नाडी दोष का प्रभाव व परिहार

 

नाडी दोष -:

नाड़ी दोष विवाह के समय कुंडली मिलान के अंतर्गत आने वाले सबसे महत्वपूर्ण दोषों में से एक है। यह दोष अष्टकूट मिलान प्रणाली के तहत नाड़ी कूट में देखा जाता है, जो वैवाहिक जीवन में अनुकूलता और संतान के लिए प्रमुख कारक है।


नाड़ी दोष कैसे बनता है?


नाड़ी दोष तब बनता है जब वर और वधू की कुंडली में एक ही नाड़ी होती है। नाड़ी तीन प्रकार की होती है-


1. आद्या नाड़ी (वात)



2. मध्य नाड़ी (पित्त) 



3. अंत्या नाड़ी (कफ )- 




यदि वर और वधू की नाड़ी समान होती है, तो नाड़ी दोष बनता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का कारण बन सकता है।




नाड़ी दोष के दुष्प्रभाव -:


नाड़ी दोष से निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:् -


1. संतान संबंधी समस्या: संतान प्राप्ति में बाधा, गर्भपात, या संतान की सेहत खराब हो सकती है।



2. वैवाहिक जीवन में समस्याएं: दांपत्य जीवन में मनमुटाव, वैचारिक असहमति, और तनाव उत्पन्न हो सकता है।



3. स्वास्थ्य समस्याएं: पति-पत्नी या संतान की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।



4. पारिवारिक अशांति: परिवार में विवाद और कलह की स्थिति बन सकती है।






नाड़ी दोष की परिस्थितियों में परिहार कैसे होता है?


नाड़ी दोष कुछ विशेष स्थितियों में निरस्त (क्षमा) हो जाता है, जैसे:


1. गोत्र समानता: यदि वर और वधू एक ही गोत्र के हों, तो नाड़ी दोष का प्रभाव नहीं होता।



2. नाड़ी दोष रद्द करने वाले ग्रह योग:


यदि वर और वधू की कुंडली में चंद्रमा या लग्न में शुभ ग्रह हो।


गुरु, शुक्र, या चंद्र की अच्छी स्थिति से नाड़ी दोष कम हो सकता है।




3. अष्टकूट मिलान के अन्य गुण: यदि कुल मिलान 18 गुण से अधिक हो, तो नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो सकता ह





 4,वर और वधू की नक्षत्र स्थिति: -

यदि वर और वधू के जन्म नक्षत्रों में संबंध शुभ है, जैसे मित्रता या शुभ प्रभाव, तो नाड़ी दोष का प्रभाव भंग माना जाता है।



3. अष्टकूट गुण मिलान में 18 या अधिक गुण हों: 

यदि अन्य सभी गुण मिलान (अष्टकूट) में 18 या उससे अधिक गुण प्राप्त हो रहे हों, तो नाड़ी दोष का प्रभाव नगण्य हो जाता है।



4. वर और वधू की कुंडली में बलवान ग्रह -

यदि दोनों कुंडलियों में ग्रह बलवान हों और उनकी स्थिति शुभ हो, तो नाड़ी दोष का प्रभाव कम हो सकता है।



5. मंगल दोष और अन्य दोषों का न होना:

यदि कुंडली में मंगल दोष या अन्य प्रमुख दोष नहीं हैं, तो नाड़ी दोष का प्रभाव न्यून हो सकता है।



6. नाड़ी दोष की शांति के उपाय:

यदि विशेष पूजा, जप, हवन, और दान आदि उपाय किए गए हों, तो नाड़ी दोष का प्रभाव समाप्त हो सकता है।



7. कुंडली में वंश वृद्धि के योग:

यदि दोनों कुंडलियों में वंश वृद्धि के मजबूत योग हों, तो नाड़ी दोष को भंग मान लिया जाता है।



8. वर-वधू के चंद्रमा की स्थिति:

यदि चंद्रमा की स्थिति शुभ हो और मानसिक स्तर पर सामंजस्य के योग दिख रहे हों, तो नाड़ी दोष अप्रभावी हो सकता है।




यह निर्णय कुंडली के गहन अध्ययन और अनुभवी ज्योतिषी के परामर्श से ही लिया जाना चाहिए।


4नाड़ी दोष शांति उपाय: - 


विशेष पूजा जैसे नाड़ी दोष निवारण अनुष्ठान।


महामृत्युंजय मंत्र का जाप।


वर-वधू द्वारा समाज और धर्म के लिए विशेष दान।




5. मंगल दोष या अन्य दोष का संतुलन: यदि अन्य दोष नाड़ी दोष के प्रभाव को कम कर रहे हों।







नाड़ी दोष निवारण के उपाय -


कुंडली का विस्तृत अध्ययन कर अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लें।


विवाह के पूर्व दोष निवारण के लिए उपाय अवश्य करें।


पति-पत्नी को मिलकर नियमित रूप से भगवान शिव और पार्वती की आराधना करनी चाहिए।


पीपल वृक्ष की पूजा और उसके नीचे दान करने से दोष कम होता है।



यदि कुंडली में अन्य शुभ योग प्रबल हों, तो नाड़ी दोष का प्रभाव न्यून हो सकता है।


आचार्य के के शास्त्री

9414657245

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