जन्म कुंडली के बारह भावो में राहु के चमत्कारी प्रभाव

 जन्म कुंडली के बारह भावो में राहु का चमत्कारी प्रभाव -;

नमस्कार मित्रों!
आज की चर्चा बहुत ही बेहद खास आने वाली है। आज की चर्चा में हम राहु देव का जन्म कुंडली के बारह भावों में देने वाले शुभ अशुभ प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं। राहु देव का नाम से ही हमारे मन में एक नेगेटिव भाव सा बन जाता है। क्योंकि राहु को पाप ग्रह में सबसे ऊपर माना जाता है। वैसे तो नवग्रहों में राहु और केतु का कोई पिंण्ड नहीं होता है। ये दोनों ही छाया ग्रह होते हैं किंतु इनका प्रभाव हमारे जीवन में बहुत अधिक होता है। आज के समय में राहु देव का बहुत ही चमत्कारी प्रभाव होता है। मैं कहूं तो राहु देव यदि शुभ हुए  तो व्यक्ति को रातों-रात इतना सक्सेस देते हैं। जितना सक्सेस शायद कोई भी प्लेट नहीं दे सकता है। राहु देव सडन्ली के कारक होते हैं। तो आज की चर्चा में मै बताना चाहूंगा कि राहु देव जन्म कुंडली के किस भाव में कैसा फल करते हैं। आइए चर्चा को प्रारंभ करते हैं और जानते हैं जन्म कुंडली के प्रथम भाव से द्वादश भाव तक क्रम से कैसा फल करता है।


क्रम से कुंडली के बारह भावो में राहु का फल -;


१, यदि राहु देव किसी भी जातक जातिका की जन्म कुंडली के लग्न में होते हैं। तो जातक को बहुत ही आवर थिंकिंग वाला बनाने के साथ-साथ बहुत ही चतुर और चालाक बनाता है। ऐसा व्यक्ति दूसरे लोगों को से बहुत ही आसानी से अपना कार्य निकलवा लेता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को आसानी से अपनी चालाकी से अपने वश में करके चकमा दे सकता है। ऐसा राहू हमें आसानी से जीवन की किसी भी मोड़ पर इतना चालाकी  देता है जिसके चलते जीवन में बहुत ही अच्छा सक्सेस ले लेता है। क्योंकि लग्न में बैठा रहा हूं हमारी नोट को बढ़ाता है एक विशेष चालाकी प्रदान करता है किसी भी बड़े से बड़े व्यक्ति को भ्रम में रखकर के उससे अपना सक्सेस‌निकलवा लेता है। लग्न में बैठा राहु व्यक्ति को संसार के भौतिक पदार्थों को प्राप्त करने के लिए तेज गति से दौड़ करवाता है। संसाधनों के पीछे दौड़ करवाता है बात करने के लिए। राहु का काम सोचने का है। जैसे राहु ने अमृत पान करने की जल्दबाजी में भगवान विष्णु को भी चकमा देने की कोशिश की थी। इस प्रकार यदि राहु अपने मित्र राशि या अपनी उच्च राशि में हो जैसे वृषभ मिथुन इनकी उच्च राशि होती है और शुक्र बुध और शनि की राशियों में भी सदैव अच्छा फल करता है जैसा मैंने भी आपको बताया है। यदि इसके विपरीत मंगल सूर्य चंद्र बस पति इनकी राशियों में होते हैं तो यह नेगेटिव फल करते हैं। और नेगेटिव फल में इसके विपरीत परिणाम देंगे जैसे आवर थिंकिंग बनाएंगे मेंटली प्रॉब्लम दे सकते हैं।  हमारी गलत नीतियों से हम बहुत कुछ प्रॉब्लम में पड़ जाते हैं। अब इस प्रकार राहु निरंतर हमेंंं भौतिक सुखों कीी प्राप्ति के लिए विचार करवाते रहते हैं। और यदि राहु मारक हुए तोो कहींं * जल्दबाजी में गलत डिसीजन से हमारााा भारी नुकसान करवा देतेे हैं। यह उस स्थितिि मेंं करवाते हैं जब वह शत्रुु राशि में    हो। इस प्रकार राहु कलयुग केेे देवता कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहींं होगी।



२, इसी प्रकार अब राहुल यदि मान लीजिए किसी जातक की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में हो तो जातक को बहुत ही वाचाल बना देते हैं वाणी के द्वारा बहुत ही स्ट्रांग बनाते हैं। व्यक्ति वाणी द्वारा किसी भी व्यक्ति को भ्रमित कर सकता है। ऐसे व्यक्ति को सब तरह की देश काल परिस्थिति के अनुसार वाणी की चतु रता होती है और अपनी वाणी की चतुरता किसी को भी मूर्ख बना सकता है भ्रमित कर सकता है। ऐसा व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी आकस्मिक धन की प्राप्ति जरूर होती है। इसके लिए राहु का अपने मित्र और उच्च राशि में होना जरूरी है। और यह धन प्राप्ति जब होती है जब राहु की दशा अंतर्दशा हो या जिस ग्रह की साथ सेकंड हाउस में बैठे उसकी दशा अंतर्दशा में भी हो सकता है। इसके विपरीत यदि राहु अपनी सत्तू राशियों में हो या नीच राशि में हो तो ऐसा व्यक्ति वाणी से कटु होता है और अपनी वाणी के द्वारा अपने कुटुम परिवार के लोगों से निराशा प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति के पास धन नहीं बच पाएगा वह पैसा उसका समाप्त हो जाता है। संग्रह नहीं कर पाएगा और किसी न किसी प्रकार से जुआ सट्टा नशा का शिकार हो जाता है।

३, राहु तीसरे भाव में होते हैं तो यहां पर काफी कंफर्टेबल होते हैं
तीसरा भाव हमारी पराक्रम साहस मेहनत को दर्शाता है। इसलिए राहु जब तीसरे भाव में बैठते हैं तो व्यक्ति को दिन रात मेहनत करवा करके बहुत जल्दी सक्सेस देते हैं। ऐसा व्यक्ति जब किसी कार्य को करने की सोच लेता है तो फिर दिन रात एक कर के उसे पूरा करके ही रहता है। यदि राहु यहां पर कुछ और अपने मित्र राशि में होते हैं तो अपने छोटे भाई बहनों को बहुत ही अच्छा सक्सेस दिलवाता हैं। अपने मित्रों को सक्सेस दिलवा देते हैं मित्रों के लिए अच्छे होते हैं। या ऐसा व्यक्ति सोशल मीडिया जैसे सेक्टर पर अच्छा सक्सेस ले लेता है। तीसरे हाउस के राहु व्यक्ति को मार्केटिंग जैसे सेक्टर में भी सक्सेस देते हैं और साथ ही यह जल्दी सक्सेस होने के लिए शॉर्टकट से सक्सेस देते हैं। इसके विपरीत यदि राहु अपनी नीच और शत्रु राशि में हो तो जातक को अपने मित्रों से अपने छोटे भाई बहनों से काफी मनमुटाव बना देते हैं। या बहुत अधिक मेहनत और परिश्रम करवाते हैं फिर भी उसके अनुपात में रिजल्ट नहीं दिलवा ते हैं।


४, चौथे भाव में राहु का प्लेसमेंट अच्छा नहीं माना जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि चतुर्थ भाव हमारी माता का और मित्रों का तथा सुखों का भाव होता है। तो यहां पर जब भी राहु बैठेंगे तो भौतिक सुख तो देंगे लेकिन उनका सुख जातक नहीं भोगपाता है। अपनी माता को लेकर के जातक को चिंता ही बनी रहती है और यदि चंद्रमा और शुक्र भी कमजोर हो तो माता के साथ   संबंध अच्छे नहीं होती है। माता को लेकर जातक को चिंता ही बहुत अधिक होती है। चौथे भाव का राहु जातक को अपने घर परिवार से दूर रखता है। घर परिवार में नहीं टिकने देता है। कुल मिलाकर के चतुर्थ भाव का प्लेसमेंट राहु का अच्छा नहीं माना जाता है। वह सदैव नेगेटिव होते हैं।



५, इसी प्रकार से यदि राहु जन्म कुंडली के पंचम भाव में होते हैं। तो पंचम भाव हमारी एजुकेशन बुद्धि लव रिलेशन संतान शेयर मार्केट जैसे का कारक होता है। राहु या बैठकर के व्यक्ति को बुद्धि वाला तो बनाते हैं एक्शन बुद्धि प्रदान करते हैं यदि वह अपने मित्र और उच्च राशि में होते हैं तो ऐसा व्यक्ति बहुत तिरुपति से सोचने वाला होता है। किंतु यहां राहु जातक को सर्टेनली धन प्राप्ति कराता है यदि वह पॉजिटिव होता है तो शेयर मार्केट जैसे सेक्टर में धन प्राप्ति के लिए बनाता है। किसकी शादी दृष्टिएकादश भाव पर होती है। यहां बैठा राहु हमारी लव रिलेशनशिप में नेगेटिव सिचुएशन केरिट करते हैं।
  संतान में गर्भपात जैसी स्थिति भी बनाते हैं। यदि वह मारक होते हैं। ऐसा भी देखा जाता है कि पंचम भाव में राहु हो तो जातक को जो शिक्षा मिलती है उसके अकॉर्डग वह कार्य नहीं करता है। कुल मिलाकर के पंचम भाव का राहु शेयर मार्केट में तो अच्छा सक्सेज देते हैं यदि वह योग कारक होते हैं तो बाकी संतान और लव   में अच्छा फल नहीं करते हैं।


६, जन्म कुंडली के छठे भाव में राहु का प्लेसमेंट बहुत ही अच्छा होता है। छठे भाव में बैठा राहु जातक को कंपटीशन में सफलता दिलाता  है। विरोधियों का मान मर्दन करवाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी भी संघर्ष  या कंपटीशन से नही डरता है।
 इस प्रकार यहां रहो व्यक्ति को अपने कार्य क्षेत्र में सफलता दिलाता है।उसका मान सम्मान में वृद्धि करता है।इस हाउस में राहु सदैव अच्छे होते हैं।


७, जन्म कुंडली का सप्तम भाव हमारी मैरिज पार्टनर का होत है। बिजनेस पार्टनर का होता है। राहु जब सप्तम भाव में होते हैं तो उनकी सप्तम दृष्टि लग्न पर होती है तो ऐसा जातक एक्शन बुद्धि वाला तो होता है। बहुत चतुर होता है और अपनी चतुराई से पार्टनरशिप जैसे बिजनेस में अच्छा कर लेते हैं। यदि अपनी उच्च और मित्र राशि में होते हैं। यदि राहु  शत्रु राशि में हो तो उस कंडीशन में हमारा इंटर कास्ट मैरिज करवाते हैं। शादी में अलगाववाद की स्थिति बना देते हैं। पार्टनरशिप में काफी अलगाववाद बनाकर के नेगेटिव परिणाम देने लगते हैं। पार्टनरशिप में धोखा की स्थिति बना देते हैं।

८, इसी प्रकार यदि राहु अष्टम भाव में होते हैं तो  काफी अच्छा काम करते हैं। आठवां भाव रिसर्च का होता है। गहरी खोज का होता है अनुसंधान का होता है। इसलिए व्यक्ति अनुसंधान  कार्य में उच्च अध्ययन कर सकते हैं। यहां से उसकी सातवीं दृष्टि सेकंड हाउस पर होती है। यदि वह अपने मित्र राशि में होते हैं तो सर्टेनली धन प्राप्ति का योग बनाते हैं। पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है। किंतु यदि राहुल शत्रु राशि और नीच राशि में होते हैं तो वाणी में कटुता देते हैं। धन नास करवा देते हैं। गुप्तांग से संबंधित प्रॉब्लम देते हैं। वायु से संबंधित प्रॉब्लम देते हैं। यदि वह अपने मित्र राशि में होते हैं तो काफी कंफर्टेबल होते हैं और गुड फल देने वाले होते हैं।


९, राहु देव नवम भाव में होते हैं और अपने मित्र राशि में हो भाग्यवान बनाते हैं।  क्योंकि यहां से उनकी दृष्टि लग्न भाव को देखती है। अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्यशाली होता है ।उसका भाग्य साथ देता है। बहुत कुछ अच्छा सक्सेस प्राप्त करवा देते हैं जल्दी। विदेश गमन का योग बना देते हैं। अपनी शत्रु राशि में होते हैं तो इसके विपरीत परिणाम करते हैं। उस कंडीशन व्यक्ति का भाग्य 40 साल की अवस्था में होगा। बहुत संघर्ष करने के बाद भी सक्सेस नहीं मिल पाता है जल्दी। धार्मिक कर्म से विमुख बना देगा पिता के साथ मतभेद कराएगा।


१०, दशम भाव के राहु जातक को बहुत अच्छा फल करते हैं। दशम भाव हमारे कैरियर का होता है हमारे कर्मों का होता है ।अतः राहु देव यहां पर व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करवाने के लिए साम दाम  किसी भी प्रकार स उसे प्राप्त करवाते हैं। राहु यदि उच्च और मित्रा राशि में होते हैं तो व्यक्ति एक अच्छे राजनेता एक अच्छा बिजनेस मैन एक सेलिब्रिटी हो सकता है। सिनेमा जगत में भी राहु अच्छा फल करते हैं मेडिकल केमिकल जैसे सेक्टर में जातक को सफलता दिलाता है। कुल मिलाकर के राहु यदि योगकरक होते हैं तो हमें मान सम्मान वह एक अच्छी पोजीशन प्रदान करता है। और यदि नेगेटिव सिचुएशन होते तो थोड़ा प्रॉब्लम बना कर देते हैं  इसके विपरीत परिणाम करेंगे।


११, एकादश भाव धन आगमन का होता है लक्ष्मी प्राप्ति का होता है बड़े भाई बहनों का होता है हमारी प्रॉपर्टी का भी विचार किया जाता है। यदि इस भाव में राहु उत्साह और मित्र राशि में होते हैं तो जातक को धन प्राप्ति के अनेक स्रोतों से धन प्राप्ति कराते हैं। ऐसा व्यक्ति अनेक प्रकार के स्रोतों से या कहीं अनैतिक तरीके से भी धन कमाने में सफल हो पाता है। बड़े भाई बहनों के साथ अच्छा संबंध बनता है। इसके विपरीत यदि वह मारक होते हैं शत्रु राशि में नीच राशि में होते हैं तो बड़े भाई बहनों के साथ संबंध विच्छेद कराएंगे। व्यक्ति को नकारात्मक बना देंगे। जीवन भर संघर्ष करता रहेगा लेकिन धन आगमन के स्रोतों में कभी भी सफलता नहीं देते हैं। मारक होने पर बहुत नकारात्मक परिणाम दे देते हैं। जातक को काफी सारी मुश्किलों का सामना उस कंडीशन में करना पड़ता है।


१२,
बारवा भाव में राहु मित्र राशि में हो तो जातक को कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्त कराते हैं। विदेश सेटलमेंट  बनाते हैं। जातक को अच्छे कार्यों में धन इन्वेस्ट करवाते हैं। रिंण रोग शत्रुता को कंट्रोल करते हैं। चिंटू यदि अपनी शत्रु राशि में राहु यहां पर बैठे होते हैं तो जातक के कोर्ट कचहरी के खर्चे बढ़ाएंगे जातक को बदनामी व जेल जैसी कंडीशन में भी पहुंचा देते हैं। को नींद ठीक से नहीं आती है नशा का आदि बना देता है। शत्रु पति बना देते हैं बीमारियां कर्जा आदि प्रदान करता है क्योंकि उनकी सप्तम दृष्टि छठे भाव पर होती है।


एस्ट्रो आचार्य कौशल कुमार शास्त्री

9414657245



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