गृह प्रवेश मुहूर्त में कैसे करें तिथि वार नक्षत्र का चयन?
भवन निर्माण मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता होती है। तथा प्रत्येक मानव कड़ी मेहनत करके पाई पाई जोड़ कर अपने स्वप्न का महल तैयार करता है। भवन निर्माण के पश्चात भवन में प्रवेश किया जाता है जिसके लिए हमारे शास्त्रों में शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश करने का निर्देश प्राप्त है। क्योंकि शुभ मुहूर्त में किया गया गृह प्रवेश गृह स्वामी के लिए सुख शांति ऐश्वर्य धन वृद्धि वंश वृद्धि व अमन चैन प्रदान करने वाला होता है। अतः नवीन गृह प्रवेश से पहले शुभ मुहूर्त का शोधन कर नवीन गृह प्रवेश करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि गृह प्रवेश मुहूर्त का चयन किस प्रकार किया जाता है।
गोचर शुद्धि -:
गृह प्रवेश में सबसे पहले गृह स्वामी की जन्म राशि अथवा नाम राशि के अनुसार गोचर कुंडली का अवलोकन करना चाहिए उस समय गृह स्वामी की गोचर कुंडली में चंद्रमा सूर्य गुरु शुक्र निर्मल व अस्त नहीं होनी चाहिए। उक्त चारों ग्रह 6 8 12 भाव में स्थित नहीं हो। गृह प्रवेश के समय इन चारों ग्रहों की सौम्यता और बलवान स्थिति में होना अति आवश्यक होता है। अतः गृहस्वामी की गोचर कुंडली में उक्त चारों ग्रह नीच, पाप कर्तरी दोष, पाप ग्रहों से युक्त आदि का विचार कर लेना चाहिए।
गृह प्रवेश के लिए शुभ मास -:
गृह प्रवेश सूर्य देव के उत्तरायण काल में ही करना चाहिए। शुक्र बृहस्पति अस्त काल व मलमास में गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ मास, अति शुभ होते हैं। तथा कार्तिक, मार्गशीर्ष मास सामान्य होते हैं।
शुभ वार -:
गृह प्रवेश में सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार ग्रहप्रवेश में शुभ होते हैं।
इन वारों में भी शनिवार का चयन अति आवश्यक स्थिति में ही करें। रविवार व मंगलवार को गृह प्रवेश कदापि नहीं करना चाहिए।
ग्रहप्रवेश में शुभ तिथियां -:
कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा 2,3, 5 ,7, 10 ,11 ,12 ,13, 15 (पूर्णिमा) अति शुभ होती है। इन तिथियों में भी शुक्ल पक्ष का चयन अति शुभ होता है।
4,9,14,6,8 ,30( अमावस्या) तिथि सर्वथा त्याज्य होती है।
ग्रहप्रवेश में शुभ नक्षत्र -:
रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा, उत्तराफाल्गुनी उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रेवती, विशेष शुभ नक्षत्र होते हैं। पुष्य, स्वाति, धनिष्ठा, शतभिषा, भी मान्य होते हैं।
कलश चक्र गणना -:
गृह प्रवेश में सूर्य नक्षत्र से इष्ट दिवस दिन नक्षत्र तक गणना करें 1 से 5 संख्या तक अशुभ, 6 से 13 तक शुभ 14 से 21 तक अशुभ एवं 22 से 27 दिन शुभ होते हैं।
इस प्रकार उपरोक्त तत्वों का मिलान करके शुभ मुहूर्त में ग्रह स्वामी को मंगल कलश धारण कर गाजे-बाजे के साथ मंगल गीत गाते हुए गृह प्रवेश करना चाहिए। ग्रह प्रवेश में वास्तु पूजन गणपति स्थापना ग्रह शांति हवन आदि वैदिक विधान विद्वान ब्राह्मणों से करवाना चाहिए। जिससे
हमारे भवन की सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां का नाश होता है। और भवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है।
एस्ट्रोलॉजर -
आचार्य कौशल कुमार शास्त्री
वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान
चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर
राजस्थान 9414 6572 45
एस्ट्रोलॉजर आचार्य के के शास्त्री |
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