विशेष कार्य के लिए मिलने जा रहा हूं क्या मेरा कार्य सफल होगा या नहीं?




उत्तर -: यदि प्रश्न कुंडली में लग्नेश का शुभ मित्र दृष्टि इत्शाला हो या लग्नेश दशमेश का सूर्य के साथ इत्शाला हो और लग्नेश लाभेश का परस्पर मित्र दृष्टि हो या दोनों का शुभ इत्शाला  हो तो प्रश्न करता मनुष्य की अपने इच्छित व्यक्ति से भली प्रकार मुलाकात होती है प्रेम पूर्वक वार्ता के बाद पूर्ण रूप से कार्य सिद्धि होती है इसके विपरीत यदि उपयुक्त योग में दोनों लाभेश और लग्नेश की शत्रु दृष्टि हो तो या केंद्रस्थ लाभेश  का चंद्रमा के साथ कम्बूल योग स्थर राशि पर हो तो इष्ट व्यक्ति से मुलाकात बहुत दिनों में होती है और यदि पूर्वक योग में चंद्रमा राशि का हो तो एक बार मुलाकात साधारण रूप से होती है और यदि उपयुक्त योग में चंद्रमा द्वि स्वभाव राशि का हो तो मुलाकात दुविधामय रहती है प्रश्नकाल में चंद्रमा और बृहस्पति पूर्ण बली हो लग्न और दशम स्थान में उच्च के बेठे हो तो मुलाकात करने से मनुष्य की आशा शीघ्र पूर्ण होती है स्वगृही होने से समय पाकर पूर्ण होती है मित्र क्षेत्री होने से ३/४आशापूर्ण होती है त्रिकोण ५,९ में होने से १/२ आशापूर्ण होती है सप्तम चतुर्थ में होने से १/४ आशापूर्ण होती है त्रिक स्थान ६,८,१२ में होने से आशा के लाभ के स्थान पर हानि होने की आशंका रहती है


प्रश्न -( २)  मैं मकान या मकान के लिए प्लॉट खरीदना चाहता हूं यह मकान या प्लॉट मेरे लिए कैसा रहेगा?


उत्तर -: यदि प्रश्न कुंडली में लग्नेश और चंद्रमा के साथ चतुर्थेश का इत्शाला योग हो और चतुर्थ स्थान तथा चतुर्थेश सोम्य  मित्र ग्रहों से दृष्ट युक्त हो तो प्रश्न कर्ता को ग्रहों के बलाबल के अनुसार शीघ्र ही ग्रह या भूमि का लाभ होता है और यदि चतुर्थेश लग्न में हो और लग्नेश व चंद्रमा चतुर्थ स्थान में मित्र शुभ ग्रहों से दृष्ट या युक्त हो तो प्रष्टा को शीघ्र ही गृह भूमि की प्राप्ति होती है और अगर चतुर्थेश और लग्नेश दोनों ही लग्न में हो या चतुर्थ स्थान में हो और पूर्ण चंद्रमा की मित्र दृष्टि इत्शाला योग के साथ मित्र शुभ ग्रहों से दृष्ट युक्त हो तो प्रश्न कर्ता मनुष्य को अति शुभ दायक भवन निर्माण भूमि की प्राप्ति होती है प्रश्न कुंडली में स्वग्रही मंगल यदि चतुर्थ स्थान में पाप दृष्टि रहित गुरु या पूर्ण दृष्टि युक्त हो और साथ ही सौभाग्य से दशमेश के साथ मित्र शुभ दृष्टि इत्शाला  हो तो निश्चय ही प्रश्न करता को कल्याण प्रदान करने वाले मकान व भूमि प्राप्ति होती है


प्रश्न -(३) लाभ हानि का प्रश्न ,कोई   प्रसन्न कर्ता यह पूछे कि मैं अमुक कार्य करना चाहता हूं क्या मुझे इस कार्य में लाभ होगा या हानि?


उत्तर -: प्रश्न कुंडली में यदि धनेश उच्च का सौम्य ग्रहो से दृष्टि युक्त हो और शुभ स्थानस्थ होकर चंद्रमा या लग्नेश्वर से इत्शाला करता हो तो या धनेश + लग्नेश + पूर्ण चंद्रमा एकत्रित होकर 2,5,9 स्थान में से किसी एक पर बैठे हो या अलग-अलग स्थानों से एक दूसरे को देखते हो तो या सभी शुभ ग्रह पूर्ण चंद्रमा के साथ 1,2,4,5,7, 9,10,11 स्थानों पर अपने उच्च के या स्वगृही पाप दृष्टि रहित बलवान बैठे हो तो या उच्च का शुक्र 1,5 स्थान में मित्र शुभ ग्रह से दृष्ट या चतुर्थ स्थान में स्वग्रही या उच्च का एकादश में पाप दृष्टि रहित बैठा हो तो या लग्नेश लग्न में हो या उसका कर्म स्थान में हो या लग्नेश करने से दृष्ट हो या मित्र शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो प्रश्न करता को बहुत धन लाभ होता है पापा क्रांत होने पर स्वल्प लाभ होता है
इसी प्रकार यदि प्रश्नकाल में लग्नेश धनेश और चंद्रमा पूर्ण बली होकर पाप दृष्टि से रहित धन स्थान में स्थित हो या बृहस्पति तथा धनेश ये दोनों ही यदि शुक्र +बुध से युक्त या दृष्ट हो या पूर्ण चंद्रमा स्वग्रही या उसका शुभ मित्र ग्रहों से युक्त दृष्ट हो और पापा क्रांत ना हो कर 2, 9,11 स्थान में निर्दोष बली हो तो या शुभ ग्रह उच्च स्वग्रही हो 1,2,5 ,9,10,11 में पाप दृष्टि रहित बलवान बैठा हो और पूर्ण चंद्र से दृष्ट हो तो पृष्टा को शीघ्र धन का लाभ होता है

 प्रश्न - (४)  लॉटरी लाभ, यदि कोई प्रश्नकर्ता  आकर पूछे कि मुझे लॉटरी या शेयर  लगाने में लाभ होगा या हानि ?

उत्तर -: प्रश्न कुंडली में यदि कर्क राशि का गुरु दूसरे भाव में पाप पीड़ित ना हो मित्र ग्रह से शुभ दृष्ट हो तो या बुध लाभेश होकर उच्चांस पर उच्च का दूसरे भवन में निर्दोष बलवान हो उच्चाभिलाषी चंद्रमा भाग्य स्थान में गुरु दृष्ट हो तो लॉटरी आने का पूर्ण योग बनता है 
इसी प्रकार प्रश्न कुंडली में यदि 3 ,5, 7, 11 स्थान में शुभ ग्रह शुभ दृष्टि शुभ युक्त बैठे हो तो लॉटरी मेंलाभ होता है पापी क्रूर ग्रहों के पूर्वोक्त स्थानों में बैठ जाने से लॉटरी में हार होती है 
प्रश्नकाल में यदि लग्नेश लाभेश और राशीश लॉटरी लगाने वाले के नाम का स्वामी तीनों लाभ स्थान में लग्न तथा धन स्थान में हो तो या पूर्णचंद्र की उन पर दृष्टि हो या चंद्रमा का इत्शाला  हो तो या पुर्वोक्त राशीश का इत्शाला हो तो निश्चय लॉटरी में लाभ प्राप्त होता है


प्रश्न -(५) मेरा वर्तमान समय कैसा रहेगा ! मै जो कार्य करना चाहता हूं उसमें सफलता प्राप्त होगी कि नहीं ?

उत्तर -:प्रश्न कुंडली में यदि चंद्रमा और बृहस्पति का इत्शाल योग मित्र दृष्टि से सप्तमेश के साथ हो तो प्रश्न् कर्ता का वर्तमान समय तथा भविष्य दोनों ही सुख पूर्ण बीतने वाला होता है और यदि लग्नेश कार्येश दोनों का इत्शाल जिस दिन हो उसी दिन कार्य की सिद्धि होती है उदयी कार्येश  लग्न में हो तथा कार्येश लग्नेश ने एक दूसरे को देखते हो तो निश्चय ही इष्ट कार्य की सिद्धि होती है इन लोगों के प्रतिकूल होने पर कार्य सिद्धि नहीं होती है या पापाकांत कार्येश लग्नेश के होने पर कार्य की सिद्धि नहीं होती है प्रश्न् समय यदि शुभ ग्रह केंद्र त्रिकोण और पाप ग्रह 3,6, 11 में हो तो कार्य सिद्ध होता है

प्रश्न-(६) क्या मेरी सरकारी नौकरी लगेगी या नहीं?

उत्तर-प्रश्न कुंडली में सरकारी नौकरी या सरकारी योग से संबंधित कोई भी प्रश्न दशम भाव से विचार करना चाहिए प्रश्न कुंडली में यदि दशमेश शुभ ग्रह स्वगृही मित्र क्षेत्री उच्चादि का हो कर दूसरे या एकादश स्थान में शुभ दृष्टि युक्त बलवान होकर बैठा हो तो या द्वितीयेश एकादशेश मैं से एक या दोनों ही दशममें हो या यह दोनों ही या एक दशमेशमें से दृष्टि युक्त हो या दशमेश इन दोनों में से किसी एक से या दोनों से ही दृष्टि युक्त हो अथवा एक दूसरे के भाव से दृष्टि युक्त हो और साथ ही किसी न किसी रूप में लग्न या लग्नेश से भी संबंधित हो तो प्रश्न् कर्ता को बहुत अच्छी नौकरी मिलती है और जो नौकर है उसको पद धन यश तथा वेतन वृद्धि का लाभ प्राप्त होता है यदि दशमेश शुभ ग्रह स्वगृही मित्र क्षेत्री तथा उच्च का होकर 3,5 भाव में शुभ दृष्टि युक्त बलवान होकर बैठा हो अथवा तृतीयेश पंचमेश दोनों से या एक से दृष्टि युक्त हो या एक दूसरे के संपूर्ण स्थानांतरण कर के बैठने पर और लग्नेश द्वारा इत्साला करने पर प्रश्न कर्ता प्रतियोगिता द्वारा अपने पुरुषार्थ से सम्मान पूर्ण  उच्च पद से युक्त बहुत बड़ी नौकरी प्राप्त करता है 
इसी प्रकार यदि राज्येश भाग्य स्थान में और भाग्येश राज्य स्थान में हो या दोनों ही राज्य स्थान या भाग्य स्थान में हो या राज्येश भाग्येश एक दूसरे को या एक दूसरे के भाव को मित्र पूर्ण दृष्टि से देखते हो तो भी राजयोग की प्राप्ति होती है

और यदि शनी का राज्येश होकर 3,11 में बैठना साधारण नौकरी दिलाता है छठे भाव में बैठना शत्रु पर विजय  कराता है किंतु अच्छी नौकरी नहीं दिलाता भाग्य स्थान का केतु शुभ ग्रहों के योग को भी निष्फल बना देता है

यदि लग्नेश दशम भाव में बली हो और चंद्रमा सौम्य ग्रहों से दृष्टि युक्त हो या कर्मेश का लग्नेश या चंद्रमा से इत् साला हो या राज्येश उच्च का होकर राज स्थान को देखता हो तो निश्चित ही प्रश्र कर्ता को अच्छी नौकरी प्राप्त कराता है

प्रश्न-(७)  मैं किसी वस्तु को बेचना चाहता हूं क्या इसमें मुझे लाभ होगा या हानि ?

उत्तर -: यदि प्रश्न कुंडली के एकादश भाव बलवान हो और लाभेश शुभमित्र ग्रही होकर धन स्थान में शनि की दृष्टि से रहित बैठा होऔर साथ ही पूर्ण चंद्रमा या बृहस्पति का शुभ दृष्टि योग प्राप्त हो तो प्रश्न कर्ता को निश्चय ही वस्तु के बेचने पर प्रचुर मात्रा में धन लाभ होता है


प्रश्न-(८) मैं उद्यान लगाना चाहता हूं क्या मुझे उद्यान में लाभ होगा ?

उत्तर -यदि प्रश्न कुंडली में दशमेश दशम चतुर्थ तथा सप्तम बलवान लग्न से दृष्टि युक्त बैठा हो तो उद्यान क्षेत्र में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है
यदि दशम में शुभ ग्रह हो व दशम या चतुर्थ में बलवान ग्रह बैठा हो मित्र शुभ ग्रह से दृष्टि युक्त हो और पूर्ण चंद्रमा उससे इत्साल करता हो तो फलदार वृक्ष अधिकता से फलते हैं यदि दशमेश वक्री ग्रह हों या वक्री ग्रह से युक्त हो तो वृक्ष सूख जाते हैं या आंधी तूफान में टूट जाते हैं या उखड़ जाते हैं इसके अतिरिक्त यदि दशमेश वक्री ना होकर अस्त हो तो वाटिका के पुराने वृक्ष उस वर्ष अच्छा फल देते हैं उनकी बाहर के बेचने पर विक्रेता को अच्छा लाभ प्राप्त होता है यदि मार्गी दशमेश लग्न में निर्दोष बलवान हो तो नवीन पौधे के लगाए हुए वृक्ष सुंदर फल की फसल अधिकता से विकसित करते हैं उनकी बाहर की बिक्री करने से उद्यान स्वामी को बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है चर लग्न यदि दशमेश पापि या क्रूर  शत्रु ग्रह से दृष्ट या युक्त हो तो निश्चय ही वाटिका वृक्षों का बंदरों आंधी तूफान बिजली ओला अग्नि आदि से नुकसान होता है
प्रश्न कुंडली में यदि लग्न बली हो शुभ ग्रहों से दृष्टीयुक्त हो पाप आक्रांत ना हो तो पुष्पो वाले पौधे जैसे चंपा चमेली गुलाब गेंदा मोतिया गुलाब आदि खूब लाभ देने वाले होते हैं यदि पूर्ण चंद्र स्वगृही उच्च मित्र क्षेत्री लग्न में हो तो बीजदार फल जैसे नारंगी संतरा नाशपाती इत्यादि खूब लाभ देते हैं लगन नवांश यदि लग्न दशम में हो तो गुठली वाले फल जैसे आम अनुजा जामुन अम्लादी खूब फलते फूलते हैं लग्नेश जिस भाव में बैठा हो उस भाव तथा राशि के अनुसार फलों के स्वाद खट्टे मीठे इत्यादि होते हैं पापा कांत लग्न और चंद्रमा शुभ अशुभ फलदायक होते हैं

"जय श्री राधे राधे "


आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
( भागवत प्रवक्ता)
 9414 6572 45


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