समाज आपके बारे में क्या सोचता है? (आरुढ लग्न)

 आरुढ लगन से जाने, समाज आपके बारे में क्या सोचता है?

नमस्कार साथियों!
आज की ज्योतिष चर्चा के अंतर्गत हम जानेंगे कि हम किस प्रकार जातक की पत्रिका में कैसे पता कर सकते हैं उसकी
 
सामाजिक स्थिति  क्या होती है समाज जाक के बारे में क्या धारणाएं रखता है। जातक को अपने समाज में कितना मान सम्मान और यस की प्राप्ति होती है। आज इसी महत्वपूर्ण विषय को लेकर चर्चा करने जा रहे हैं क्योंकि  आज हम जैसे हैं वैसे दिखते नहीं है अर्थात लोग जैसे होते हैं वास्तव में वै वैसे होते नहीं है। अतः सामाजिक मान प्रतिष्ठा यस की स्थिति को जानने के लिए हमें आरुढ लग्न से विचार करना होगा। तो आइए जानते हैं अरुण लग्न क्या होता है? 

आरुढ लग्न -:

जन्मपत्रिका में लग्नेश जिस भाव में बैठा हो अर्थात लग्नेश लग्न से जितने भाव की दूरी पर बैठा हो उतने ही भाव की दूरी को आरुढ लग्न माना जाता है। उदाहरण से समझते हैं जैसे मेष लग्न पत्रिका में लग्नेश बनते हैं मंगल देव और मंगल देव पंचम भाव में विद्यमान है तो यहां लग्नेश लग्न से पंचम भाव की दूरी पर स्थित है तो और हम पांच भाव आगे बढ़ेंगे तो हमारे पास नवम भाव आएगा। अतः नवम भाव यहां आरुढ लग्न होगा। इस प्रकार लग्नेश लग्न से जितनी दूरी पर बैठे होते हैं वहां से उतनी दूरी के भाव को आरुढ लग्न माना जाता है।


 लग्न से जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा पता करना -:

१,इ,सप्रकार जब हम आरुढ लग्न बनाना सीख लेते हैं। उस स्थिति में यदि आरुढ लग्न से केंद्र त्रिकोण में शुभ ग्रह विद्यमान हो तो जातक को मान सम्मान यश कीर्ति पद प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। अर्थात जातक के व्यक्तित्व से बढ़कर  समाज में उसकी मान प्रतिष्ठा सम्मान मिलता है। समाज के लोग उसे काफी लाइक करते हैं। इसके विपरीत यदि अआरु लग्न से केंद्र व त्रिकोण में पाप ग्रह विद्यमान हो तो जातक की समाज में मान सम्मान पद प्रतिष्ठा सब धूमिल हो जाती है।

भवन प्रॉपर्टी का आरुढ लगन से पता करना -;

इसी प्रकार अआरुढ लग्न से जातक के वाहन प्रॉपर्टी भवन की स्थिति का पता कर सकते हैं क्योंकि भवन मान प्रॉपर्टी जायदाद से जातक की समाज में पद प्रतिष्ठा बढ़ती है। अतः इसके अकॉर्डिंग यदि आरूढ़ लग्न से चतुर्थ भाव में शुक्र चंद्रमा विद्यमान हो तो ऐसा जातक अपने जीवन में भवन भवन प्रॉपर्टी जायदाद का मालिक होता है।




आज की चर्चा को विराम देते हैं ---

एस्ट्रो आचार्य केके शास्त्री
 वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान
 चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर
 राजस्थान 9414 657245

आचार्य



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