रवियोग व स्वार्थ सिद्धि योग फल

 रवियोग -:

रवि योग संपूर्ण दोषो का नाशक होता है। अर्थात रवि योग में दूषित व बुरे दोष समाप्त हो जाते हैं। यदि सूर्य नक्षत्र से वर्तमान चंद्र नक्षत्र चौथा ,नवां,छठा,दशवा, तेरहवां , बीसवां हो तो उस दिन रवि योग का निर्माण होता है। और यह योग तिथि वार नक्षत्र से निर्मित सभी दोषो का नाशक होता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने पर सिद्धि प्राप्ति होती है।


स्वार्थ सिद्धि योग -:

रवि योग के समान ही स्वार्थ सिद्धि योग भी सदैव शुभ फल प्रदान करने वाला होता है इस दिन किया गए कार्य में सदैव सफलता की प्राप्ति होती है।  मुहूर्त चिंतामणि शास्त्र के अनुसार

 रविवार के दिन -: हस्त,मूल, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद,पुष्य, अश्विन, 

सोमवार को -: श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, 

मंगलवार को -: अश्विनी, उत्तराभाद्रपद, कृतिका, अश्लेषा, 

बुधवार को -: रोहिणी, अनुराधा, हस्त, कृतिका, मृगशिरा,

 गुरुवार को -: रेवती, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य

, शुक्र वार को -: रेवती, अनुराधा, अश्विनी , पुनर्वसु, श्रवण, 

शनिवार को -: श्रवण, रोहिणी, स्वाति


 उपरोक्त वार के दिन अभीष्ट नक्षत्र हो तो उस दिन स्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होता है जो सदैव अभीष्ट फल प्रदान करने वाला होता है।


आचार्य कौशल कुमार शास्त्री
 वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान
 चौथ का बरवाड़ा, सवाई माधोपुर 
राजस्थान  94146572 45







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