जन्मकुंडली से आजिविका विचार


 जन्मकुंडली से आजीविका विचार -:

आज हम ज्योतिष चर्चा के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण विषय को लेकर चर्चा करने जा रहे हैं। आज का विषय है जन्म कुंडली से आजीविका का चयन करना, तो आइए जानते हैं जन्म कुंडली के अध्ययन से किस प्रकार हम हमारी आजीविका का चयन करके विशिष्ट व सुखद रूप से धन अर्जित करते हुए अपना जीवन निर्वाह कर सकते हैं।

१, जन्म कुंडली से आजीविका का निर्धारण करने के लिए सबसे पहले हमें हमारी जन्म कुंडली में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली व सूर्य कुंडली का अध्ययन करना होगा। अर्थात लग्न कुंडली जो हमारी जन्मांक  कुंडली होती हैचंद्र कुंडली अर्थात हमारी जन्मांक कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में विद्यमान है उसको लग्न मान करके उसका अध्ययन करते हैं।तथा सूर्य कुंडली के अंतर्गत हमारे जन्मांग में सूर्य जिस राशि में विद्यमान हैं उसको लग्न मान कर सूर्य कुंडली का अध्ययन करते हैं।

२, इस प्रकार हम हमारी जन्म कुंडली, चंद्र कुंडली और सूर्य कुंडली के अध्ययन के अंतर्गत यह देखते हैं कि हमारी तीनों कुंडलियों में कौन सी कुंडली सबसे बलवान है। और इसके लिए हम तीनों ही कुंडलियों के लग्न भाव के अंशों को देखते हैं जैसे हमारी जन्म कुंडली का लग्न के कितने अंश है सूर्य कुंडली के लग्न का कितने अंश है और चंद्र कुंडली में कितने अंश है। तीनों कुंडलियों के अंशों में से जिस कुंडली के अंश श्रेष्ठ हो उसका चयन हम करते हैं। और उसी से आजीविका का निर्धारण करते हैं।
३, तत्पश्चात हमारी तीनों कुंडलियों में से जो कुंडली श्रेष्ठ बलवान होती है अर्थात जिसके अंश श्रेस्ट होते है। उस कुंडली के लग्न भाव से दसवें भाव का विचार करते हैं। और दसवें भाव मे जो ग्रह विद्यमान होता है उसी से संबंधित आजीविका का हम निर्धारण करते हैं और जातक को तत ग्रह संबंधी कारक कार्यों में ही धन उपार्जित  होता है।

४, यदि कुंडली के दसवें भाव में कोई भी ग्रह विद्यमान नहीं हो उस स्थिति में हम दसवे भाव की राशि का विचार करते हैं और जो राशि दसवें भाव में आती है उसके स्वामी का विचार करते हैं। राशि का विचार करके उसके स्वामी का विचार करने के बाद हम हमारी  नवमांश कुंडली का अध्ययन करेंगे। और नवमांश कुंडली में देखेंगे कि पूर्वोक्त दसवे भाव की राशि का जो स्वामी है वह नवमांश कुंडली में किस राशि में विद्यमान है। और उस राशि का स्वामी कौन है जिस राशि में पुर्वोक्त कुंडली के दशवे  भाव का स्वामी विद्यमान है। जैसे माना कि हमारी तीनों कुंडलियों में से चंद्र कुंडली अधिक बलवान है और चंद्र कुंडली के दसवें भाव में वृषभ राशि है और उसमें कोई भी ग्रह विद्यमान नहीं है इस स्थिति में हम वर्ष राशि का स्वामी शुक्र का विचार करेंगे। और देखेंगे कि हमारी नवमांश कुंडली में शुक्र किस राशि में विद्यमान है। माना कि नवमांश कुंडली में शुक्र मीन राशि में विद्यमान है और मीन राशि का स्वामी है गुरु अतः हमारी आजीविका का कारक ग्रह हुआ गुरु इसलिए हम गुरु से संबंधित कार्यों को अपनाकर ही सफल आजीविका का चयन कर सकते हैं।

आजीविका के कारक ग्रहों का विचार -:

इस प्रकार उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो गया कि हमें किस प्रकार आजीविका के कारक ग्रह का चयन करना होता है। अब हम संबंधित ग्रह के कारक कार्यों का विवेचन करते हैं जिन कार्यों को कर के जातक अपने आजीविका का सफल संचालन कर सकता है। 

सूर्य -:
यदि हमारी आजीविका का कारक ग्रह सूर्य सिद्ध होता है तो सूर्य राज कीय सरकारी नौकरी प्रदान करने वाला तथा सरकारी नौकरी में भी उच्च पद प्राप्त करवाता है और इस कार्य के लिए जातक के जीवन में पिता की बहुत बड़ी भूमिका होती है क्योंकि सूर्य पिता का कारक ग्रह होता है।

चंद्र -:
इसी प्रकार यदि हमारी जन्म कुंडली में आजीविका का कारक ग्रह चंद्रमा सिद्ध हो रहा है तो हम जल से संबंधित कार्य करके अथवा कृषि कार्य करके, चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करके, हमारी आजीविका का चयन कर सकते हैं और इसमें जातक की माता की बहुत अधिक भूमिका होती है।

मंगल -:

मंगल आजीविका का कारक होने पर हम फोर्स मिलेक्ट्री इलेक्ट्रॉनिक अथवा अग्नि संबंधी कार्यों को करके आजीविका का सफल लाभ प्राप्त कर सकते हैं और इसमें जातक का भाई जातक को बहुत अधिक सहयोग प्रदान करता है।

बुध -:
बुध से हम वाक् चातुर्य से सफल वक्ता बनकर, बिजनेस करके, लेखन संबंधी कार्य करके पत्र पत्रिका का संपादक बनके हमारी आजीविका प्राप्त कर सकते हैं और इसमें जातक का मित्र अति सहयोग प्रदाता होता है।

गुरु -:
गुरु का आजीविका कारक बनने पर जातक अध्ययन अध्यापन पांडित्य कर्म ज्योतिषी व शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापन कार्य करता हुआ आजीविका प्राप्त करता है। और इसमें जातक का परिवार का कोई विशिष्ट व्यक्ति या गुरु सहायक होता है।

शुक्र -:
शुक्र से हम आधुनिक भौतिकवाद का बिजनेस,, फैंसी सामानों का विक्रेता, व डिजाइनर, तथा नृत्य कला संगीत व फिल्मी दुनिया में अपना कैरियर बना सकता है और इसमें जातक का स्त्री पार्टनर बहुत अधिक से सहयोगी होता है जहां से उसे मार्गदर्शन के साथ-साथ धन प्राप्ति भी होती है।

शनि -:

शनी यदि आजीविका का कारक होता है तो जातक सामान्य राजकीय सेवा में अपना कैरियर बना सकता है। यहां तक कि जातक चुनाव जीत कर नेता भी बन सकता है। न्यायिक सेवा में भी अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं। और इस कार्य में जातक का जो मार्गदर्शक होता है वह कोई उसका सेवक या अपने मिलने वालों में से कोई साधारण व्यक्ति उसका सहायक होता है।

राहु -:
राहु जातक को झूठ प्रेब या दलाली के कार्यों में धनार्जन में अच्छे अवसर प्रदान करता है ऐसा जातक ब्याज भट्टा लॉटरी शैहर अथवा आकस्मिक धन प्राप्ति जैसे कार्यों में अपना कैरियर बनाता है और इसमें उसका सहयोगी होता है जातक का दादा।

केतु -:
केतु भी सामान्यतः राहु से संबंधित कार्यों में जातक को धनार्जन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करवाता है। इसमें जातक झूठ ठगी के कार्यों में सफलता प्राप्त करता है और इस कार्य में जातक का नाना उसका सहयोगी होता है।


आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245







Post a Comment

0 Comments