ग्रहों की युति का विशिष्ट फल

 ग्रहों की युति का विशिष्ट फल -:

जन्म कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित अलग-अलग ग्रह विशिष्ट प्रकार के योगों का निर्माण करते हैं। जिन का फल जातक को सामान्य ग्रह स्थिति के अपेक्षा विशिष्ट मिलता है। अतः आज हम विशिष्ट ग्रहों द्वारा बनने वाले कुछ विशिष्ट योगों की चर्चा करने वाले हैं।जो निम्न प्रकार है-:

१, यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में पांच ग्रह उच्च के होते हैं तो ऐसा जातक मंत्री अथवा विश्व विख्यात पद को हासिल करने वाला होता है।

२, मंगल यदि मेष लग्न की जन्म कुंडली में लग्न में विद्यमान हो तो ऐसा जातक राजा तुल्य सुखों का भोग करने वाला होता है।

३, मेष राशि में सूर्य, कर्क राशि में गुरु व तुला राशि में शनि विद्यमान हो तो ऐसा जातक बहुत बड़ा राज नेता अथवा शीर्ष पदाधिकारी होता है।

४, कर्क राशि में गुरु और चंद्रमा केंद्र व त्रिकोण के किसी एक भाव में स्थित हो तो जातक मंत्री पद को प्राप्त करने वाला अथवा विशेष धर्मगरु होता है।

५, सिंह लग्न की जन्म कुंडली के लग्न भाव में सूर्य चंद्रमा साथ में विद्यमान हो तो जातक पराक्रमी शासक व उच्च पदाधिकारी बनता है।

६, लग्न में शुभ ग्रह और अष्टम भाव में पाप ग्रह विद्यमान हो तो जन्म कुंडली में ध्वज नामक योग का निर्माण होता है। जिससे जातक अपने समाज अथवा समुदाय का लीडर बनता है।


७, राहु मंगल जन्म कुंडली के षष्ठम भाव में और बुध और सूर्य दशम भाव में स्थित हो तो जातक राजा तुल्य सुखों को भोगने वाला होता है।

८, जन्म राशि का चंद्रमा लग्न में और लग्नेश केंद्र  में बलवान होकर स्थित हो तो जातक निम्न परिवार में जन्म लेकर उच्च प्रतिष्ठा वैभव को प्राप्त करने वाला होता है।

९, गुरु तथा शुक्र बलवान होकर जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में स्थित हो तो जातक धनवान व बहुत बड़ी जायदाद हासिल करने वाला होता है।

१०, नवम भाव का स्वामी चंद्रमा के साथ जन्म कुंडली के दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक बहुत अधिक धनवान होता है।


११, शनि मकर राशि का होकर लग्न में शुक्र तुला राशि का सूर्य सिंह राशि में बुध मिथुन राशि में चंद्रमा कर्क राशि में और गुरु धनु राशि में स्थित हो तो पृथ्वी पर  विशिष्ट लोगों में एक होता है।




एस्ट्रोलॉजर:

 आचार्य कौशल कुमार शास्त्री

वैदक ज्योतिष शौध संस्थानम्

 चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर( राजस्थान,)

9414657245

K.k.shastri



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