कुंडली में भाव विचार

 जन्म कुंडली विश्लेषण में भाव विचार करना -:

जातक जातिक  की जन्म कुंडली का विश्लेषण करने से पहले हमें यह देखना होता है कि जातक किस सेक्टर के विषय में जानना चाहता है। और जातक का प्रश्न जिस सेक्टर या जिस भाव के अकॉर्डिंग होता है। उसी का विश्लेषण हमें करना होता है। तो आज की चर्चा में हम इसी विषय को लेकर के बात करते हैं कि हम किस प्रकार जन्म कुंडली का रिडिंग कर सकते हैं।

१, हमें जिस भाव या हाउस से संबंधित विचार करना होता है तो कुछ समय के लिए हमें उस भाव को लग्न मान करके विचार करना होगा।

२, इसके बाद आप उस भाव के स्वामी की स्थिति को देखिए जिसको हमने अभी लग्न माना है कि वह कहां बैठा है और उसके ऊपर किन-किन शुभ ग्रहों की या पाप ग्रहों की दृष्टि है।

३, संबंधित भाव का लोड लग्न से 6 8 12 में तो नहीं गया है।


४, संबंधित भाव का स्वामी अपनी नीच राशि में या सूर्य से अस्त  तो नहीं बन रहा है।


५, संबंधित भू का लोड पाप करती दोष में तो नहीं आ रहा है।


६, इसी प्रकार यदि जिस भाव का हम विचार कर रहे होते हैं उस भाव से 6 8 12 में कोई पाप ग्रह हो तो उसे भाव का नाश करते है। जैसे हमें सप्तम भाव का विचार करना है तो हम सप्तम भाव से गिनते हैं और देखते हैं कि 6 8 और 12  में पाप ग्रह आते हैं तो उनका प्रभाव सप्तम भाव पर पड़ेगा, सप्तम भाव को नेगेटिव बनाते हैं।। इसी प्रकार यदि विचारणीय भाव से 6 8 12 में शुभ ग्रह होते हैं तो उस भाव को अच्छा बनाते हैं। जिसे हम विचार कर रहे होते हैं।


६, इस प्रकार हम जिस भाव का विचार कर रहे होते हैं।  संबंधित भाव संबंधित भाव का स्वामी और संबंधित भाव का कारक ग्रह शुभ होता है शुभ स्थितियों में होता है तो उसके अच्छे परिणाम मिलते हैं। अगर अच्छी स्थितियों में नहीं होते हैं। तो उसके नेगेटिव परिणाम होते हैं।


७, इसी प्रकार यदि लग्नेश जिस भाव में बैठा होता है या जिस भाव के स्वामी के साथ बैठा होता है। उससे संबंधित भाव और जिस भाव के स्वामी के साथ बैठा है उस ग्रह के भाव से संबंधित फलों को अच्छा बनाता है।


८. इस प्रकार हमें भाव का विचार करके फलादेश करना चाहिए


एस्ट्रो आचार्य के के शास्त्री
9414657245




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