हवनादि शुभ कार्य में अग्नि वास देखना

ग्रह शांति, गृह प्रवेश, हवनादि शुभ कार्य में अग्निवास देखना



 हवनादि शुभ कार्यों में अग्निवास देखना -:

किसी भी ग्रह शांति हवन यज्ञ आदि के शुभ मुहूर्त में मुख्य रूप से अग्नि का वास देखना अति नितांत आवश्यक होता है। यदि ग्रह नक्षत्र तिथि वार के अनुसार मुहूर्त बन रहा हो और उस मुहर्त में   अग्निवास पृथ्वी नहीं हो तो  हवन कार्य संपन्न नहीं किया जा सकता । गृह प्रवेश ग्रह शांति यज्ञ होम आदि में शुभ मुहूर्त के साथ-साथ अग्निवास का विचार करना चाहिए। तथा जिस मुहूर्त में अग्नि का वास पृथ्वी पर होता है वह अति शुभ होता है तथा स्वर्ग व पाताल का अग्निवास अशुभ फलदायक होता है।  तो आइए जानते हैं अग्निवास किस प्रकार से देखा जाता है?

अग्नि वास -:

अभीष्ट तिथि में अर्थात जिस दिन  हवन कर रहे हैं उस दिन की तिथि में एक जोड़े, उसमें अभीष्ट वार संख्या जोड़ें तथा 4 का भाग देवें शेष में 3 या 0 हो तो अग्नि का वास पृथ्वीपुर होता है। उस दिन होम करने में सफलता प्राप्त होती है। शेष एक तथा दो रहे तो अग्नि का वास  स्वर्ग,या पाताल में रहता है। यह शुभ नहीं होता है।


हवन में आहुति शुद्धि विचार -:

सूर्य जिस नक्षत्र पर रहता है उससे 3 नक्षत्रों की आगे गणना से दी हुई आहुति सूर्य को मिलती हैं। तदुपरांत आगे के 3 नक्षत्रों में बुद्ध को, फिर तीन में शुक्र को, फिर तीन में शनि को, फिर तीन में चंद्र को, फिर तीन में मंगल को, फिर तीन नक्षत्र गुरु को, तथा तीन राहु केतु को आहुति मिलती है। पाप ग्रह वाले नक्षत्र में होम की आहुति शुभ नहीं होती है। अतः शुभ ग्रह वाले नक्षत्रों में ही हवन आदि शुभ कार्य संपन्न किए जाते हैं। 



एस्ट्रोलॉजर -
 आचार्य कौशल कुमार शास्त्री वैदिक ज्योतिष संस्थान चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर राजस्थान 9414 6572 45

Post a Comment

0 Comments