Love marriage, प्रेम विवाह योग

                             जय श्री राधे राधे

 आज हम जन्म कुंडली विश्लेषण के अंतर्गत जानते हैं कि किन स्थितियों में प्रेम विवाह योग बनता है तो आइए आज इसी बिंदु को लेकर के जन्म कुंडली विश्लेषण की चर्चा करते हैं कुंडली के पंचम भाव से हम प्रेम का विश्लेषण करते हैं और सातवें घर को ज्योतिष में विवाह का भाव माना जाता है अतः  जातक की जन्मकुंडली में प्रेम विवाह का विश्लेषण करते समय हमें मुख्य रूप से पंचम भाव और सप्तम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करना अति आवश्यक हो जाता है।क्योंकि इन दोनों भावों की ग्रह स्थिति का विश्लेषण  करके ही हम जातक के जीवन में प्रेम विवाह योग की भविष्यवाणी कर सकते हैं। अतः आइए हम इन दोनों भावो की ग्रह स्थिति का विश्लेषण करते हैं । जन्म कुंडली का जो सातवां भाव होता है वह शुक्र का घर होता है अतः जातक की जन्म कुंडली में प्रेम विवाह योग ज्ञात करने के लिए हमें सबसे पहले शुक्र की स्थिति का सूक्ष्म विश्लेषण करना होगा,।।

जन्म कुंडली में प्रेम विवाह योग


१,यदि जन्म कुंडली में पंचमेश और सप्तमेश पंचम भाव में या सप्तम भाव में विद्यमान हो या फिर दोनों की ही राशि परिवर्तन हो रही हो तो ऐसी स्थिति में जातक प्रेम विवाह करता हैऔर उनका यह विवाह सुखद परिणाम देने वाला भी होता है।

२, यदि लग्नेश और सप्तमेश में राशि परिवर्तन हो रहा हो तब भी प्रेम विवाह योग बनता है या यदि जातक की जन्म कुंडली में  लग्नेश लग्न में चंद्रमा के साथ विद्यमान हो या फिर सप्तमेश सप्तम भाव में चंद्रमा के साथ विद्यमान हो ऐसी स्थिति में भी जातक की जन्म कुंडली में प्रेम विवाह योग बनता है और ऐसे जातक  आगे चलकर  अंतर्जातिय विवाह भी करते हैं।

३,इसी प्रकार यदि किसी बालक की जन्म कुंडली में राहु या केतु के साथ शुक्र व चंद्रमा स्थित हो तो लव मैरिज योग बनता है या फिर राहु केतु लग्न से या सप्तम भाव से शुक्र से सात पाद की दूरी पर स्थित हो तब भी जातक अंतरजातीय विवाह करता है।

४, यदि जन्म कुंडली में शुक्र पांचवे भाव में या नौवें भाव में उच्च का होकर विद्यमान हो तो तो जातक की जन्मकुंडली में प्रेम विवाह योग बनता है। या यदि जन्म कुंडली में मंगल का संबंध किसी भी प्रकार से पंचम भाव से या पंचम भाव के स्वामी से बन रहा हो या लग्न अथवा लग्नेश से बन रहा हो तो जातक की जन्मकुंडली में प्रेम विवाह योग बनता है।।


५ , इसी प्रकार से यदि जातक की जन्म कुंडली में बुध राहु के साथ विद्यमान हो तो जातक के मन में मानसिक अस्थिरता उत्पन्न होती है और वह अपने परंपरा के विपरीत अपनी इच्छा के अनुसार विवाह करता है।

६,यदि जातक की जन्म कुंडली में पंचम भाव का स्वामी पंचमेश, सप्तम भाव का स्वामी सप्तमेश और नवमेश किसी भी भाव में एक साथ विद्यमान हो तो निश्चित रूप से प्रेम विवाह योग का निर्माण करते हैं।

७,इसी प्रकार यदि जन्म कुंडली में सूर्य अपनी नीच राशि तुला में स्थित हो  तब भी जातक अपनी परंपराओं के विपरीत जाकर के अंतर्जातिय विवाह करता है।

८, यदि जातक की जन्मकुंडली में लग्नेश, राशि पति और सप्तमेश एक ही भाव में विद्यमान हो या एक दूसरे से सातवें घर की दूरी पर स्थित हो तो जातक प्रेम विवाह करता है।

९ , यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में एक से अधिक ग्रह सातवें घर की दूरी पर स्थित हो तो प्रेम योग का निर्माण करते हैं।

१०, यदि लड़का और लड़की की राशि आपस में एक दूसरे से सात भाव की  दूरी पर हो जैसे लड़का मेष राशि और लड़की तुला राशि हो तो दोनों प्रेम विवाह करते हैं और उनका यह प्रेम विवाह सुखद परिणाम देने वाला  होता है।।



प्रेम विवाह में सफलता प्राप्त करने के उपाय

जैसा कि  उपरोक्त विवेचनो से हमने जाना कि किस प्रकार की ग्रह स्थिति से जातक की जन्म कुंडली में प्रेम विवाह योग का निर्माण होता है। लेकिन यदि दो प्रेमी युगल एक दूसरे से  प्रेम करते हैं और  विवाह करना चाहते हैं लेकिन विवाह में कई प्रकार की रुकावटें आ रही हैं तो ऐसे प्रेमी युगलों को निम्न प्रकार के उपाय करने चाहिए। जिससे उनके प्रेम विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होगी, और जल्द ही उनकी मनोकामना पूर्ण होगी।

१, सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश  की ग्रह शांति अवश्य करवानी चाहिए।

२, लड़की को सोलह सोमवार का व्रत करना चाहिए जिससे निश्चित रूप से मनचाहा वर की प्राप्ति होती है ।

३,पूर्णिमा या शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन भगवान श्री कृष्ण को मुरली चढ़ावे, और नित्य"ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" महामंत्र की पांच माला का जाप करें निश्चित रूप से तीन महीने के अंदर मनोकामना पूर्ण  होगी।

 ४, प्रेमी युगलको प्रत्येक शुक्रवार और पूर्णिमा को अवश्य मिलना चाहिए, और यदि शुक्रवार के दिन पूर्णिमा पड़ रही हो तो अति आवश्यक रूप से मिलना चाहिए ।

 ५, यदि दोनों की जन्म कुंडली में मंगल दोष के कारण विलम्ब हो रहा हो तो पहले मंगल दोष का निवारण कराना चाहिए।

६, प्रेमी युगलों में से किसी एक को हीरा उपहार में देना चाहिए और उसे शुक्रवार के दिन चांदी में विधिवत धारण करना चाहिए।

७, अपने इष्ट देव की सच्चे मन से की आराधना करनी चाहिए।



वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर, राजस्थान

मो० 9414 6572 45


 किसी भी प्रकार की समस्या का  वैदिक ज्योतिषीय समाधान हेतु ऑनलाइन परामर्श के लिए निम्न व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री 

            "भागवत प्रवक्ता"

            ( m.a. ज्योतिषशास्त्र)


Post a Comment

0 Comments