हनुमत साधना द्वारा विविध कार्य सिद्धि

                            " जय श्री राम "






कलयुग में हनुमान जी की सिद्धि बहुत ही सुगम है हनुमान जी
इस युग के प्रचंड देवता है दुर्गा जी की भाति हनुमान जी भी अपने भक्तों की पुकार पर दौड़ पड़ते हैं भक्तों में निष्ठा हो उसमें अपने इष्ट पर परम विश्वास हो तो वह चाहे जब चाहे जैसे चाहे उन्हें अवश्य ही प्राप्त कर सकता है पर उनकी कामना सात्विक होनी चाहिए तभी उनके लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा उपासना किस कामना के लिए कैसे हनुमान जी की उपासना करें क्या अनुष्ठान करें इसकी विधि संक्षेप में हम यहां बताने जा रहे हैं उपासक को इसके आधार पर अनकही बातों को समझने की बुद्धि प्रतिभा अपने अंदर पैदा करने का सच्चा जतन करना चाहिए हनुमान जी इस काम के लिए उनके सहायक होंगे ऐसा मेरा दृष्टिकोण व विश्वास है

मंत्र, स्त्रोत ,कथा ,व‌ भजन में अंतर -:

मंत्र में बीजा अक्षरों तथा आराध्य देव की प्रखर आराधना होती है स्त्रोत में आराध्य देव की यशोगान होता है कथा में आराध्य देव की लीला वृतांत होता है और भजन में आराध्य देव की महिमा का गान गाया जाता है मंत्र स्त्रोत कथा भजन ये सभी आराध्य की आराधना के प्रमुख साधन है इन सभी से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है पर एक बात साधक को अवश्य जान देनी चाहिए कि जो मंत्र या स्त्रोत जितना प्राचीन होगा वह उतना ही अधिक फलदायक होगा ऐसा क्यों होता है इसका उत्तर यह है कि जिस मंत्र का जितना अधिक जाप होता है वह उतना ही अधिक सिद्ध हो जाता है प्राचीन मंत्र का जाप निश्चय ही अधिक हो चुका होता है अतः वह अधिक सिद्ध होता है सिद्धि पाने के लिए इच्छुक लोगों को यह बात समझ कर हनुमानजी की उपासना में सर्वप्रथम किसी मंत्र का चुनाव करें दूसरे नंबर का संस्कृत के स्त्रोत चुने यदि संस्कृत के स्त्रोत को शुद्ध नहीं पढ सकते हो तो तुलसीदास कृत स्त्रोत माला का आश्रय ले यह भी बहुत सिद्ध हो चुके हैं जो इनको भी पढ़ने में असमर्थ हो वह हनुमान जी के भजनों का आश्रय ले

इस प्रकार विद्वानों का मानना है कि उपासना में भावना मुख्य होती है" जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तैसी "भगवान भावनाके भूखे हैं यदि आप हनुमान जी को भजन में या टूटे-फूटे शब्दों में भी स्मरण  करे तो वे आपकी और भागे चले आएंगे यदि आप एक निष्ठ भक्त है तो सारा बुद्धि तरक व्यर्थ है आपको किसी नये बनाये मार्ग को अपनाने की आवश्यकता नहीं किंतु से कामनावस उपासना शास्त्र विधि से ही करें पर हम जैसे साधारण निष्ठा वाले व्यक्ति के लिए तो सरल मार्ग की आवश्यकता है वह कैसे हनुमान जी की उपासना करें इसका उल्लेख हम आज यहां बताने जा रहे हैं इसमें हमारा मानना है कि इससे उपसको का मार्गदर्शन अवश्य होगा

हनुमत वैदिक उपासना -:

उपासना को अपनी दैनिक उपासना के लिए एक कवच एक या दो संस्कृत के स्त्रोत एक या दो तुलसीकृत स्त्रोत दो से चार भजन तथा आरती वंदना आदि का पाठ करना चाहिए जिनके पास समय कम हो वह अपनी रुचि के अनुसार इनमें से घटा बढ़ा सकते हैं और ध्यान रहे शुद्ध पाठ करने का यत्न करें तभी उन्हें सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है किंतु यदि किसी कार्य अवश्य अनुष्ठान कर रहे हो तो उक्त विधि से पाठ करें हनुमान जी अवश्य प्रसन्न होंगे

१, हनुमान चालीसा का पाठ -:

हनुमान जी के मंदिर पीपल वृक्ष तथा घर में ही स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर कुशा का आसन या ऊनका आसन पर पूर्व अभिमुख बैठकर धूप दीप जलाकर हनुमान जी का मानसिक ध्यान करते हुए शीघ्र फल दायक हनुमान चालीसा के  सौ पाठ करने से पाठक को मनोवांछित सिद्धि प्राप्त होती है

२, सर्व कार्य सिद्धि मंत्र -:

दानानुबंधि मेधावी प्रेमावधि राम वल्लभम !
यद्येवम मारुते वीर  मे5भिष्ठम देसि सत्तवरम !! 

इस मंत्र का पूर्वविधान से एक लाख जप उसका दशांश हवन तथा हवन का दशांश तर्पण तर्पण का दशांश मार्जन एवं मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराने से निश्चित ही समस्त कार्य सिद्ध होते हैं

३, शत्रु उच्चाटन एवं वशीकरण -:


सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय पर्यंत हनुमान जी के मंत्र के जप द्वारा अभिमंत्रित भस्म और जल शत्रु के द्वार पर 17 दिन तक छिड़कने से शत्रु एवं उसके सभी परिवार का उच्चाटन होता है वह निसंदेह शत्रुआपका अनिष्ट करने से दूर भाग जाते हैं

४, हनुमान जी के नाम का अभिमंत्रित कलेवा या डोरा बांधने का विधान  -:


आगन के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी के दिन शुभ लग्न में 13 गांठों से युक्त एक कंडा अथवा परिवार भर के लिए अनेक कंडा उत्तम सुत अथवा रेशम का बनाकर हल्दी से रंग कर एक कलश में रखें और उसमें हनुमान जी का आह्वान कर पीला चंदन पीला फूल पीले फल पीला मिष्ठान और वस्त्र यज्ञोपवीत आदि चढ़ाकर पूजन करें पूजन का मंत्र एक ही होगा "ओम नमो भगवते वायुनंदनाय " इस दिन तेरह  पुआ गेहूं के आटे के उत्तम घी में बनाकर ब्राह्मणों को दें अथवा तेरा ब्राह्मण भोजन करावे और उनको दान दक्षिणा दे तदनंतर हनुमान जी का ध्यान करता हुआ उस कंडे को उठाकर कंठ में या भुजा में बांध लें इस तरह 13 वर्ष तक लगातार करता रहे तो सब मनोरथ सिद्ध होते हैं 13 वर्ष मे उद्यापन कर दे

५, भूत प्रेत आदि को दूर करने का मंत्र -:

ओंम ऐं श्रीं ह्लां ह्लीं ह्लूं स्फ्रेख्फ हसौ हस्ख्फें हसौ ओम नमो हनुमते महाबल पराक्रम मम परस्य च भूत प्रेत पिशाच शाकिनी डाकिनी यक्षिणी पुतना मारी महामारी कृत्या यक्ष राक्षस भेरु वेताल ग्रह ब्रह्म ग्रह ब्रह्मराक्षसाधिकजात  कुराबधान क्षणेन हन हन जृम्भय।  निरासय निरासय  बंधय बंधय नुद नुद सूद सूद धुनु धुनु  मोचय मोचय मामेनं च  रक्ष रक्ष महामाहेश्वर रुद्रावतार हा हा हा हूं हूं हूं हूं हूं हूं घे घे घे हूं फट्  स्वाहा। !

श्री हनुमान जी का मानसिक ध्यान कर भूत-प्रेत आदि वाधाग्रस्त रोगी पर इस मंत्र को पढ़ते हुऐ सरसों के दाने फेंकने से भूत प्रेत पिशाच शाकिनी डाकिनी यक्षिणी पूतना मारी महामारी कृपया यक्ष राक्षस भैरव वेताल ग्रह ब्रह्म गृह तथा राक्षस आदि से उत्पन्न भयंकर से भयंकर क्रूर बाधाएं भी तत्क्षण हनुमान जी महाराज की कृपा से समाप्त हो जाती है


६, सर्व कार्य सिद्धि दायक वशीकरण विचित्र वीर हनुमत महामंत्र -:


ओम ह्नीं  नमो। भगवते  विचित्र वीर हनुमते प्रलय कालानल प्रभा प्रज्वलनाय , प्रताप वज्र देहाय,अंजनी गर्भ संभूताय  प्रकट विक्रम वीर दैत्य दानव यक्ष रक्षो गण ग्रह बंधनाय, भूत ग्रह बंधनतबंधनाय, शाकिनी डाकिनी ग्रह बंदनाय, डाकिनी कामिनी गृह बंधनाय, ब्रह्म बंधनाय, राक्षस ग्रह बंधनाय, चोर ग्रह बंदनाय,महामारी ग्रह बंदनाय, एहि एहि आगच्छ आगच्छ आवेश्य आवेश्य ,मम ह्रदय प्रवेश्य प्रवेश्य,स्फुर स्फुर पुस्फुर पुस्फुर सत्यम कथय व्याघ्र मुख बंधन सर्व मुख बंधन,राज मुख बंधन नारी मुख बंधन सभा मुख बंधन लंका रावण मुख  भंजन ,अमुकुम मे वशमानय , क्लीम क्लीम क्लीम श्रीम श्रीम राजाम वशमानय ओम ह्लीं क्लीं स्त्रीनाम आकर्षण शत्रुन  मर्दय मर्दय  मारय मारय चुर्णय चुर्णय   खे खे रामचंद्राज्ञाकाया सिद्धिम  कुरु कुरु, ओम ह्लीं ह्लीं ह्लूं ह्लें ह्लेंस्त्त फट स्वाहा,
 विचित्र वीर हनुमान मम सर्व शत्रु भस्मी कुरू कुरू हन हन फट स्वाहा,एकादश सत बारम जपित्वा  सर्वर शत्रुघ्न वशमानयति नान्यथा,इति विचित्र वीर स्त्रोत्र ।।



इस स्त्रोत का विधान पूर्वक 111 बार नित्य पाठ करने से साधक की सभी मनोकामना के साथ साथ सभी प्रकार के भय शत्रु शाकिनी डाकिनी भूत प्रेत पिशाच आदी सकल बाधाऐ दूर हो जाती है



 ७, सभी प्रकार के भय नाशक हनुमंत मंत्र -:

ऊं ऐं ह्लां ह्लीं ह्लुं ह्स्फें ख्फें ह्सौं ह्स्फें ह्सौ नमो हनुमते राक्षस कुल दावानल द्वादशांक कोट्यर्क  प्रभज्वलत्तनुरूह भीमनाद मम परस्य च दुष्ट दुर्जन महापकारक वादि विवादि  द्वेष कारक कार्य भंजनक क्रूर प्रकृतिक प्रवृद्धकोपावैशक हंतुकामादिक दूर स्थान समीप स्थान भूत भविष्य वर्तमान पुरुष स्त्री नपुंसकांश्चातुर्वण्र्यान  क्षणेन सत्यवरम हन हन सिंगारे सिगारे
 सच्चा तू जीवन अनंत वरम हन हन दह दह संहारय संहारय मोहय मोहय मर्दय मर्दय द्वेषय द्वेषय मार्जार मूषक वत्सद्ध  प्राणैवियोजय  वियोजय विध्वंसय विध्वंसय हिल्लि हिल्लि मूकय मुकय  जारय जारय वर्धय वर्धय   जृंभय जृंभय पातय पातय मम परस्य च पादतलाकमितान कुरु कुरु दासी भूतान संपादय संपादय हा हा हा हूं हूं हूं घे घे घे हूं फट स्वाहा ।।



इस प्रकार हनुमान जी महाराज का षोडशोपचार से पूजन कर 265 अक्षर वाले इस मंत्र का जाप करने से समस्त शत्रु अपने आप नष्ट हो जाते हैं और साधक का उसके शत्रु बाल भी बांका नहीं कर सकते हैं
                                       

हनुमान उपासना मंत्र व विधि-:

हनुमानजी विद्वान भक्त अतुलित बल के धाराम वीर पराक्रमी है अतः उनकी उपासना करने से साधक उन्हीं के समान वीर बुद्धिमान साहसी और अनन्य भक्त हो जाता है और उनके मन में जो भी काम ना होती है वह उसे प्राप्त हो जाती है हनुमानजी की उपासना विधि नारद पुराण में विस्तार से दी गई है पर हम यहां पर उनकी संक्षेप उपासना विधि बताते हैं

(१)

हौं हस्फेख्फे हस्रौ हस्ख्फ्रेहह्रसौ  हनुमते नमः 

यह मंत्र महामंत्र राज कहलाता है इसके ऋषि श्री रामचंद्र जी हैं और छंद जगती है देवता हनुमानजी है बीज ह् स्रौ और शक्ति ह् स्फ्रे है अंग न्यास आदि करके  हनुमानजी का ध्यान करना चाहिए ।

ध्यान के बाद 12000 मंत्र जप करना चाहिए दही दूध और घी मिश्रित धानसे दशांश आहुति देना चाहिए चौकी पर मूल मंत्र से मूर्ति की कल्पना करके उसमें हनुमानजी की षोडशोपचार से पूजा करनी चाहिए अष्टदल कमल के दलो में हनुमानजी के 8 नामों की पूजा करनी चाहिए

 १, रामभक्आतायएनमः २,महातेजसे नमः ३,कपिराजाय  नमः ४,महाबलाय नमः ५, द्रोणादिहारकाय नमः ६,मेरूपीठार्चनकाय नमः ७,दक्षिणाशा भास्कराय नमः ८,सर्व विघ्न विनाशकाय नमः

 फिर लोकपालो और उनके आयुधो की पूजा करनी चाहिए।
इस प्रकार मंत्र सिद्ध हो जाता है लगातार 10 दिनों तक रात्रि में 900 मंत्र जाप करने से राज  भय शत्रु
भय  दूर हो जाते हैं 108 बार मंत्र से अभिमंत्रित किया हुआ जल विषनाशक होता है इस मंत्र से अभिमंत्रित औषध के खाने या जल के पीने से मनुष्य के सब रोग नष्ट हो जाते हैं और उसे सुख प्राप्त होता है इस मंत्र से सभी विघ्न बाधाएं दूर होकर आनंद की उपलब्धि होती है ऐसा भक्त साधक का मत है यह मंत्र साधकों द्वारा अनुभूत है



(२)

"हं पवननन्दनाय स्वाहा " 


इस 10 अक्षरों का मंत्र समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है इस मंत्र के श्री रामचंद्र जी ऋषि जगती छंद श्री हनुमान जी देवता है ओम शक्ति है
" हां  हीं हूं हैं हौ है:" इसके द्वारा षडांगन्यास करना चाहिएइसके पश्चात ध्यान करें ध्यान के पश्चात एक लाख मंत्र जाप करके दशांश हवन करना चाहिए पूजन आदि तो पूर्ववत ही है इस भांति मंत्र सिद्ध होने पर मंत्र उपासक अपना हित साधन कर सकता है यह मंत्र अत्यंत गोपनीय बताया गया है इसके प्रभाव से साधक इस लोक में समस्त कामनाओं का उपयोग करके अंत में मोक्ष प्राप्त कर सकता है


(३)

"ओम नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा "


पूर्व की भांति अंगयास करके हनुमान जी का ध्यान करें ध्यान के पश्चात 10000 मंत्र जाप करना चाहिए और घी मिश्रित तिल से दशांश हवन करना चाहिए पूर्व की भांति चौकी पर पूजा करनी चाहिए प्रतिदिन केवल रात्रि में भोजन कर शुद्ध भाव से 108 बार जप करने से मनुष्य छोटे-मोटे रोगों से मुक्त हो जाता है बड़े रोगों के लिए प्रतिदिन हजार जप करना चाहिए यात्रा से पूर्व इस मंत्र का जप करने से मनुष्य शीघ्र ही अभीष्ट की प्राप्ति करके घर लौट आता है


(४)

कारागार से मुक्ति का हनुमत मंत्र

"ओम नमो भगवते आंजनेयाय अमुकस्य श्रंखलां त्रोटय त्रोटय  बंधन मोक्षम कुरु कुरु स्वाहा "


इस मंत्र का पूर्वकि भांति से अंग न्यास करके हनुमान जी महाराज का ध्यान करें ध्यान करके एक लाख मंत्र का जप करेऔर तत्पश्चात आम के पत्तों से दशांश हवन करना चाहिए इसके प्रभाव से मनुष्य कारागार से मुक्त होकर सुख का भागी होता है



आचार्य कौशल कुमार शास्त्री
          भागवताचार्य

वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान
चौथ का बरवाड़ा जिला सवाई माधोपुर
राजस्थान 9414 6572 45

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