संतान सुख का संपूर्ण विश्लेषण (D-7 chart )

 आपको कितनी संतान होगी, संतान का सुख कैसा रहेगा, संतान विषयक संपूर्ण सूक्ष्म विश्लेषण कैसे करें ?


आज की परिचर्चा में हम एक महत्वपूर्ण विषय को लेकर के उपस्थित हैं। आज हम संतान संबंधी आवश्यक प्रश्नों को सूक्ष्मता से समझने का प्रयास करेंगे। आज हम जाने की कोशिश करेंगे कि जन्म कुंडली से कैसे पता कर सकते हैं कि जातक को कितनी संतान होगी और उनमें कितने लड़के और लड़कियां होगी और अलग अलग संतान के साथ जातक का संबंध कैसे रहेगा। इन सब विषय को आज हम हल करने की कोशिश करते हैं। तो आईए  आज की इस यात्रा को प्रारंभ करते हैं। ----


सबसे पहले जैसा कि हम जानते हैं कि एस्ट्रोलॉजी में जन्म कुंडली का पंचम भाव हमारे संतान को दिखाता है। d1 चार्ट में हम संतान का विचार पंचम भाव से करते हैं। किंतु जब हमें जन्म कुंडली के पंचम भाव को विस्तार से देखना होता है उसका सूक्ष्म विश्लेषण करना होता है तो उसके लिए डी7 चार्ट देखा जाता है। जिसे सप्तमांश चार्ट कहते हैं। क्योंकि जन्म कुंडली के डी वन चार्ट के अलावा हमें जब किसी भी हाउस का सुक्ष्म विचार करना होता है तो उनके डिवीजन चार्ट देखना पड़ता है। इस प्रकार हमें संतान संबंधी संपूर्ण जानकारी तभी प्राप्त होगी। जब हम जन्म कुंडली का d7 चार्ट का सुक्ष्म विचार करेंगे।


सप्तमांश चार्ट विश्लेषण -:

सबसे पहले हमने जन्म कुंडली का  चार्ट देखा और उसमें जन्म कुंडली का लग्न भाव और पंचम भाव का विश्लेषण कर लिया कि लग्न भाव और पंचम भाव में किस प्रकार के ग्रहों की स्थितियां बन रही होती है। लगन्नेस और लग्न की स्थिति को देखा पंचम भाव और पंचमेश की स्थिति को हमने दिमाग में बिठा दिया। तो सबसे पहले आपको यह करना है


१, अब इसके बाद में हम डी7 चार्ट ओपन करेंगे। अब डी 7 चार्ट आपकी संतान संबंधी सभी प्रश्नों को हल करने में सक्षम है। हम सबसे पहले हम डी7 का लग्न देखेंगे और देखेंगे की लग्न में कौन-कौन से ग्रह बैठे होते हैं। डी 7 के लग्नेश कहां बैठे होते हैं। किस प्रकार  बैठे होते हैं उच्च नीच अस्त जो भी स्थिति है वह संपूर्ण हम देख लेंगे।



२, इसके बाद हम डी7 के पंचम भाव को देखेंगे। वहां पर भी हम पंचम भाव में बैठे ग्रहों की स्थिति को देखेंगे। पंचम भाव के स्वामी की स्थिति को देखेंगे कि वह किस प्रकार की स्थिति में है। पंचम भाव और पंचमेश पर किन-किन किस प्रकार के ग्रहों की दृष्टियां या संबंध बना रहे होते हैं।

कितने संतान योग हैं -:

 जब  किसी का प्रश्न्न हो की कितनी संतान होगी तो इसका विचार अब हम कैसे करेंगे, इसको समझाना है। कितनी संतान होगी। इसको जानने के लिए हम डी 7 चार्ट में बैठे ग्रहों को देखेंगे। इसके बाद d7 के पंचम भाव में बैठे ग्रहों को देखेंगे और उन और पंचम भाव में बैठे ग्रहों को संख्या के आधार पर हम बता सकेंगे की कितनी संख्या बन रही होती है। उतनी संतान योग होते हैं। अब यहां पर प्रश्न उठता है कि आजकल तो संतान एक और दो तक सीमित रह गई है। तो इसका उत्तर होगा क्योंकि किसी भी योग को प्राप्त करने के लिए हमें आगे बढ़ना होता है। यही सूत्र यहां पर भी अप्लाई होगा। अब यह जातक के ऊपर डिपेंड करता है कि वह कितनी संतान उत्पन्न करना चाहते हैं। यदि वह चाहेंगे तो उतनी संतान उत्पन्न कर सकेंगे जितनी संख्या अभी हमने डी 7 से प्रडिक्ट की है।


कितने लड़के और कितनी लड़कियां होगी ?

अब जब हमने पता कर लिया कि हमारे भाग्य में इतनी संतान हो सकती है यदि हम इस विषय में ट्राई करें तो। किंतु इनमें से कितने लड़के और लड़कियों का योग है इसको कैसे जाने।
जी बिल्कुल इसको भी हम जान सकते हैं। इसके लिए हमें d7 चार्ट के लग्न में बैठे ग्रह और पंचम भाव में बैठे ग्रह को देखना है और उनमें से यह देखना है कि कितने ग्रह पुरुष हैं और कितने ग्रह स्त्री हैं। इसी से आपके प्रश्न का जवाब आपको मिल जाएगा।



प्रथम संतान का विचार कैसे करें ?

जब हमने पता कर लिया कि हमारे भाग्य में कितनी संतान हो सकती हैं। उनमें से कितने गर्ल और बॉय हो सकेंगे। अब विचार करना है कि आपकी प्रथम संतान कैसी होगी। उसका आपके साथ कैसा संबंध रहेगा। वह लड़का होगा या लड़की?

तो इसका विचार करने के लिए अब आप d7 के पंचम भाव को और d7 के लग्न को देखना है। इसमें यदि आपके डी 7 के लग्न का और पंचम भाव के आपसी संबंधों का विचार करना है। दोनों की स्थितियों को देखना है तो उसी के अकॉर्डिंग आपको प्रथम संतान के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी। यदि आपके पंचम भाव और लग्न के आपस में अच्छे संबंध होते हैं मित्र होते हैं तो अच्छे संबंध आपके उनके साथ रहेंगे और यदि मान लीजिए आपका पंचम भाव के स्वामी और लग्नेश के अच्छे संबंध नहीं होते तो इसका मतलब है की प्रथम संतान के साथ आपके अच्छे संबंध नहीं रहेंगे।


सेकंड संतान का विचार -:

जब हमने प्रथम संतान का विचार किया। अब प्रश्न उठता है की सेकंड संतान जो होगी उसका संबंध कैसा रहेगा जातक के साथ। जी बिल्कुल इसका भी उत्तर आपको मिलेगा। इसके लिए अब हमें पंचम भाव को नहीं देखना है अब हम सीधे d7 के लगन और d7 के सप्तम भाव को देखेंगे। यहां पर d7 का सप्तम भाव मैरिज को रिप्रेजेंट नहीं करता है। वह यहां पर आपकी सेकंड संतान को दिखाता है। यदि d7 का सप्तम भाव का स्वामी का संबंध दी ७ के लग्न के स्वामी के साथ अच्छा है। डि 7 के सप्तम भाव पर अच्छे ग्रहों की दृष्टियां हैं। सप्तम भाव का स्वामी भी अच्छे ग्रह के साथ हैं तो इस प्रभाव से उसे संतान का नेचर और व्यवहार होगा और डी7 के सप्तमेश और लग्नेश इसका संबंध जितना अच्छा होगा उतना ही अच्छे संबंध रहेंगे। यहां पर सेकंड संतान का लिंग प्रशिक्षण करने के लिए भी आप सप्तम भाव में बैठे ग्रह या सप्तमेश  की स्त्री पुरुष लिंग के आधार पर प्रोटेक्ट कर सकते हैं।


तीसरी चौथी संतान का विचार -:

अब जब हमने प्रथम संतान सेकंड संतान का विचार कर लिया तो आगे होने वाली संतान का विचार अब कैसे करेंगे। जी प्रश्न बहुत ही विचारणीय है। किंतु इसका भी उत्तर आपका d7 चार्ट देगा। इसके लिए आपको कैसे संतान का बारे में जानने के लिए अब आपको नवम हाउस को देखना है डी7 के। यहां पर भी आपको नवम भाव और नवमेश लगन और लग्नेश से संबंध बनाकर के देख लेना है तो आपकी तीसरी संतान की संपूर्ण डिटेल आपके पास होगी। प्रकार अब हमें अगर 4 वी संतान के बारे में भी देखना है तो उसके लिए अब आपको नम हाउस को देखना है।



तो इस प्रकार हम d7 चार्ट से संतान संबंधी सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। आज की चर्चा में इतना ही फिर किसी विशेष चर्चा को लेकर के उपस्थित होंगे तब तक के लिए सभी को जय श्री राधे कृष्णा।



एस्ट्रोलॉजर अचार्य के के शास्त्री
9414657245



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