विभिन्न मनोकामना पूर्ति हेतु यंत्र साधना प्रयोग विधि vibhinn manokamna purti hetu yantra sadhna vidhi

जय श्री राधे राधे


आज हम बात करते हैं यंत्र साधना प्रयोग विधि के विषय में इसी क्रम में उन लोक प्रचलित विविध उन यंत्रों की चर्चा करते हैं जिनके द्वारा पूर्व काल से ही साधकों ने अपनी कार्य सिद्धि प्राप्त की है इन लोक प्रचलित यंत्रों का संकलन अनेक प्राचीन ग्रंथों से किया गया है यंत्र सिद्धि से पूर्व साधक को स्तर बुद्धि से विचार करने के बाद ही साधना में प्रवृत्त होना चाहिए, इन सभी वर्णित यंत्रों में विशेष पूजन हवन आदि की आवश्यकता नहीं है आवश्यक विधान एवं मंत्र जप संख्या समस्त यंत्रों के साथ दी जा रही है वर्णित विधान के अनुसार यदि यंत्रों को सिद्ध किया जाए तो ये विशेष लाभकारी होते हैं अतः यंत्र साधना से पूर्व साधक के मन में इनके प्रति पूर्ण विश्वास लग्न व पूर्ण आस्था होना अति आवश्यक है

१, प्रेम उत्पन्न करने का यंत्र विधान -:

यदि आप किसी से प्रेम करते हैं और चाहते हैं कि वह भी आप से प्रेम करें किंतु  वह आपकी ओर आंख उठाकर भी नहीं देखता तथा उस को आकर्षित करने के आपके सारे प्रयास विफल हो चुके हैं तो आप हमारे इस अद्भुत यंत्र को भोजपत्र पर केसर से लेकर उसकी बत्ती बना ले और मिट्टी के कोरे दीपक में सरसों का तेल डालकर प्रज्वलित करें और दीपक का मुंह जिस को वश में करना हो उसके घर की ओर रखें इस प्रकार साथ दिवस तक प्रयोग करें तो आपकी मनोकामना निश्चित रूप से पूरी होती है और उसका पाषाण हृदय पिगल कर मॉम हो जाएगा और वह स्वयं ही यंत्र के प्रभाव से आप की ओर खिंचा चला आएगा


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        ११,       ८,     १,         १०
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       २,          १३,       १२,       ७
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      १९,     ‌‌‌  ३ ,   ‌‌‌‌‌‌       ६ ,        ९
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      ५  ,  ‌‌‌‌‌‌     १०,     १५,    ४०
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२, प्रेमिका वशीकरण यंत्र -:


यदि आप किसी अविवाहित युवती से प्रेम करते हैं परंतु वह आपके लाख प्रयत्न करने पर भी आपकी ओर आकर्षित नहीं होती है और आप उसके प्रेम से व्याकुल तथा निराश हो चुके हैं तो आप इस यंत्र का प्रयोग करें आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी और वह रूपवती कामिनी निश्चित रूप से आप की ओर आकर्षित होने लगेगी इसके लिए उक्त यंत्र की साधना करनी होगी ,
इसके लिए आप इस यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम से लिख कर गेहूं के आटे में मिलाकर किसी सरिता में डाल दें इस प्रकार यह क्रिया 21 दिन तक निरंतर करने के बाद यंत्र को लिखकर अनार के पेड़ में लटका दे हवा के घर्षण से वह जैसे जैसे हिलेगा वैसे वैसे ही आपकी अभिलाषित कामिनी आपके प्रेम में व्याकुल होकर आपसे मिलने के लिए उक्त स्थान पर उपस्थित होगी ,





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           ‌  ६ ,              १  ,      ‌‌‌‌        ८,
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             ७  ,               ५ ,               ३,
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             ४ ,             ‌‌‌‌    ९ ,               २,
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३, पति पत्नी की अनबन दूर करने का यंत्र -:

यदि आपकी पत्नी से जरा जरा सी बात पर खटपट होती रहती है एक भी दिन प्रेम के साथ नहीं व्यतीत होता है तो आप इस यंत्र को पवित्रता पूर्वक चंदन के लाल स्याही से फूल के बर्तन में सात दिन तक निरंतर लिखें जिससे आपके दांपत्य जीवन में सरसता मधुरता  व आपसी प्रेम की सरिता प्रवाहित होने लगेगी,





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     ११,       ०  ,            ४ ,             ८
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      ७,         ३   ,           १५ ,           १४
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     २७,          १२,             १९,            १
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     ४,             ६,             १३,          ‌‌‌‌    ६
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४, अधिकारी वशीकरण यंत्र -:


यदि आपको आपका अधिकारी प्रताड़ित करता है या आपकी बात को नहीं मानता है तो आप को इस वशीकरण यंत्र को भोजपत्र पर केसर, गोरोचन ,लाल चंदन,  अनामिका अर्थात अंगूठे से चौथी अंगुली का रक्त मिश्रण करके लिखें और धूप दीप नैवेद्य आदि से विधिवत पूजन करके ब्राह्मण तथा कन्या भोजन कराकर यंत्र को दाहिने हाथ की मुट्ठी में दबा कर राज्य अधिकारी के सम्मुख जाने से अधिकारी वश में हो जाता है

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           ह्लीं           ह्लीं                ह्लीं,              ह्लीं







            ह्लीं‌‌        अधिकारी का नाम                  ह्लीं

                  


          ह्लीं             ह्लीं                  ह्लीं                  ह्लीं
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५,       रूठे मित्र को मनाने का यंत्र -: 

यदि कोई मित्र हमसे रूठ गया हो और हमको भुला बैठा हो तो इस यंत्र को कस्तूरी से लिखकर किसी वृक्ष की शाखा से लटका दें जब पवन से यंत्र हिलेगा तो मित्र का चित्र हिलेगा और वह शीघ्र आकर आपसे निश्चित रूप से मिलेगा ,


_____________________________________________ह्रं               ह्रां                          ह्रीं                     ह्र:
_____________________________________________ह्रु                ह्रां                          ह्रीं                     ह्र:
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ह्रें                  ह्रां                        ह्रीं                     ह्र:
_____________________________________________ह्रौं                 ह्रां                         ह्रीं                   ह्र:
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६, सर्व ग्रह बाधा दूर करने का यंत्र -:


लाल चंदन को गाय के दही में मिलाकर स्वर्ण की लेखनी से    ग्यारह सो बिल्व पत्रों पर इस यंत्र को लिखकर अग्नि में हवन करें अरिष्ट सर्व ग्रह बाधा दूर हो जाती है यह एक परीक्षित यंत्र है


_____________________________________________११ ,                               १३,                                १५
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१७ ,                              १९,                                २१
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२३ ,                              २५ ,          ‌                        २९
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७, भूत प्रेत भय नाशक यंत्र -:

इस यंत्र को गोरोचन से भोजपत्र पर लिखकर गले में बांधने से भूत प्रेत बाधा आदि दूर होते हैं और भय से सर्वदा सर्वदा के लिए मुक्ति मिल जाती है


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१                          ९                     ९१     ‌           ९६
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८                          २                      ९                  ८६
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९२                        ९५                   ३                   ७
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९४                          ९१                  ६                   ४
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८, अद्भुत वशीकरण यंत्र -:


यदि आप किसी को जीवन पर्यंत अपने बस में रखना चाहते हैं जिससे वह सदैव आप के अधीन रहकर अन्य किसी का अपने मस्तिक में ध्यान ही न लावे तो आप हमारे निम्नांकित अद्भुत यंत्र को भोजपत्र के एक चौड़े टुकड़े पर अनामिका अंगुली का रक्त ,हाथी का मद , लाख का रस , तथा गोरोचन की स्याही से चंदन वृक्ष की लकड़ी की लेखनी बनाकर तत्पश्चात किसी पवित्र स्थान से काली मिट्टी लाकर उससे गणेश जी की मूर्ति बना यंत्र को गणेश जी के उधर में स्थापित करें और  पुष्प तथा धूप इत्यादि से" देवाधिदेव गणाध्यक्ष सूरासुर
 नमस्कृत ," देव देवदत्त महा वश्यं कुरु प्रभो "  और देवदत्त के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लिखना जिसको आप अपने बस में करना चाहते हो इस प्रकार पूजन करके जमीन में हाथ भर गड्ढा खोदकर गणेश जी की मूर्ति को रख ऊपर से मिट्टी डालकर बंद कर दें तो साध्य व्यक्ति जीवन पर्यंत आपके बस में रहेगा


गं    गं      गं    गं     गं    गं   गं     गं   गं  गं
___________________________________गं
                                                              गं
                                                               गं  
        ह्लीं    ह्लीं  ह्लीं  ह्लीं  ह्लीं ह्लीं  ह्लीं             गं

          कों  ह्लीं  क्लीं   गं  देवदत गं                गं
                                                              गं
         क्लीं  ह्लीं क्रौं ह्लीं क्लीं क्रं ह्लीं                गं
                                                              गं

                   ह्लीं   ह्लीं ह्लीं ह्लीं                      गं 
____________________________________गं

   गं   गं    गं  गं   गं    गं    गं   गं    गं  गं



९, नवग्रह दोष उत्पाद शांति की यंत्र विधि -:

इस जन्म तथा अपर जन्म के असत कर्मों के फल स्वरुप नौ ग्रहों की अशुभ दृष्टि से मानव  को अनेक प्रकार के अनिष्टो  की प्राप्ति होती है अथवा यो मानिये  की ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश मंडल में स्थित ग्रह पिंडों के प्रभाव से उत्पन्न उत्पाद दो प्रकार के होते हैं
(  १,) संपूर्ण राष्ट्र पर प्रभाव डालने वाले ग्रह, उत्पाद, गृह युद्ध, भूकंप , वर्षा  आदि,
(२) व्यक्ति विशेष पर होने वाले नाना प्रकार के गृह युतियों द्वारा परिलक्षित होते हैं 
जिनका विवेचन ज्योतिषशास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में किया गया है तंत्र शास्त्र के अंतर्गत यंत्र मंत्र का विशिष्ट महत्व है इस विषय पर कहीं स्वतंत्र ग्रंथ निर्मित किए गए हैं मगर  सर्वसाधारण बहुत से विषयों से अपरिचित रहते हैं अतः ज्योतिष शास्त्र में ग्रह दोष निवारण के लिए यंत्रों का भी विशेष महत्व होता है जिन्हें जनसाधारण के लिए बहुत ही सरल तरह से निर्मित किया गया है इन यंत्रों को प्रारंभ में सिद्ध करना पड़ता है तदुपरांत ही कोई व्यक्ति  किसी दूसरे को बना कर दे सकता है 

यंत्र सिद्ध करने की विधि इस प्रकार है


प्रारंभ में जिस ग्रह मंत्र आदि को सिद्ध करना हो उस ग्रह के देवता के वार दिन व्रत उपवास करें और विधिवत 8000 या 32000 गृह संबंधित मंत्रों का जप हवन आदि प्रतिदिन 2000 की सबसे करें फिर उस ग्रह की काल होरा में यंत्र निर्माण कर उसका पूजन आदि करें इसके पश्चात अभिलाष इस व्यक्ति को उपवास एवं यंत्र पूजन करा कर यंत्र धारण करना चाहिए और ग्रहण होली दीपावली दशहरा रामनवमी अमावस्या वसंत पंचमी आदि शुभ ग्रह नक्षत्रों में यंत्रों का पूजन करना चाहिए जिस ग्रह का यंत्र हो उसके वार दिन प्रात पूजन धूप दीप आदि करते रहना चाहिए तो अति उत्तम होता है


यंत्र निर्माण में विशेष ध्यान रखने वाली बातें


१,यंत्रों को भोजपत्र पर अष्टगंध केसर अथवा लाल चंदन या केसर मिश्रित सफेद चंदन आदि से अनार या तुलसी की कलम अथवा सोने की कलम से ही लिखना चाहिए !
२,यंत्र सोने अथवा चांदी के पत्र पर भी अंकित हो सकते हैं 
३, यंत्र को तांबा चांदी अथवा सोने के ताबीज में भरकर धारण करना चाहिए 
४,इन यंत्रों का निर्माण यज्ञोपवित धारी ब्राह्मण अथवा गुरु धारक व्यक्ति कर सकते हैं
५, सूर्य , चंद्र, मंगल, गुरु शुक्र,इन यंत्रों को लाल डोरे में बुध यंत्र को हरे डोरे में शनि केतु राहु के यंत्रों को काले रंग
 के डोरे में पिरो कर दाहिनी भुजा अथवा गले में धारण करना चाहिए



सूर्य यंत्र-


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६                   १               ८
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७                     ५              ३
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२                     ९              ४
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चंद्र यंत्र-


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७                      २                  ९ 
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८                        ६                   ४ 
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३                         १०                 ५ 
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मंगल यंत्र -

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८                              ३                   १०
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९                               ७                     ५ 
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४                                 ११                    ६ 
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बुद्ध यंत्र -

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९              ४           ११ 
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१०            ८             ६ 
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५               १०            ७ 
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गुरु यंत्र -

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१०             ५           १२ 
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११              ९             ७ 
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६                  ८            १३ 
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शुक्र यंत्र-


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११                 ६             १३ 
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१२                  १०             ८
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७                     १४             ९
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शनि यंत्र -


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१२                      ७               १४ 
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१३                       ११              ९ 
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८                           १५            १० 
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राहु यंत्र -

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१३                ८           १५ 
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१४                 १२           १० 
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९                   १६             ११ 
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केतु यंत्र-

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१४          ९           १६ 
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१५            १३          ११ 
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१०              १७          १२ 
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आचार्य कौशल कुमार शास्त्री
 9414 6572 45

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