Navmansh kundli dekhna

 

नवमांश कुंडली का महत्व -:

नवमांश कुंडली (D-9 chart) को समझना और देखना वैदिक ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विवाह, भाग्य, धर्म, और ग्रहों की वास्तविक शक्ति को दर्शाती है। इसे फलित ज्योतिष में सबसे प्रमुख वर्गोत्तरी कुंडली माना गया है।

नवमांश कुंडली देखने की विधि

  1. जन्म लग्न से नवमांश निकालना

    • प्रत्येक नवमांश = ।
    • ग्रह जिस डिग्री पर जन्मकुंडली में स्थित होता है, उसके आधार पर यह देखा जाता है कि वह किस नवमांश में पड़ रहा है।
    • उसी के अनुसार नवमांश कुंडली में ग्रह को स्थापित किया जाता है।
  2. राशि को 9 भागों में बाँटा जाता है।

  3. नवमांश का महत्व

    • यह धर्म, भाग्य, और जीवनसाथी से संबंधित है।
    • ग्रह नवमांश में बलवान या निर्बल होता है, इससे यह तय होता है कि उसका वास्तविक फल जीवन में कैसा होगा।
    • विवाह की गुणवत्ता और दांपत्य जीवन की गहराई नवमांश से ही देखी जाती है।
  4. नवमांश से ग्रहफल का निर्णय

    • यदि कोई ग्रह जन्मकुंडली (D-1) में शुभ है, लेकिन नवमांश (D-9) में नीच हो जाए, तो उसका शुभफल घट जाता है।
    • अगर कोई ग्रह जन्मकुंडली में नीच है, लेकिन नवमांश में उच्च हो, तो वह जीवन में बाद में शुभ फल देने लगता है।
    • नवमांश लग्न (D-9 का लग्न) को देखकर विवाह जीवन, भाग्य, और जीवन की दूसरी पारी का आकलन किया जाता है।
  5. विशेष ध्यान देने योग्य बातें

    • नवमांश लग्नेश – जीवनसाथी के स्वभाव और दांपत्य सुख का संकेत।
    • सप्तम भाव और सप्तमेश (D-9 में) – विवाह की गहराई, सामंजस्य और स्थिरता का आकलन।
    • त्रिकोण भाव (1, 5, 9) – धर्म, सौभाग्य और आध्यात्मिकता।
    • केन्द्र भाव (1, 4, 7, 10) – गृहस्थ जीवन और सामाजिक स्थिति।



    • संक्षेप में, जन्मकुंडली (D-1) ग्रहों का बाहरी प्रभाव बताती है, जबकि नवमांश (D-9) ग्रहों की आंतरिक शक्ति और वास्तविक फल बताती है।
आचार्य के के शास्त्री 
9414657245


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