गर्भधारण योग

 गर्भधारण योग -:



१, जब स्त्री का मासिक धर्म प्रारंभ हो (जब पति पत्नी गर्भधारण के इच्छुक हो) उस समय यदि चंद्रमा स्त्री की जन्म कुंडली में गोचर वस 1,2,4,5,7,8,9,12 भाव में हो और चंद्रमा को मंगल देखता हो उस समय स्त्री गर्भधारण के योग्य होती है। इसके विपरीत यदि ऐसी स्थिति नहीं बनती है तो उस महीने स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती है।

२, यदि पुरुष की जन्म कुंडली में चंद्रमा गोचर वस 3,6,10,11 भाव में विद्यमान हो और उसे गुरु देखता हो वह समय गर्भाधान का होता है।

३, गर्भाधान के लिए कुछ विशेष समय का परित्याग करना श्रेयस्कर होता है। जैसा कि हमारे शास्त्रों में वर्णित है। जैसे-एकादशी अमावस्या पूर्णिमा व माता-पिता के श्राध्द का दिन, उक्त समय का परित्याग करके गर्भधारण के समय का विचार करना चाहिए।

४, गर्भधारण के लिए ऐसे लगन का चयन करना चाहिए। जिसके ऊपर अधिकाधिक शुभग्रहों की दृष्टि हो और चंद्रमा पर भी अधिक शुभ ग्रहों  दृष्टि हो। ऐसे समय पर किया हुआ गर्भाधान से उत्तम संतति की प्राप्ति होती है।

आचार्य श्री कोशल कुमार शास्त्री
9414657245





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