शुक्र व हमारा वैवाहिक जीवन

 हमारे वैवाहिक जीवन में शुक्र ग्रह का महत्व -:

नमस्कार मित्रों!

आज की ज्योतिष से चर्चा में हम हमारे वैवाहिक जीवन में शुक्र ग्रह की इम्पोटेंसी को लेकर के चर्चा करने जा रहे हैं। वैसे तो प्रत्येक ग्रह का हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। तथा प्रत्येक ग्रह का अपना एक प्रभाव होता है। किंतु जब बात हमारी भौतिक सुखों के साथ-सथ हमारे वैवाहिक जीवन की आती है तो शुक्र ग्रह की महत्ता अधिक हो जाती है। शुक्र आधुनिक भौतिक सुखों का कारक होता है तथा दांपत्य जीवन में वैवाहिक स्थिति को रीप्रजेंटेशन करता है। हमारी वासना अर्थात कामेच्छा का कारक होता है। मेल के चार्ट में विवाह का मुख्य कारक ग्रह होता है। अतः जब भी हमारे लाइफ पार्टनर व दांपत्य जीवन की बात हो तो शुक्र की स्थिति को देखना अति आवश्यक होता है। इस प्रकार जैसा कि हम जानते हैं कि शुक्र देव अति शुभ ग्रह होते हैं तथा मेष राशि उनकी स्वराशि व तुला उनकी मूलत्रिकोण की राशि होती है। शुक्र मीन राशि में उच्च के व कन्या राशि में नीच के होते हैं। शुक्र सदैव अपने स्थान से सप्तम दृष्टि से देखते हैं। उनका रंग श्वेत होता है। द्वादश भाव में त्रिक भाव होने के बावजूद भी शुक्र वहां पॉजिटिव होते हैं। इसी प्रकार शुक्र देव हमारे शरीर पर कान नाक चेहरा व गुप्तांग को से संबंध रखते हैं। अर्थात इनकी रश्मियों द्वारा इन संबंधित अंगो का निर्माण होता है। इस प्रकार शुक्र की बेसिक जानकारी के बाद हम जानते हैं शुक्र और हमारा वैवाहिक जीवन कैसे देखें।


शुक्र और हमारा विवेक जीवन -:

१,
इस प्रकार जब शुक्र किसी भी जातक के चार्ट में पाप प्रभाव में होता है अर्थात शुक्र के आगे और पीछे दो पापी ग्रह हो जो पाप कृत्री दोष का निर्माण कर रहे हैं। तो निश्चित रूप से जातक के विवाह के जीवन में तनाव की स्थिति बनी रहती है।

२, इसी तरह यदि पत्रिका में शुक्र से 4.8 और 12 भाव में मारक अथवा पापी ग्रह विद्यमान हो उसी स्थिति में भी जातक के दांपत्य जीवन में कलह की स्थिति बनी रहती है।

३, शुक्र यदि पाप ग्रह से युक्त हो अथवा पाप ग्रहों से दृष्ट हो तब भी दांपत्य जीवन  अच्छा नहीं कहा जा सकता है।

४, इसी प्रकार यदि शुक्र दो पाप ग्रहों के मध्य हो इसका अर्थ है कि शुक्र के साथ दो पापी ग्रह यूती बना कर के बैठे हो जिसमें एक की डिग्री शुक्र से ज्यादा हो और एक की शुक्र से  कम हो उस स्थिति में भी जातक का दांपत्य जीवन बिगड़ा होता है।

५, यदि शुक्र देव पंचम सप्तम और नवम भाव में किसी पापी मारक ग्रह के साथ यूती बनाकर विद्यमान हो तो ऐसे जातक को शारीरिक बीमारी से युक्त पत्नी की प्राप्ति होती है जो सदैव रुग्ण अथवा शारीरिक विकृति से युक्त होती है।

शुक्र से जान सकते हैं कि हम कैसा लाइफ पार्टनर चाहते हैं -:


हम जातक और जातिका के चार्ट को देख कर शुक्र देव की स्थिति से पता कर सकते हैं कि उन्हें कैसा लाइफ पार्टनर पसंद होता है। आइए जानते हैं---

१इसप्रकार यदि शुक्र शनि देव की राशि में होते हैं तो अपने से अधिक उम्र के लोगों के प्रति आकर्षण होता है अर्थात ऐसे जातकों  अपने से अधिक उम्र के विपरित लिंग में आकर्षण होता है।


२, यदि शुक्र मंगल की राशि में होते हैं तो उस स्थिति में जातक जातिका को ऐसा लाइफ पार्टनर पसंद होता है जो आक्रामक हो जो स्ट्रांग अनुशासन जीवन जीने वाला हो निडर साहसी हो।


३, इस प्रकार शुक्र देव जिस ग्रह की राशि में होते हैं उस राशि के स्वामी के स्वभाव के अकोडिंग वो अपना लाइफ पार्टनर चाहते हैं।




इस प्रकार हमने हमारे वैवाहिक जीवन में शुक्र देव के रोल के बारे में समझा। नेष्ट चर्चा में और किसी विशेष प्रकार की जानकारी के साथ हम उपस्थित होगे। तब तक के लिए :

जय श्री राधे-राधे।



एस्ट्रोलॉजर आचार्य केके शास्त्री
 वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान 
चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर 
राजस्थान 9414 6572 45






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