Rahu Dev ka vrishabh lagan mein fal

 Rahul Dev ka vrishabh lagn mein shubhashubh fal.(वृषभ लग्न में राहु देव का फल)-:

१, वृषभ लग्न की कुंडली में राहु लग्न में स्थित होने पर जातक को सदैव सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं। ऐसा जातक  साहसी निडर होता हैं जैसा कि हम जानते हैं कि राहु देव को गुरु वत दृष्टियां प्राप्त है। इसलिए जब राहु देव लग्न से पंचम दृष्टि पंचम भाव पर डालते हैं तो जातक को विद्या संतान लॉटरी इत्यादि के क्षेत्र में सफलता प्रदान करने वाले होते हैं। सप्तम दृष्टि से सप्तम भाव को देखने कारण दैनिक आमदनी बढ़ाने वाले, दांपत्य जीवन में भी खुशहाली प्रदान करते हैं। नवम दृष्टि से नवम भाव को देखते हैं तो जातक को भाग्यवान व उच्च शिक्षा में बहुत अधिक सफलता प्रदान करने वाले होते हैं।

२, वृषभ लग्न कुंडली के दूसरे भाव में भी राहु उच्च के होते हैं
 अतः जातक को धन संग्रह में सहयोग प्रदान करने वाले कुटुम परिवार में प्रेम व वाक् चातुर्य प्रदान करते हैं। पंचम दृष्टि से छठे भाव को देखने कारण जातक को शत्रु पर विजय दिलाने वाले होते हैं जुआ सट्टा के क्षेत्र में आकस्मिक धन की प्राप्ति भी सहयोग करते हैं। सप्तम दृष्टि से अष्टम भाव को देखने कारण जातक को आरोग्यता व गुप्त धन या गुप्त विद्याओं में पारंगत करता है। नवम दृष्टि से दशम भाव को देखने कारण जातक को राज्य लाभ प्रदान करते हैं।


३, तीसरे भाव में यद्यपि राहु देव वृषभ लग्न की कुंडली में चंद्रमा की राशि में होत हैं किंतु तीसरे भाव में राहु देव कारक होते हैं। इनका कारक का भाव होने कारण जातक को साहस कॉन्फिडेंस प्रदान करने के साथ-साथ छोटे भाई बहनों का अच्छा सुख प्रदान करता है। पंचम दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो जातक को सप्तम भाव से संबंधित अच्छे परिणाम प्रदान करते हैं। सप्तम दृष्टि से नवम भाव को देखने कारण जातक को भाग्यवान बनाते हैं। नवम दृष्टि से एकादश भाव को देखने कारण कुछ कठिनाइयों के साथ धन प्राप्ति के स्रोतों को अनुकूल बनाते हैं।


४, वृषभ लग्न के चतुर्थ भाव में राहु देव सूर्य की राशि में होने के कारण जातक को विपरीत परिणाम देने वाले होते हैं। अतः जातक की माता से अच्छे संबंध नहीं रहने देते हैं। जातक को भवन वाहन प्रॉपर्टी जायदाद व  सुखों में कमी करते हैं। पंचम दृष्टि से अष्टम भाव को देखने कारण जातक को रोगी दुर्घटना व स्वास संबंधी बीमारियां प्रदान करते हैं। सप्तम दृष्टि से दशम भाव को देखने कारण जातक को राज कार्य में व्यवधान प्रोफेशनल जवाब में कठिनाइयां उत्पन्न करते हैं। नवम दृष्टि से द्वादश भाव को देखने कारण जातक के जीवन में खर्चों की अधिकता को बढ़ाते हैं।


५, पंचम लग्न में मित्र बुध की राशि में होने कारण राहु योगकारक होते हैं। अतः जातक को आधुनिक शिक्षा में पारंगत बनाने के साथ-साथ संतान सुख प्रदान करते हैं। पंचम दृष्टि से नवम भाव को देखते हैं। जिससे जातक को उच्च शिक्षा में शार्ट पद्धति से जातक को सफलता प्रदान करवाते हैं। सप्तम दृष्टि से 11वे भाव को देखने कारण आय के स्रोत को बढ़ाते हैं। नवम दृष्टि से लग्न को देखते हैं तो जातक को आत्मिक बल प्रदान करते हैं।


६,  वृषभ लग्न कुंडली के छठे भाव में राहु देव शुक्रदेव की राशि में होते हैं किंतु मारक भाव होने कारण राहु यहां मारक हो जाते हैं। अतः जातक को शत्रु पर विजय दिलाने वाले किंतु रोग दुर्घटना जैसी स्थितियां उत्पन्न करते हैं। पंचम दृष्टि से दशम भाव को देखने कारण राज कार्य में व्यवधान प्रोफेशनल जॉब में कठिनाइयां उत्पन्न करते हैं। सप्तम दृष्टि से 12वे भाव को देखते हैं तो जातक को बहुत अधिक खर्चीला बना देते हैं। अस्पताल के खर्चे वृद्धि करते हैं। जातक व्यर्थ की भागदौड़ में धन गवाता रहता है। नवम दृष्टि से दूसरे भाव को देखने कारण धन संग्रह कुटुम परिवार में कलह की स्थिति करते हैं।


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७, सप्तम भाव में राहु मंगल की राशि में होने कारण जातक को दैनिक आमदनी संबंधी समस्याएं, दांपत्य जीवन में कलह तनाव की स्थिति बनाते हैं। पंचम दृष्टि से एकादश भाव को देखने कारण बीमारियां व्यर्थ की भागदौड़ व धन प्राप्ति के मार्गो में बार-बार बदलाव या कठिनाई उत्पन्न करते हैं। सप्तम दृष्टि से लग्न भाव को देखने कारण जातक को शंकालु कॉन्फिडेंस में कमी व सद् मार्ग से भटकाने वाले होते हैं। नवम दृष्टि से तीसरे भाव को देखते हैं तो जातक को साहसी व परिश्रमी बनाते हैं। किंतु छोटे भाई बहनों की सुख में कमी करते है।


८, वृषभ लगन के अष्टम भाव में राहु देव गुरु की राशि में होते हैं अतः जातक को लंबी बीमारियां मानसिक तनाव व अनेक प्रकार की चिंता प्रदान करने वाले होते हैं। पंचम दृष्टि से बाहरवें भाव को देखते हैं। जिस कारण से जातक के जीवन में बहुत अधिक व्यर्थ के खर्चे बने रहते हैं। सप्तम दृष्टि से दूसरे भाव को देखने के कारण कुटुम परिवार में कलह धन संग्रह में कठिनाई आती है नवम दृष्टि से चतुर्थ भाव को देखने कारण माता से शत्रुता कुटुम परिवार भवन वाहन प्रॉपर्टी जायदाद के सुख में कमी करते हैं।

९, नवम भाव में राहु शनि की राशि में होने कारण जातक को भाग्यवान बहुत ही शीघ्रता से  उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले आधुनिक क्षेत्र में निपुणता प्रदान करते हैं। पंचम दृष्टि से  लग्न भाव को देखते हैं तो जातक को आधुनिक विचारधारा में कुशलता प्रदान करते है। सप्तम दृष्टि से तीसरे भाव को देखने कारण जातक को पराक्रमी और निर्भय तथा छोटे भाई बहनों का सुख प्रदान करता है। सप्तम दृष्टि से पंचम भाव को देखने कारण जातक को विद्या व संतान सुख में सहयोगी होते हैं।


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१०, दशम भाव में राहु देव अति योगकारक हो जाते हैं क्योंकि मित्र शनि की राशि में स्थित होते हैं। इसलिए जातक को राज कार्यों में सफलता राजनीति के क्षेत्र में अच्छा पद व प्रोफेशनल जॉब में बहुत ही ऊंचाइयों प्रदान करने वाले होते हैं। पंचम दृष्टि से दूसरे भाव को देखते हैं तो धन संग्रह में सहयोग कुटुम परिवार का साथ प्रदान करते हैं। सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव को देखने कारण भवन वाहन प्रॉपर्टी जायदाद का सुख प्रदान करते हैं। नवम दृष्टि से छठे भाव से शत्रु पर विजय दिलाने वाले होते हैं किंतु दुर्घटना व मुकदमे बाजी में परेशानी उत्पन्न करते हैं।

११, वृषभ लग्न पत्रिका के एकादश भाव में गुरु की राशि में होने कारण राहु देव जातक की आमदनी के स्रोतों में बहुत अधिक कठिनाइयां गलत मार्ग से धन संग्रह करवाने की प्रवृत्ति में संलग्न करने के साथ ही  मानसिक चिंताएं प्रदान करने वाले होते हैं। पंचम दृष्टि से तीसरे भाव को देखने कारण जातक को साहसी पराक्रमी बनाते हैं किंतु छोटे भाई बहनों के सुख से वंचित करते हैं। सप्तम दृष्टि से पंचम भाव को देखने कारण विद्या में रुकावटें मित्रता में धोखा पहुंचाते हैं। नवम दृष्टि से सप्तम भाव को देखने कारण दांपत्य जीवन में भी कठिनाई उत्पन्न करते हैं।


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१२, द्वादश भाव में वृषभ लग्न पत्रिका के अंतर्गत राहु बहुत मारक होते हैं। अतः जातक के जीवन में बहुत अधिक कर्ज व फिजूलखर्ची करवाते हैं। पंचम दृष्टि से चतुर्थ भाव को देखने कारण माता के सुख में कमी भवन वाहन प्रॉपर्टी के सुख से वंचित करते हैं। सप्तम दृष्टि से छठे भाव को देखने कारण शत्रु रोग दुर्घटना कर्ज को बढ़ाते हैं। नवम दृष्टि से नवम भाव को देखने कारण जातक का भाग्यहीन उच्च शिक्षा में रुकावटें पिता से मनमुटाव व राजकार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं।



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