जय श्री राधे राधे
आज हम बात करे मंत्र सिद्धि के द्वारा मनोकामना सिद्धि की इससे पहले मंत्र साधना में आवश्यक सावधानियां की भी जानकारी हमें होनी चाहिए तो आइए हम पहले जानते हैं कि मंत्र साधना में हमें किस प्रकार की सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए मंत्र साधना में सर्वप्रथम
साधक को मंत्र का प्रयोग करने से पूर्व किसी ज्ञानी गुरु के चरणों में बैठकर उनसे समस्त क्रियाओं के बारे में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना चाहिए इसके बाद भक्ति एवं प्रबल आत्मविश्वास के साथ गुरु की आज्ञा प्राप्त कर साधना में प्रवृत्त होना चाहिए इसके विपरीत यदि साधक के मन में है अविश्वास होगा तो उसकी साधना का फल हानिप्रद हो सकता है क्योंकि बिना विश्वास के दुनिया का कार्य नहीं चल सकता अतः स्तर चित्त होकर ही कर्म में प्रवृत्त होना चाहिए और जिस दिन से कोई कर्म करना हो प्रातकाल सैया त्याग नित्यक्रम से निवृत्त होकर एकांत स्थान में जो जो मंत्र सिद्धि करना है उसे भोजपत्र पर केसर से लिखकर मुख में रख लेना चाहिए तथा जब तक मंत्र क्रिया चले कि उस समय चावल मूंग की दाल या ऋतु फल का आहार कर रात्रि में पृथ्वी पर सहन करना चाहिए और जिस मंत्र की साधना हम कर रहे हैं उस मंत्र सिद्धि के जो आवश्यक निर्देश है उनका पालन करते हुए हमें अपनी मंत्र साधना करनी चाहिए
१, सर्व विघ्न हरण मंत्र-:
"ओम नमः शांते प्रशांते ओम ह्लीं ह्लां सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा "
उपरोक्त मंत्र को प्रतिदिन प्रात काल 21 बार पाठ कर मुख मार्जन करने से परिवार के समस्त प्राणी सदा शांति एवं निर्विघ्न जीवन व्यतीत करते हैं सांयकाल पीपल की जड़ में शरबत चढ़ा धूप दीप प्रज्वलित करें जिससे घर परिवार में सभी प्रकार से सुख-शांति बनी रहती है
२, ग्रह बाधा हरण मंत्र -:
"ओम शं शं शिं शीं शुं शूं शें शैं शों शौं शं श:सर्व: सं स्वाहा"
बारह अंगुल लंबी पलाश की लकड़ी को लेकर उपरोक्त मंत्र से एक हजार बार अभिमंत्रित कर वह लकड़ी जिस मकान में गाड़ दी जाएगी उस घर के रहने वाले सदा निर्विघ्न रहते हैं तथा घर परिवार में सुख समृद्धि व सौहार्द बना रहता है
३, भूत प्रेत भय नाश मंत्र -:
"ओम नमः श्मशान वासिने भूतादीनाम पलायनम् कुरु कुरु स्वाहा "
दीपावली की रात्रि को 1008 बार मंत्र जाप कर सिद्ध कर लें फिर जब प्रयोग करना हो तो रविवार के दिन मैं कुत्ता और घुग्घु का मल , ऊंट के बाल , सफेद घुघूंची , गंधक , गोबर ,कडुवा तेल , सिरस नामक वृक्ष के फल तथा पत्ते , लाकर हवन कर उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करने से भूत प्रेत वेताल राक्षस डाकिनी शाकिनी प्रेतनी आदि समस्त बाधाएं दूर हो जाती है
४, धन वृद्धि का मंत्र -:
"ओम नमो भगवती पदम पद्मावती ओम ह्लीं ओम पुर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय कुरु कुरु सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा "
इस मंत्र का विधान पूर्वक दीपावली की रात्रि को सिद्धि कर ले तत्पश्चात प्रातः सैया त्याग से पूर्व 108 बार मंत्र पढ़कर चारों दिशाओं के कोणों में 10, 10 बार फुके तो साधक को सभी दिशाओं से धन प्राप्ति होती है
५, असमय मृत्यु भय निवारण मंत्र -:
"ओम अघोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: स्वाहा "
इस मंत्र को किसी भी शुभ नक्षत्र और शुभ वार में दस हजार बार जप कर सिद्ध कर लें और जब प्रयोग करना हो तो जिस रविवार को पुष्य नक्षत्र हो उस दिन प्रात काल गुरमा नामक वृक्ष की जड़ लाकर गर्म जल में मसले और फिर 108 बार उपरोक्त मंत्र पढ़कर 8 बार नित्य पान करने से अकाल मृत्यु का निवारण होता है
६, अदालत में मुकदमा जीतने का मंत्र -:
"ओम क्रां क्रां क्रां ध्रूमसारी बदाक्षं विजयति जयति ओम स्वाहा "
जिस दिन त्रयोदशी को पुनर्वसु नक्षत्र पड़े तब सुरही के चरमासन पर सरिता के निकट मूंगे की माला से इस मंत्र का ग्यारह सौ बार जाप करें इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाता है
और जब प्रयोग करना हो तो 7 बार मंत्र पढ़कर हाकिम के सम्मुख जाने से मुकदमे में विजय ओओअवश्य प्राप्त होती है
७, अधिकारी को वश में करने का मंत्र -:
"ओम नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने अमुकम अधिकारीम मे वश्यम कुरु कुरु स्वाहा "
इस मंत्र को केवल 1008 बार जाप करके सिद्ध कर ले और आवश्यकता के समय कपूर चंदन और तुलसी की पत्ती को दूध में पीसकर उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित करके मस्तक पर तिलक लगा अधिकारी के सम्मुख जाए तो अधिकारी आपके वश में हो जाता है और अपनी इच्छा के अनुसार अपना कार्य करता है उपरोक्त मंत्र में अमुक शब्द के जगह संबंधित अधिकारी का नाम उच्चारण करें
८, व्यापार में दिनों दिन लाभ प्राप्ति का मंत्र -:
"श्री शुक्ले महा शुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्म्ये नमो नमः , लक्ष्मी माई सत्य की सवाई आओ माई करो भलाई न करो सात समुद्र की दुहाई रिद्धि सिद्धि खावोगी तो नौनाथ चौरासी की दुहाई "
यह एक परम सिद्ध साबर मंत्र है
इस मंत्र को दीपावली की रात्रि को एकांत में पवित्रता पूर्वक बैठकर 10000 बार मंत्र का जाप करें और प्रतिदिन दुकान खोल गद्दी पर बैठ 108 बार मंत्र पढ़ व्यापार करें तो दिनों दिन आपके व्यापार में अतिसय गति से वृद्धि प्राप्त होने लगेगी
९, रोगादि दोष निवारण उपाय -:
मिट्टी के सात करवे तथा उनके ढक्कन लाए और सात प्रकार के रेशम लाकर उनके ऊपर सिंदूर लगाएं फिर सातों करवो को क्रमश लाल पीला हरा काला गुलाबी भूरा तथा सफेद रंगों से एक एक करवा को रंगे फिर अगर ,कपूर, छैल छबीला ,इन सबको मिलाकर सात पुड़िया बना ले फिर उन रंगे हुए करवो में सरसों का तेल डालकर उनका मुंह ढक्कन से बंद कर दें और उन सात पूरियों में से एक एक पुरीया सातो पर रख दे और रोगी के ऊपर सात बार उतार कर सबको किसी नदी तालाब पोखर आदि जलासय से में विसर्जित करदे इससे सभी प्रकार की आधी व्याधि रोग दूर हो जाते हैं
१०, आकस्मिक धन प्राप्ति का मंत्र -:
"ओम ह्लीं श्रीं क्लीं नमः द्रव: "
मृगशिरा नक्षत्र में कुशा के आसन पर बैठकर किसी सरिता के तट पर श्रद्धा पूर्वक 21 दिन में एक लाख बार मंत्र जप करने से अनायास धन प्राप्ति होती है
११, पीलिया रोग झाड़ने का मंत्र -:
"ओम नमो वीर बेताल असराल नारसिंहदेव खादी तुषादी पीलियांक मिटाती कारै झारै लिया पीलिया रहै न नेक निशान जो कहीं रह जाए तो हनुमंत की आन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वर वाचा "
यह एक सिद्ध शाबर मंत्र है इस मंत्र का झाड़ा देने से पीलिया रोग समूल नष्ट हो जाता है इसके लिए काशी के कटोरे में तेल भरकर रोगी के सिर पर रखे और हाथ में कुशा लेकर मंत्र पढ़ते हुए तेल में घूमावे और जब तेल पीला हो जाए तब नीचे उतार ले इस प्रकार 3 दिन झाड़ने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है
१२, आत्म रक्षा मंत्र -:
" ओम क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं फट् "
उपरोक्त मंत्र का नित्य 500 बार जाप करने से साधक को समस्त सुख प्राप्त होते हैं और आत्मभय से दूर होकर व्यक्ति निर्भय हो जाता है
१३, हंस सिद्धि मंत्र -:
"हं हं के के हंस हंस: "
उपरोक्त मंत्र किसी सरोवर के तट पर पवित्र स्थान में कालिका देवी की प्रतिष्ठा कर मनोयोग पूर्वक पूजा करें तत्पश्चात एक लाख बार मंत्र जाप करें तो यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक हंस की बोली समझने योग्य हो जाता है तथा उपरोक्त मंत्र से अभिमंत्रित हंस विस्टा का तिलक लगाने से साधक सर्व दर्शी शक्ति को प्राप्त कर लेता है जिसके प्रभाव से उसे भूत भविष्य वर्तमान और तीनों कालों का ज्ञान हो जाता है
१४, बांझपन नाशक तंत्र -:
"१, जिस दिन श्रवण नक्षत्र हो उस दिन काले अरंड वृक्ष की जड़ लाकर धूप दीप देकर बंध्या स्त्री के गले में बांधने से बांझपन का दोष दूर हो जाता है
२, श्रावण के महीने के कृष्ण पक्ष में जब रोहिणी नक्षत्र हो उस दिन एक मिट्टी के कोरे घड़े को लाकर नदी तट पर जाएं और वहां कमर को थोड़ा सा झुका कर उस घड़े में नदी का जल भर लाये उस जल का बांझ स्त्री को थोड़े दिन पिलाए तो उससे बांझपन का दोष दूर हो जाता है
३,पलाश वृक्ष के एक पत्ते को किसी गर्भवती स्त्री के दूध में भिगोकर ऋतु स्नान के बाद सात दिन तक खाने से बंध्या रोग दूर होता है
४, कदम वृक्ष का पत्ता श्वेत बृहती की जड़ बराबर मात्रा में बकरी के दूध अथवा गोखरू के बीच संभालू वृक्ष के पत्तों के रस में पीसकर पांच दिन खाने से वंध्या रोग दोष दूर हो जाता है
१५, उत्तम पत्नी प्राप्ति का मंत्र -:
"ओम ह्लीं पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम !तारीणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद् भवाम् ह्लीं ओम !!
प्रतिदिन स्नान ध्यान उपरांत रक्त चंदन की माला पर इस मंत्र को 108 बार जप करने से 1 वर्ष में ही उत्तम पत्नी की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखी रहता है
१६, रुष्ट होकर भागे व्यक्ति को वापस लाने का मंत्र या नष्ट वस्तु प्राप्ति का उपाय -:
"भागे व्यक्ति का पहना हुआ पसीना लगा बिना धुला वस्त्र लेकर उस पर अनार की कलम द्वारा रक्त चंदन से निम्न मंत्र लिखें फिर उस वस्त्र का किसी चरखे के छोर पर बांध दें नियमित रूप से 21 दिनों तक प्रातकाल उसी मंत्र का उच्चारण करते हुए चरखे को विपरीत दिशा में 108 बार उल्टा घुमाएं तथा नष्ट वस्तु की पुनः प्राप्ति के लिए प्रतिदिन 1008 बार या 10 माला से विधि करना चाहिए
"ओम क्लीं कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्रवान!
यस्य स्मरण मात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते क्लीं ओम !!
१७ , परीक्षा में सफलता प्राप्ति मंत्र प्रयोग -:
"ओम क्लीं बुद्धिं देही यशो देही कवितं देहि देहि में ! मूढत्वं हर में देवि त्राहि मां शरणागतम क्लीं ओम !!
प्रतिदिन ब्रह्म मेला में स्नान ध्यान उपरांत रुद्राक्ष या रक्त चंदन या कमल गट्टे की माला से इस मंत्र का 1008 या 10 माला जप करने से विद्या लाभ में आश्चर्यजनक प्रगति तथा परीक्षा में निश्चित सफलता प्राप्त होती है
१८, रोग बाधा निवारण मंत्र प्रयोग -:
"ओम ऐं सोमनाथो वैद्यनाथो धनवंतरि रथ धन्वन्तरिरथश्विनौ !
पंचैतान्संस्मरेन्नित्यं न बाधते ऐं औम !!
इस मंत्र का 108 बार जाप करके रोगी के समीप प्रतिदिन सुबह-शाम जाप करें दु:साध्य स्थिति में 21 बार मंत्रोच्चारण से जल फूक्कर तत्परता पूर्वक रोगी को पिलाने से शीघ्र बाधा दूर होती है प्रयोग कर्ता सात्विक व्यक्ति होना चाहिए
१९, स्त्री सौभाग्य वर्धक मंत्र -:
ओम ह्लीं कपालिनी कुल कुंडलिनी में सिद्धि देही भाग्यं देहि देहि स्वाहा "
इस मंत्र का कृष्ण पक्ष की चौदस से प्रारंभ करके अगले महीने की कृष्ण पक्ष की तेरस तिथि तक एक हजार बार जाप करने से स्त्रियों की समस्त आधिव्याधि दूर होती है और पति पुत्र परिवार आदि की प्रिय बनती है
२०, सर्व मोहन मंत्र -:
"ओम श्रीं धूम धूम सर्व मोहयतु ढ:ढ: :
इस मंत्र को प्रथम 1000 बार जप कर सिद्ध कर ले फिर जब प्रयोग करना हो तब चेचिक पक्षी के पंख को कस्तूरी में पीस 108 बार मंत्र से अभिमंत्रित कर मस्तक पर तिलक लगाने से देखने वाली समस्त जन मोहित हो जाते हैं
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