जैसा कि हमने पूर्व की पोस्ट में जाना की जन्म कुंडली में जिस ग्रह के सबसे अधिक अंश होते हैं वह आत्म कारक ग्रह होता है तथा वही सब ग्रहों का राजा होता है इसके बाद आत्म कारक ग्रह से कम अंश वाला ग्रह अमात्य कारक व अमात्य कारक से कम अंश वाला ग्रह भ्राता कारक, भ्राता कारक से कम माता कारक और माता कारक ग्रह से कम अंश वाला ग्रह पुत्र कारक, तथा पुत्र कारक से कम प्रजा कारक, व इससे कम स्त्री कारक ग्रह होता है इस प्रकार सात कारक ग्रह माने गए हैं। इस प्रकार अलग-अलग भावो में कारक ग्रहों के योग से बनने वाले योग के विषय में आज हम विस्तार से चर्चा करते हैं।
सूर्यादि आत्म कारक ग्रहों का फल -:
१,यदि जन्म कुंडली में सूर्य आत्म कारक ग्रह बनता है तो ऐसा जातक अपने जीवन में राज्य सुख प्राप्त करता है।
२, यदि कारक ग्रह पूर्ण चंद्रमा हो और शुक्र से दृष्ट हो तो ऐसा जातक जीवन में दीर्घायु होता है तथा विद्या से आजीविका चलाने वाला होता है।
३, यदि आत्म कारक ग्रह मंगल बनता है और शुभ ग्रह की युति हो अथवा शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो ऐसा जातक अग्नि से संबंधित क्षेत्र को अपना कार्य क्षेत्र चुनता है।
४, यदि जन्म कुंडली में आत्म कारक ग्रह बुध बनता हो और शुभ ग्रह से युति या दृष्ट हो तो ऐसा जातक वाकपटु व व्यापार से अधिक धन प्राप्त करता है।
५, गुरु यदि जन्म कुंडली में आत्म कारक ग्रह बनता है तो ऐसा जातक शास्त्रों का अधिकारी व शुभ कर्म करने वाला होने के साथ-साथ पृथ्वी पर शुभ कीर्ति प्राप्त करने वाला बनता है।
६, शुक्र जन्म कुंडली में आत्म कारक ग्रह हो तो ऐसा जातक राज्य से सम्मान प्राप्त करता है सुंदर व भौतिक सुख सुविधा प्राप्त करने वाला होता है।
७, शनी आत्म कारक ग्रह हो तो ऐसा जातक राजा से सम्मानित व विशेष कार्य करने वाला होने के साथ-साथ संसार में यश प्राप्त करता है।
८, राहु यदि आत्म कारक ग्रह हो तो जातक पाप कर्म से धन प्राप्त करने वाला व हथियार से संबंधित व्यवसाय करता है।
९, केतु यदि हमारा आत्म कारक ग्रह बनता है तो जातक छल का व्यवहार करने वाला व लोगों से झूठ बोल कर धन कमाता है।
आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245
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