सप्तांश वर्ग कुंडली से जाने संतान सुख

 सप्तमांश  से संतान सुख का विचार कैसे करें ?

नमस्कार मित्रों!

जैसा कि पूर्व लेट में हमने षोडश वर्गी कुंडलियों के बारे में जानकारी प्राप्त की थी। हमने जाना था कि किस कुंडली से किस भाव का विस्तार से अध्ययन करता है। जिसमें हमने   एक-एक कुंडली का सामान्य परिचय भी प्राप्त किया था। आज उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए हम एक महत्वपूर्ण वर्ग कुंडली का अध्ययन करने जा रहे हैं। और आज कि वह कुंडली है सप्तमांश कुंडली जिससे हम संतान सुख का विस्तार से अध्ययन करते हैं। जैसा कि हम जान चुके हैं कि सप्तमांश कुंडली से संतान सुख के लिए पंचम भाव का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं। और सप्तमांश कुंडली से हम जातक के जीवन में संतान सुख संतान से होने वाली सभी प्रकार की मानअपमान सुख-दुख का विचार कर सकते हैं।


आइए जानते हैं सप्तमांश आप किस प्रकार से देखा जाता है--


१, d7 चार्ट को देखने से पहले हमें हमारी जन्म कुंडली का पंचम भाव देखना होता है। और जन्म कुंडली के पंचम भाव में हमें देखना होता है कि पंचम भाव का स्वामी कहां बैठा है पंचम भाव पर कौन-कौन से ग्रहों का प्रभाव है।


२, इसके बाद जब हम d7 चार्ट ओपन करेंगे तो उसमें सबसे पहले हम देखेंगे कि पंचम भाव का स्वामी सप्तमांश में कहां बैठा है। यदि लग्न कुंडली का पंचम भाव का स्वामी d7 में 6 8 12 भाव में नहीं बैठ करके केंद्र त्रिकोण में शुभ ग्रहों से दृष्ट हो करके बैठा है इसका मतलब है कि आपको बहुत अच्छी संतान प्राप्ति होगी। और यदि जन्म कुंडली का पंचम भाव का स्वामी d7 में 6 8 12 में बैठा हो तो संतान सुख में कमी होगी।


३, इस प्रकार सबसे पहले हमें जन्म कुंडली के पंचम भाव के स्वामी की स्थिति को d7 चार्ट में देखना होता है और उसी के आधार पर हम आगे बढ़ते हैं।


४, फिर इसके बाद हमें d7 के लगन को देखता है। और उसमें देखना है कि d-7 के लग्न का स्वामी 6 8 12 में तो नहीं चला गया। यदि ऐसी कंडीशन अप्लाई होती है तो इसका मतलब है कि संतान सुख में प्रॉब्लम है। संतान सुख में ढीले होगा या होगी नहीं। और यदि सप्तमांश का लग्नेश केंद्र त्रिकोण में शुभ ग्रह से दृष्ट ऑफ कर के बैठे हैं तो इसका मतलब है कि आपको अच्छी संतान हो सकेगी बहले ही जन्म कुंडली का पंचम भाव इसे इंडिकेट नहीं कर रहा हो।


५, इस प्रकार जन्म कुंडली के लग्न भाव से हम हमारी संतान का स्वभाव संतान की प्रकृति संतान का व्यवहार देखते हैं। और लग्न कुंडली का लग्नेश जिस भाव से संबंध बनाता है उसी की रिकॉर्डिंग उसका स्वभाव उसकी प्रकृति होती है।


६, d-7 के जो द्वादश भाव है उनसे हम  सभी सेक्टर का पता कर सकता है। जैसे लगन से जातक मतलब संतान का व्यवहार चरित्र का पता करेंगे सेकंड हाउस से कुटुंब परिवार के साथ संतान के संबंध को देखेंगे। तीसरे हाउस से संतान का पराक्रम साहस मेहनत को देखेंगे। d7 के फोर्थ हाउस से संतान के जीवन में कितना सुख रहेगा उस चीजों को पता करते हैं। पंचम हाउस से जातक की सुन सकती जातक का आध्यात्मिक क्षेत्र, सट्टे हाउस से संतान के जीवन में शत्रु इत्यादि का विचार करेंगे, सप्तम भाव से जातक के जीवन में पार्टनरशिप कैसा होता है, अष्टम भाव से हम संतान के जीवन में कठिनाइयों को देखेंगे, नवम भाव से जातक का भाग्य पिता का सुख इत्यादि का विचार करेंगे, दशम भाव से संतान का कैरियर, एकादश भाव से उसकी कमाई, और द्वादश भाव से जातक का इन्वेस्ट इत्यादि का चक्र लेता है।


इस प्रकार डी ७ से हम संतान सुख के संपूर्ण विषयों का विश्लेषण कर सकते हैं।


आप भी अपने चार्ट में d7का विश्लेषण करके पता कर सकते हैं। इस प्रकार डी 7  संतान सुख को रिप्रेजेंट करता है। और जिसके माध्यम से हम संतान सुख संतान बाधा इन सब का sukshm study ki jaati Hai




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