ग्रहों की अंतर्दशा फल विचार

 ग्रहों की अंतर्दशा फल विचार -:

नमस्कार साथियों!
आज की ज्योतिष चर्चा के अंतर्गत हम ग्रहों की अंतर्दशा फल का विचार किस प्रकार से किया जाता है?  इसको लेकर आज की चर्चा हम करने जा रहे हैं। अभी हम जानेंगे की जन्मपत्रिका के मारक व योगकारक ग्रह कब एक्टिव होकर अपने शुभाशुभ फल जातक को प्रदान करते हैं।


१, यदि जातक की पत्रिका में लग्नेश बलवान होते हैं तो उनकी अंतर्दशा में जातक का मन व शरीर प्रसन्न रहता है। उनके चेहरे पर एक विशेष प्रकार की कांति दिखाई पड़ती है जो जातक की प्रसन्नता को व्यक्त करती हैं।  जातक पूर्ण रूप से स्वस्थ व प्रसन्न होता है इस समय जातक सामाजिक स्तर पर यश  की प्राप्त करता है। इसके विपरीत यदि लग्नेश मार्क होते हैं तो इनके एकदम ऑपोजिट परिणाम जातक को प्राप्त होते हैं।



२, यदि दूसरे भाव के स्वामी की अंतर्दशा जातक के जीवनमें आती है तो उस समय यदि दूसरे भाव का स्वामी बलवान होता है तो जातक के कुटुंब में वृद्धि वाणी में विलक्षणता अर्थात जातक अपनी वाणी के द्वारा धन प्राप्त करने वाला होता है ।जातक की बचत बढ़ती है। कुटुम परिवार में सुख व शांति में वृद्धि होती है। इसके विपरीत यदि दूसरे भाव का स्वामी मारक हुआ तो इनके विपरीत परिणाम जातक को प्राप्त होंगे।


३, इस तरह तीसरे भाव का स्वामी बलवान हो तो उसकी अंतर्दशा में जातक के पराक्रम में वृद्धि छोटे भाई बहनों का सुख सवारियों का सुख व इस समय में जातक पुलिस फोर्स जैसी संस्थाओं में सेवा देने का अच्छा अवसर प्राप्त होता है।


४, चतुर्थ भाव का स्वामी बलवान हो और उसकी जब अंतर्दशा आती है तो जातक को भवन वाहन प्रॉपर्टी जायदाद कृषि आदि के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त होती है। जातक मित्रों पर उपकार करने वाला होता है। जातक को भवन व अचल संपत्ति प्राप्त होने के योग बनते हैं।


५, योगकारक पंचम भाव के स्वामी की दशा में जातक को संतान सुख प्रेमसुख लॉटरी शेयर मार्केटिंग में लाभ की प्राप्ति साथ ही साथ जातक का सज्जनों के साथ में संपर्क मान सम्मान में वृद्धि होती है।


६, छठे भाव का स्वामी बलवान होकर के शुभ स्थान में विद्यमान होता है तो इस समय में जातक  दुश्मनों का संघार करने वाला कर्ज से मुक्ति व  परीक्षा में सफलता प्राप्त कराने वाला होता है।


७, सप्तम भाव की दशा में जातक को स्त्री सुख में वृद्धि यात्रा सुख में संतोष व दांपत्य जीवन में सदैव प्रसन्नता होती है।  घर परिवार में विवाह अदी शुभ कार्य का आयोजन होता है यदि सप्तमेश बलवान हो तो।


८, अष्टम भाव का स्वामी बलवान हो तो उस समय जातक को रोगों से निवृत्ति कलह से मुक्ति व रिसर्च के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। यद्यपि 68 भाव को अच्छा नहीं माना जाता है किंतु मंत्र ईश्वर भारत का मानना है कि जब भी भी किसी ग्रह की दशा आती तो उस भाव से संबंधित फलों में वृद्धि करता है।


९, नवम भाव यदि बलवान हो तो जब नवमेश की दशा आती है तो जातक की भाग्य  वृद्धि होती है। जातक भाग्यवान व यश की प्राप्ति करने वाला होता है। जातक का मान सम्मान जयश्री कुटुम परिवार में सुख शांति ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।


१०, बलवान दशमेश की दशा में जातक को मान सम्मान व यश की प्राप्ति के साथ-साथ राजकीय कार्य में सफलता प्राप्त होती है। मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है तथा जातक जिस किसी भी कार्य को करना प्रारंभ करता है। उसमें सफलता प्राप्त होती है।


११, बलवान एकादश की दशा में जातक को एक से अधिक  स्रोतों से धन प्राप्ति के योग बनते हैं। सुख के संसाधनों में वृद्धि होती है। साथ-साथ बड़े भाइयों का मान सम्मान व सहयोग की प्राप्ति होती है।


१२, बलवान बारहवें भाव की दशा में जातक के खर्चे अवश्य बढ़ते हैं किंतु साथ ही साथ जातक के को कोर्ट कचहरी का भी सामना करना पड़ सकता है किंतु विदेश यात्रा का अच्छा योग बनता है।



आचार्य केके शास्त्री
 वैदिक ज्योतिष संस्थान
 चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर
 राजस्थान चरण 94 1465 72 45




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