वास्तु के अनुसार भवन निर्माण

 वास्तु के अनुसार भवन निर्माण -:





वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है। जो भवन निर्माण, डिजाइन और सजावट के नियमों और सिद्धांतों को बताता है। यह प्रकृति और वातावरण के संतुलन पर आधारित है, ताकि मनुष्यों के लिए एक सुखद और समृद्धिपूर्ण जीवन का निर्माण किया जा सके। यहाँ संपूर्ण भवन निर्माण के लिए वास्तु के अनुसार विस्तार से वर्णन दिया गया है:। आईए जानते हैं वास्तु के अनुसार भवन निर्माण कैसे किया जाता है।

भूमि चयन और तैयारी:



भूमि का चयन -:


 वास्तु के अनुसार, उत्तर या पूर्व मुखी भूमि को सर्वोत्तम माना जाता है। यह सुनिश्चित करें कि भूमि के चारों ओर जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो।


भूमि की सफाई -


भूमि को साफ और समतल करना चाहिए। इसके बाद भूमि पूजन और भूमि शोधन किया जाता है।

आकृति और स्थान -


भवन की आकृति आयताकार और वर्गाकार आकृतियों को सर्वोत्तम माना जाता है। त्रिकोण, वृत्त और अन्य अनियमित आकृतियों से बचना चाहिए।

मुख्य द्वार -


मुख्य द्वार उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।

कमरों का स्थान -


  रसोई  -


अग्नि तत्व से सम्बंधित होने के कारण रसोई दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए।


  शयनकक्ष -


मुख्य शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम में होना चाहिए।

  पूजा कक्ष -


 उत्तर-पूर्व में होना चाहिए ताकि सुबह की धूप सीधे इसमें प्रवेश कर सके।


  बाथरूम और शौचालय 


-इन्हें दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।


  लिविंग रूम 


उत्तर, पूर्व, या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

निर्माण सामग्री -


उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करें जैसे कि ईंट सीमेंट, बालू, और स्टील।

- निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की दरारों और दोषों से बचें।

ऊर्जा संतुलन -


प्रकाश व्यवस्था -


प्राकृतिक प्रकाश के अधिकतम उपयोग के लिए खिड़कियों का सही स्थान और आकार होना चाहिए।

वायु संचार -


भवन में अच्छी वेंटिलेशन व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ताजगी और स्वच्छता बनी रहे।


जल स्रोत - 


उत्तर-पूर्व दिशा में जल स्रोत होना चाहिए।

सजावट और रंग -


दीवारों पर हल्के और सुखद रंगों का उपयोग करें। 
भारी फर्नीचर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें।
पौधों और फूलों का उपयोग करके प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाएं।

उपयोगी सुझाव -




-निर्माण के दौरान नियमित रूप से वास्तु सलाहकार से परामर्श लेते रहें।
- नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए वास्तु दोषों का सुधार करें।

इन सभी नियमों और सिद्धांतों का पालन करके, आप एक संतुलित, स्वास्थ्यप्रद और सुखद जीवन के लिए एक उपयुक्त भवन का निर्माण कर सकते हैं।

इस प्रकार हम वास्तु के रूल्स को फॉलो करके एक अच्छा सकारात्मक सुख समृद्धि प्रदान करने वाला भवन निर्माण कर सकते हैं। 


आचार्य के के शास्त्री 
9414657245


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