अल्पायु योग -:
१,यदि जन्म कुंडली में लग्नेश अर्थात लग्न भाव का स्वामी और अष्टमेश अर्थात अष्टम भाव का स्वामी दोनों एक साथ बैठे हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है।
२, यदि चंद्रमा पाप ग्रहों से युक्त होकर 6,8,12 भावो में से किसी एक भाव में स्थित हो तो अल्पायु योग बनता है।
३, जिस किसी भी बालक की जन्म कुंडली में अल्पायु योग का निर्माण होता है ऐसे बालक की आयु कम होती है।
जैसे -
![]() |
प्रस्तुत उदाहरण कुंडली में अल्पायु योग का निर्माण हो रहा है। यह एक ऐसे बालक की जन्म कुंडली है जिसकी मृत्यु बाल्यावस्था में हो गई थी।
१,इस जन्म कुंडली में चंद्रमा स्वयं अष्टम भाव का स्वामी होकर के अष्टम भाव में विद्यमान हैं और लग्नेश गुरु भी लग्न व चतुर्थ भाव का स्वामी होकर भी अष्टम भाव में स्थित होने के कारण मारक बनते हैं। अतः यहां लग्नेश और अष्टमेश दोनों का एक साथ अष्टम भाव में स्थित होना अल्पायु योग का निर्माण करता है।
२, दूसरे नियम के अनुसार भी चंद्रमा पाप ग्रह अर्थात मारक ग्रह शनि, मंगल,गुरु के साथ विद्यमान है। यहां शनि मंगल गुरु को मारक ग्रह इसलिए कहा गया है क्योंकि शनी दूसरे व तीसरे भाव का स्वामी होता है और दोनों ही भाव अच्छे नहीं होते हैं साथ ही लग्नेश गुरु का शत्रु होकर पाप भाव अष्टम भाव में विद्यमान होने कारण शनी मारक जाता है उसी प्रकार मंगल पंचम जोकि श्रेष्ठ भाव त्रिकोण भाव है और दूसरा द्वादश जो कि अशुभ भाव है सामान्य रूप से मंगल यहां शुभ ग्रह हो सकते थे किंतु अष्टम भाव में स्थित होने कारण मारक हो जाते हैं। इसी प्रकार स्वयं लग्नेश गरु भी अष्टम भाव में स्थित होने के कारण मारक बने हुए हैं। अतः इन सब का योग अल्पायु का निर्माण करता है।
आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री
9414657275
0 Comments