बुध ग्रह से निर्मित योग

 ज्योतिष में बुध ग्रह से बनने वाले प्रमुख शुभाशुभ योग -:

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में से बुध एक प्रमुख ग्रह  हैं। बुद्ध शुभ अशुभ ग्रह होता है अर्थात बुध यदि शुभ ग्रह के साथ विद्यमान होता तो शुभ फलदायक होता है और अशुभ ग्रहों के साथ बैठा हो तो अशुभ परिणाम देने वाला होता है। वैसे बुद्ध बुद्धि वाणी वाणिज्य गणित व वाक्चातुर्य का कारक होता है। यदि जन्म कुंडली में बुध लग्न भाव में अथवा मजबूत स्थिति में विद्यमान हो तो ऐसा जातक सुंदर वाक्य चातुर्य से निपुण बुद्धिशाली वैभवशाली व भौतिक सुखों से संपन्न होता है। ऐसे जातक के अंदर दूसरों को मोहित करने की शक्ति होती है। और जिस जातक की जन्म कुंडली में  बुद्धदेव निर्बल या बल हीन होता हैं। ऐसे जातक के जीवन में तमाम प्रकार की कठिनाई आती है। उनका शारीरिक व मानसिक संतुलन ठीक नहीं होता है। ऐसी स्थिति में जातक को बुद्धदेव को बलवान बनाने के समुचित ज्योतिषी उपाय करके अपने जीवन को खुशहाल बनाने का जतन करना चाहिए। सनातन धर्म शास्त्र में बुद्धदेव को देवता का दर्जा प्राप्त है और बुद्धदेव बुद्धि व वाणी के कारक माने जाते हैं। इसी के साथ-साथ बुद्धदेव का प्रतिनिधित्व भगवान विष्णु करते हैं। इसलिए बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए।

इस प्रकार प्रत्येक ग्रह अलग-अलग भाव में विद्यमान होकर अलग अलग फल प्रदान करने वाले होते हैं। इसी क्रम में आज हम बुद्धदेव के द्वारा बनने वाले प्रमुख योगा योग के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे।


बुद्ध द्वारा निर्मित शुभाशुभ योग -:

तो आइए जानते हैं कि बुद्धदेव किस ग्रह के साथ युति बनाकर कौन से योग का निर्माण करते हैं।



१,लक्ष्मी नरायण योग-:

जन्म कुंडली में जब बुध और शक्र दोनों एक साथ युति बनाकर विद्यमान होते हैं तो उस स्थिति में लक्ष्मीनारायण योग का निर्माण होता है। क्योंकि बुद्ध बुद्धि विवेक वाणी का कारक होता है तो शुक्र ऐश्वर्या सौंदर्य व भौतिक सुख सुविधाओं का प्रतीक होता है। अतः इस स्थिति में दोनों की युति लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण करती है। जो जातक को यश व सांसारिक सुखों की प्राप्ति कराने वाला होता है।

२, बुधादित्य योग -:

बुद्ध व सूर्य देव की युति जब जन्म कुंडली के किसी भाव में बनती है। तो वहां बुधादित्य नाम का सुप्रसिद्ध योग का निर्माण होता है। क्योंकि सूर्य देव को आत्मा पिता मान सम्मान राजा का कारक माना जाता है तो बुद्धदेव को बुद्ध वाणी विवेक व्यापार का कारक माना जाता है। अतः इन दोनों की युति जातक को राजयोग तुल्य सुख मान सम्मन की प्राप्ति कराने वाला होता है


३, पंच महापुरुष योग में (मालव्य योग) -:

जब मंगल, बुद्ध ,गुरु, शुक्र व शनि जन्म कुंडली के केंद्र या त्रिकोण में अपनी राशि में विद्यमान होते हैं तो पंच महापुरुष योग का निर्माण करते हैं। उसी क्रम में जब शुक्र देव अपनी वृष अथवा तुला राशि में होकर कुंडली के केंद्र भाव में विद्यमान हो तो मालव्य योग का निर्माण करते हैं। जिस जातक की जन्म कुंडली में मालव्य योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक सांसारिक सुखों को भोगने वाला होता है।

४,जडत्व योग -:

जब किसी जातक की जन्म कुंडली में बुध देव के साथ राहु ग्रह विद्यमान होता है। तो उस स्थिति में जड़त्व नाम का कु योग का निर्माण होता है क्योंकि बुद्ध वाणी विवेक ज्ञान का कारक होता है और राहु एक छाया ग्रह है। तथा इसे क्रूर ग्रह माना जाता है। इस कारण से जब ज्ञान विवेक पर अंधकार का प्रदा आ जाता है तो वहां जड़त्व का प्रभाव बढ़ जाता है। इस कारण  ऐसा जातक अपने जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक मानसिक कठिनाई यो में अपना जीवन व्यतीत करता है।


बुद्ध को प्रसन्न करने के उपाय -:

इस प्रकार यदि जन्म कुंडली में बुध देव बलवान हो तो जातक का जीवन बहुत ही प्रसन्न व मान समन की प्राप्ति कराने वाला होता है किंतु यदि बुद्ध निर्बल हो तो जातक का जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां रहती है। इसलिए जातक को बुध देव को प्रसन्न करने के समुचित उपाय करने चाहिए, तो आइए जानते हैं बुद्धदेव को हम किस प्रकार से प्रसन्न कर सकते हैं।

१, बुधवार के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चन करनी चाहिए और हो सके तो जातक को बुधवार का व्रत करना चाहिए।

२, ॐ बुं बुधाय नमः वैदिक बीज मंत्र का जातक को नित्य 108 बार जाप करना चाहिए।

३, जन्म कुंडली में बुध की स्थिति देखकर के बुद्ध के लिए पन्ना रतन भी धारण कर सकते हैं।

४, चार मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

५, व्यापार में ईमानदारी रखें।

६, गौमाता को हरी घास खिलाएं।



आचार्य श्री कौशल कुमार शास्त्री
9414657245


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